बढ़ती जीडीपी शुभ संकेत

0
135

भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। कोविड के चलते लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्थ ने चालू विा वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में जबर्दस्त वृद्धि दर्ज की है। अपै्रल-जून तिमाही में देश की जीडीपी तेज उछाल के साथ 20.1प्रतिशत पर पहुंच गई। यह किसी भी तिमाही में अब तक की रिकॉर्ड उच्च ग्रोथ है। भारतीय रिजर्व बैंक ने जून तिमाही की जीडीपी दर 21.4 प्रतिशत रहने का अनुमान दिया था। रॉयटर्स के सर्वे में शामिल 41 अर्थशास्त्रियों ने ग्रोथ का जो अनुमान दिया था, उसका औसत 20 फीसदी था। पहली तिमाही के असल जीडीपी ग्रोथ इसके एकदम करीब है। वित्त वर्ष 2020-21 की आखिरी तिमाही जनवरी-मार्च 21 में जीडीपी दर मात्र 1.6 फीसदी रही थी। इस हिसाब से एक तिमाही के बाद दूसरी तिमाही में जीडीपी ने लंबी छलांग लगाई है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट निगेटिव में 24.4 फीसदी रहा था।

जुलाई-सितंबर तिमाही में भी माइनस रही, अटूबर-दिसंबर तिमाही में पॉजिटिव हुई और तबसे लगातार बढ़ रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान टोटल जीवीए 30.1 लाख करोड़ रुपये रहा। यह पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 188 फीसदी ज्यादा है, लेकिन दो विा वर्ष से 22.4 फीसदी कम है। जीवीए से अर्थव्यवस्था के टोटल आउटपुट और इनकम का पता चलता है। जीडीपी के अलावा दूसरे संकेतक भी आर्थिक रिकवरी के संकेत दे रहे हैं। जीएसटी का अगस्त में 1.12 लाख करोड़ रुपये के कलेशन के साथ लगातार दूसरे माह में रिकार्ड बना है। अगस्त में गाडिय़ों की मांग में 59 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई है। पेट्रोल डीजल से कर के रूप में भी सरकार को रिकार्ड राजस्व मिल रहा है। जीडीपी ग्रोथ में कोविड के पहले से ही सुस्ती का माहौल बन गया था। वित्त वर्ष 201718 की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 8.9 फीसदी के उच्च स्तर पर थी। उसके बाद ग्रोथ रेट में जो गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ, उसने थमने का नाम नहीं लिया है। वित्त वर्ष 2015-16 में जीडीपी दर 8.06, 2016-17 में 8.28, 2017-18 में 7.2 प्रतिशत, 2018-19 में 6 प्रतिशत, 2019-20 में 4.2 प्रतिशत और 2020-21 में- 7.3 प्रतिशत रही।

यह दर घटते क्रम का दिखाती है। अब 2021-22 में रिकवरी कर रही है। कोविड के प्रभाव से सुस्त अर्थव्यवस्था में उछाल के आंकड़ों को देख कर यह नहीं कहा जा सकता कि हमारी अर्थव्यवस्था पूरी तरह पटरी पर लौट आई है। इस उछाल के पीछे एक वजह पिछले साल की इस तिमाही का तुलनात्मक आधार भी है। 2019- 20 की पहली तिमाही में जीडीपी 35,66,788 करोड़ रुपये थी, 2020-21 की पहली तिमाही में 26.95 लाख करोड़ रुपये थी और अब 2021-22 की पहली तिमाही में 32,38,828 करोड़ है। पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 24.4 फीसदी की गिरावट आई थी। ऐसे में जीडीपी का आधार ही कम हो गया था। 20.1 फीसदी की उछाल के बावजूद जीडीपी प्री-कोविड पीरियड के लेवल में नहीं पहुंच पाई है। खनन, विनिर्माण, व्यापार, होटल एवं परिवहन और विाीय सेवाएं अब भी पहले वाली स्थिति में नहीं पहुंच पाई हैं। उपभोता खर्च और निजी निवेश की हालत में भी सुधार नहीं आ पाया है। 2019-20 की तुलना में ये दोनों ही 119 और 17.09 फीसदी कम हैं। कुछेक अर्थशास्त्रियों के मुताबिक अर्थव्यवस्था में अब भी वी शेप रिकवरी नहीं देखी जा रही है। ऐसे में अर्थव्यवस्था के लिए अभी बहुत चुनौतियां शेष है। इसके बावजूद अर्थव्यवस्था के संकेतकों में सुधार को सकारात्मक रूप में लेना जरूरी है। केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेजों का असर आगे और दिखेगा, ऐसे में अर्थव्यवस्था के लिए स्थिति बेहतर ही होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here