भाजपा का संकल्प पत्र

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कांग्रेस के घोषणा पत्र के बाद भाजपा ने भी सोमवार को संकल्प पत्र जारी किया है। इसमें राम मंदिर, धारा 35ए और छोटे किसानों व युवाओं को पेंशन देने की इच्छा जतायी गयी है। एक बारगी देखें तो दो चीजें साफ तौर पर घोषणा पत्र में नजर आती है, एक छोटे किसानों और दुकानदारों को 60 की आयु पार करके बाद पेंशन के रूप में एक रकम देये जाने का वायदा किया गया है। किसानों को एक लाख तक का कर्ज पांच साल तक व्याज रहित देने का संकल्प व्यक्त किया गया है। इस तरह भाजपा ने कृषि संकट से बिलबिलाये किसानों के आक्रोश को मुलतवी करने का प्रयास किया है। पार्टी जानती है कि इस बार किसानों के आक्रोश को मुलतवी करने के प्रयास किया है। पार्टी जानती है कि अस बार किसान बहुत नाराज हैं। हालांकि पिछली सरकारों में भी उनके मांगो को टहलाने का ही काम किया जाता रहा है पर 2014 में भाजपा ने जो किसानों को आय दोगुनी करने का दावा किया था वो समर्थन मुल्य बढ़ाये जाने के बावजूद ऊंट के मुंह में जीरा जैसा हो रहा। विपक्ष ने भी किसानों के आक्रोश से बड़ी उम्मीद लगा रखी है। यूपी में खासतौर पर पश्चमिमी इलाकों में गन्ने के बकाये को लेकर भाजपा सरकार के प्रति जवर्दस्त गुस्सा है।

मोदी-शाह की जोड़ी जानती है कि प्रतिक्रिया में किसान रुठे तो बहुत बड़ा-नुकासन होना तय है। इसीलिए बेसिक इनकम के अलावा इनके लिए पेंशन की भी बात रखी गयी है। दूसरी महत्वपूर्ण बात छोटे दुकानदारों से जुड़ी हुई है। जीएसटी लागू होने से सर्वाधिक परेशानी छोटे दुकानदारों को झेलनी पड़ी। एक तो एकल कर व्यवस्था के बारे में निचले स्थर तक जानकारी नहीं पहुंचने से भ्रम की स्थिति दूसरे पारदर्शिता के नाम पर ऑनलाइन टैक्स फाइलिंग जैसी जटिलताओं के लिए आम दुकानदारों की आधी अधूरी तैयारी से भी सरकार के प्रति धारण नकारात्मक हुई जिसका खामियाजा विधानसभा चुनावों में भाजपा सरकार को कॉरपोरेट छवि को इस संकल्प पत्र में बदलने की एक कोशिश पेंशन योजना के वादे के रूप में हुई है। सीमांत कृषकों और छोटे दुकानदारों को इस तरह भाजपा ने साधने की कोशिश की है।

बाकी राम मंदिर पर एक बार फिर संवैधानिक रास्ता खोजे जाने का वाया दोहराया गया है। कश्मीर में 35ए के खात्मे का संकल्प एक बार फिर घोषणापत्र में है। सिटीजन बिल पर दृढ़ता दिखाते हुए कथित घुसपैठियों को बार निकाले जाने का भरोसा दिलाया गया है। साइबर स्पेस से आउटर स्पेस तक देश की ताकत बढ़ने का उल्लेख करते हुए विदेशी मोर्चे पर पांच वर्षों के दौरान के संबंधों का ब्योरा दिया गया है। संकल्प पत्र में एक बार फिर विकास की चर्चा है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को भी रेखांकित किया गया है। भाजपा का दर्शन भारतीय सभ्यता संस्कृति में है। न्यू इंडिया की बुनियाद में इन बातों को महत्व दिया गया है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी ग्रामीणों को लेकर योजनागत फिक्र है। भाजपा के संकल्प पत्र में भी इसी तरह की कोशिश हुई है। पर सवाल यह है कि जिन वादों के साथ पार्टियां चुनाव में जाती है क्या उसका एक चौथाई भी सत्ता में आने पर जमीन पर लागू कर पाती हैं। यदि अपने वादों के प्रति पहले से गंभीरता दिखाई होती तो आज आम चर्चा में लोकलुभावन कहकर सवाल नहीं उठाया जाता। पर सच यही है कि बड़े-बड़े वादों के साथ राजनीतिक दल जनता को तो साध ले जाते है लेकिन जनता की उम्मीदें अगले चुनाव तक के लिए वेटिंग में डाल दी जाती है। उम्मीद करें कि सत्ता में जो भी दल पहुंचें वो जनता से किये गये वादों के लिए जुटेंगे और खुशरंग परिवेश की वजह भी बनेंगे।।

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