गौतम बुद्ध के जीवन के कई ऐसे प्रसंग हैं, जिसमें छिपी सीख को जीवन में उतार लिया जाए तो हम कई समस्याओं को दूर कर सकते हैं। यहां जनिए ऐसा ही एक प्रसंगचर्चित प्रसंग के अनुसार एक व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सही नहीं चल रहा था। बार-बार उसका पत्नी से झगड़ा होता था। एक दिन तंग आकर वह जंगल में चला गया। जंगल में उसे महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ दिखाई दिए। बुद्ध शिष्यों के साथ उसी जंगल में रुके हुए थे। दुखी व्यक्ति भी बुद्ध के साथ रहने लगा और उनका शिष्य बन गया। कुछ दिन बाद बुद्ध ने उस व्यक्ति से कहा कि मुझे प्यास लगी है, पास की नदी से पानी ले आओ। गुरु की आज्ञा मानकर वह पानी लेने नदी किनारे गया। नदी पहुंचकर उसने देखा कि जंगली जानकारों की उछल कूद की वजह से पानी गंदा हो गया है। नीचे जमी हुई मिट्टी ऊपर आ गई है।
व्यक्ति गंदा पानी देखकर वापस आ गया। उसने तथागत को पूरी बात बता दी। कुछ देर बाद बुद्ध ने फिर से उसे पानी लाने के लिए भेजा। वह फिर से नदी की ओर चल दिया। जब वह नदी किनारे पहुंचा तो उसने देखा कि पानी एकदम साफ था, नदी की गंदगी नीचे बैठ चुकी थी। ये देखकर वह हैरान हो गया। पानी लेकर वह बुद्ध के पास पहुंचा। उसने पूछा कि तथागत आपको कैसे मालूम हुआ कि अब पानी साफ मिलेगा। बुद्ध ने उस समझाआ कि जानवर पानी में उछल-कूद कर रहे थे, इस वजह से पानी गंदा हो गया था। लेकिन कुछ देर बाद जब सभी जानवर वहां से चले गए तो नगी का पानी शांत हो गया, धीरे-धीरे पूरी गंदगी नीचे बैठ गई। बुद्ध ने कहा कि जब हमारे जीवन में बहुत सी परेशानियां आ जाती हैं तो हमारे मन में उथल-पुथल होने लगती है, शान्ति भंग हो जाती है। ऐसी स्थिति में ही हम गलत निर्णय ले लेते हैं। हमें मन की उथल-पुथल शान्त होने का इंतजार करना चाहिए। धैर्य बनाकर रखना चाहिए। शांत मन से कोई निर्णय लेते हैं हम सही निर्णय ले पाते हैं।