महंगाई पर काबू जरूरी

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पीएम मोदी मंत्रिमंडल के जंबो विस्तार व फेरबदल के बाद स्वाभाविक रूप से नए मंत्री एशन में दिख रहे हैं। प्रशासनिक चुस्ती के जिस मकसद से मंत्रिमंडल में बदलाव किया गया है, उसके लिए जरूरी है कि नए मंत्री तेजी से काम करें। विस्तार के अगले ही दिन कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें कृषि मंडियों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए एक लाख करोड़ रुपये व स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 23 हजार करोड़ रुपये के पूर्व घोषित फंड्स को मंजूरी दी गई। इससे निशित रूप से किसानों को फायदा होगा और स्वास्थ्य क्षेत्र के इन्फ्रास्ट्रचर में सुधार देखने को मिलेगा। कोविड टीकाकरण में भी तेजी आएगी। नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी दिवटर को सत चेतावनी दी कि भारत में रहना है तो यहां के कानून को मानना होगा। इससे सोशल मीडिया कंपनियों को सत संदेश है कि मंत्री बदलने से सरकार की नीति नहीं बदली है और उन्हें भारतीय कानूनों के दायरे में ही काम करना होगा। ये सभी संकेत है कि टीम मोदी एशन में है, लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई पर नियंत्रण की है।

पेट्रोल व डीजल के भाव रिकार्ड उच्च स्तर पर है, खाद्य तेल के दाम भी आसमान पर है। इनसे मध्यवर्ग खासा परेशान है। कोविड के प्रभाव के चलते सुस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था में आम लोगों के लिए कमाई के अवसर कम हुए हैं, मध्यवर्ग की आय पर नकारात्मक असर पड़ा है, ऐसे में पेट्रोलियम, खाद्य तेल और खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई से इनकी कमर टूट रही है। नए पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी काफी अनुभवी हैं, उन्हें अपने अनुभव का इस्तेमाल पेट्रोल-डीजल के दाम कम करने में करना होगा। यूं तो सऊदी अरब, रूस व संयुत अरब अमीरात के आपसी खटास व ईरान पर प्रतिबंध के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़े हुए हैं, लेकिन भारत सरकार अपने टैस स्ट्रचर में लचीला रुख लाकर पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में राहत दे सकती है। पिछले साल मई से अब तक इंधन का दाम 30 फीसदी तक चढ़ गया है। डीजल की महंगई का सीधा असर खाने-पीने की महंगाई पर पड़ता है। खाने-पीने के सामान के दाम और इंधन की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी के चलते जून में खुदरा महंगाई सात महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकती है। मीडिया द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक महंगाई लगातार दूसरे महीने रिजर्व बैंक के लक्ष्य से ऊपर बनी रह सकती है।

पेट्रोलियम उत्पादों पर टैस रेट ऊंचा होने से महंगाई पर दबाव बना हुआ है। खाद्य सामग्रियों की इलाई लागत काफी बढ़ गई है। 5 से 7 जुलाई के बीच कराए गए सर्वे में शामिल 37 अर्थशाखियों के अनुमान के मुताबिक जून में महंगाई पिछले साल से 6.58 फीसदी ज्यादा रह सकती है। मई में खुदरा महंगाई 6.30: थी। अर्थशाखियों के मुताबिक, थोक महंगाई जून में 12.23: रह सकती है। मई में वह 15 साल के उच्चतम स्तर 12.94: पर पहुंच गई थी। रिजर्व बैंक ग्रोथ को बढ़ावा देने और महंगाई को काब में रहने की कवायद में संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है। उसका ध्यान आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ावा देने पर है, लेकिन जून में हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक का ब्योरा उनकी नजर महंगाई पर रहने का संकेत दे रहा है। महंगाई दर बहने के पीछे पेट्रो उत्पादों व खाद्य तेल की ऊंची कीमतें हैं। महंगाई बढऩे के खिलाफ किसान संगठन समेत अलग-अलग प्रेशर ग्रुप सरकार के खिलाफ सड़कों पर अपना आक्रोश जता रहे हैं। ऐसे में प्राथमिकता के आधार पर सबसे जरूरी है कि पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी पेट्रोल-डीजल व खाद्य आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल खाने के तेल की उच्च दरों पर तत्काल लगाम लगाएं। इस वत देश को सबसे अधिक महंगाई से निजात की जरूरत है।

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