बिल गेट्स का सब कुछ छोड़ना !

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यदि कोरोना के बाद फिलहाल पूरी दुनिया में कोई दूसरा नाम सबसे ज्यादा चर्चित है तो वह माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स का है जहां कोरोना पर चर्चा से भय व आतंक पैदा होता है वहीं बिल गेट्स नाम लेने से दिलो में आशा, विश्वास पैदा होता है। सुखद आश्चर्य होता है कि दुनिया में ऐसे भले, भविष्य के सपने दिखाने वाले अरबपति भी हैं। बिल गेट्स ने हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट छोड़कर अपनी पूरी जिदंगी समाज सेवा के लिए लगा देने का ऐलान किया है। मजेदार बात यह है कि यह अरबपति अपने परिवारजनों के लिए कुछ भी छोड़ कर नहीं जाना चाहता हैं। इस 65 वर्षीय धनवान की कहानी बहुत ही रोचक है। अमेरिका के सिएटल में पैदा हुए इस व्यवसायी ने कोई लंबी चौड़ी शिक्षा हासिल नहीं की थी। उनका पूरा नाम विलियम हेनरी गेट्स था। उनके पिता वकील थे। वे अपने चार भाई बहनों में तीसरे नंबर पर थे। अत: उन्हें ट्रे कहा (थ्री) कहकर भी बुलाया जाता था। उनके मां-बाप उन्हें वकील बनाना चाहते थे। वह देखने में काफी छोटे लगते थे। अत: उन्हें स्कूल में शैतान बच्चे परेशान करते थे। अत: वे खुद को कमरे में बंद करके कुछ सोचते रहते थे। उन्हें बचपन में ही कंप्यूटर में बहुत रूचि थी। वे पढऩे में ज्यादा तेज नहीं थे फिर भी उन्होंने आठवीं क्लास में कंप्यूटर का टेलीटाइप मॉडल बना दिया था।

वह जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी को इतना ज्यादा पंसद आया कि उसने बच्चों के लिए कंप्यूटर तैयार करने के लिए उस मॉडल को अपनाया। वे जनरल इलेक्ट्रिक के कंप्यूटर के लिए प्रोग्रामिंग करने लगे व उनकी व्यस्तता के कारण उन्हें गणित की कक्षा में आने से छूट दे दी गई। उन्होंने कंप्यूटर पर खेल खेलने का सबसे पहले प्रोग्राम बनाया। उनके तीन और साथी भी इस काम में उनका साथ दे रहे थे। उनका एक साथी दुर्घटना में मारा गया। वे पढऩे के लिए हावर्ड तक गए। पर वे वहां भी पढ़ाई से ज्यादा कंप्यूटरों में दिलचस्पी लेते थे। वे अपने दूसरे साथी एलन के साथ संपर्क में थे व उन दोनों ने अपनी सॉफ्टवेयर कंपनी बनाने का फैसला किया। उसने अपने मां-बाप की सलाह से हावर्ड छोड़कर अपनी कंपनी शुरू करने का फैसला करते हुए उनको कहा कि अगर मैं असफल रहा तो मैं पुन: पढऩे का काम शुरू कर दूंगा। उन दोनों ने माइक्रोसॉफ्ट नामक कंपनी बनाकर 1975 में अपना धंधा शुरू किया। उस समय आईबीएम कंपनी दुनिया भर में कंपनियों को कंप्यूटरों की सप्लाई करती थी। उसने जुलाई 1980 में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी स्थापित कर निजी कंप्यूटरों के लिए सॉफ्टवेयर तैयार करना शुरू किया। माइक्रोसॉफ्ट ने 50000 डालर की फीस लेकर ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित किया। दुनिया की सबसे बड़ी कंप्यूटर कंपनी आईबीएम के साथ फिर सहयोग से उनका बड़ा नाम हो गया।

मगर उसका कापीराइट माइक्रोसॉफ्ट के पास था अत: उन्होंने कुछ दूसरी कंप्यूटर बनाने वाली कंपनियों को भी इसे बेचा व पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्ध हो गए। उनको इस उपलब्ध के कारण 1981 में कंपनी का अध्यक्ष व बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। उनके साथी पाल एलन कंपनी के उपाध्यक्ष बने व दोनों के बीच कंपनी पर नियंत्रण को लेकर लंबी अदालती लड़ाई चली। एलन का 2018 में निधन हो गया। हालांकि उनके मरने से पहले दोनों के संबंध ठीक हो गए थे। इस बारे में यह आम शिकायत थी कि वे अक्सर लोगों का फोन नहीं सुनते थे और न ही उन्हें पलट कर फोन करते थे। उन्होंने काफी पहले ही सबकुछ छोड़कर समाज सेवा करने की इच्छा जताई थी। उनकी संस्था ने विटामिन ‘ए’ की कमी के शिकार लोगों के लिए गोल्डन राइस चावल विकसित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट की भारी सहायता की। उन्होंने गरीब देशों में परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए अरबो रुपयों की सहायता दी। उन्होंने अपनी पत्नी मिलिंदा गेट्स के साथ मिलकर मिलिंदा गेट्य फाउंडेशन बनाई जोकि दुनिया भर में काम कर रही हैं। उन्होंने लोगों को उदाहरण देने के लिए अपना एक काफी महंगा बंगला नीलाम कर उससे प्राप्त होने वाली आधी रकम समाज सेवा के लिए दे दी। बिल गेट्स ने सबकुछ छोड़ समाज सेवा की इच्छा 2019 में जताई थी।

विवेक सक्सेना
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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