मोदी सरकार ने भरोसा दिलाया है कि बैंकों के विलय से कर्मचारियों की छटनी नहीं होगी। पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों के विलय का ऐलान किया था। तभी से बैंकिंग सेक्टर और सियासी जमातों के बीच नौकरियों के जाने की चर्चा चल पड़ी थी। देश के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने तो यहां तक कह दिया है कि सरकार बदले की भावना दरकिनार कर इकनॉमी के जानकारों की मदद लेकर डूब रही अर्थव्यवस्था को बचाने की पहल करे यह सरकार और देश दोनों के लिए अच्छा होगा। हालांकि ऑटो सेक्टर में छाई मंदी ने चिंता इसलिए भी बढ़ा दी है कि देश की जीडीपी में इस सेक्टर की 49 फीसदी हिस्सेदारी है। तकरीबन तीन करोड़ के आस पास लोगों को रोजगार मिलता है।
सच यह भी है कि आम लोगों की क्रय शक्ति भी घटी है। वैसे ऑटो सेक्टर में मंदी से निपटने के तरीके पर भी काम चल रहा है। इसकी हालिया बानगी यह है कि इसी सेक्टर की कई कंपनियां बिक्री में गिरावट के बावजूद कारोबार में विस्तार के लिए निवेश की नई योजनाएं लेकर सामने आ रही हैं यह आश्वस्त करने वाली बात है। अब अपने विस्तार के लिए कस्बों की तरफ नजर है इसे आशा से भरा कदम कहा जा सकता है। यही हलचल मोबाईल ओर रियल इस्टेट में भी देखी जा रही है। वैसे एक क हावत भी है कि जब विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं तब कोई न कोई नया रास्ता भी निकलता है जो तरक्की की तरफ ले जाता है। इस सब के बीच यह भी सच है कि 2016 में नोटबंदी ओर जीएसटी जैसे परिवर्तनकारी फैसले का देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
यह बात अलग है कि सरकार इसे नहीं मानती। वेसे कोर्स क रेक्शन के लिए ही सरकार ने रिजर्व बैंक के सहारे मंदी की ओर जा रही अर्थव्यवस्था को सभले की कोशिश की है। इसी क्रम में भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकार को लाभांश और अधिशेष पूंजी के रूप में 1.76 लाख करोड़ पये की भारी-भरकम राशि हस्तातंरित करने का फैसला किया है। यह पूंजी मोदी सरकार के लिए आर्थिक सुस्ती से लडऩे का उपयुक्त हथियार साबित होगी और यह निवेश बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्रवार प्रोत्साहन पैकेज देने में भी मददगार होगी। इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने को लेकर की गई घोषणाओं में सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ पये की पूंजी डालने की बात कही है, जिससे उम्मीद जताई गई है कि वित्तीय व्यवस्था में पांच लाख करोड़ पये आएंगे।
विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आरबीआई से मिलने वाली पूंजी का इस्तेमाल उधारी घटाने, 3.3 लाख करोड़ पये के पूंजीगत व्यय योजना के वित्तपोषण, बैंकों के पुनर्पूंजीकरण और संकट में फंसे क्षेत्रों को प्रोत्साहन पैकेज देने में किया जा सकता है। पिछली कई तिमाहियों से अर्थव्यवस्था में आ रही लगातार सुस्ती के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने केंद्र सरकार की नीतियों का बचाव किया है। 2019-20 की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर घटकर 5: के आंकड़े पर आ गई है जो साढ़े 6 साल का निचला स्तर है। इस पर सुब्रमण्यन ने कहा है कि केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था में रफ्तार लाने के लिए कई उपाय कर रही है, जो वित्त मंत्री की हालिया घोषणाओं में झलकती है।