आज की दुनिया में परमाणु निरस्त्रीकरण जैसे लक्ष्य चर्चा से बाहर हो गए हैं। फिलहाल दौर अपनी ताकत के प्रदर्शन का है। इससे दुनिया पर खतरा बढ़ा है। इसी सिलसिले में ये खबर आई है कि उत्तर कोरिया संभवत: ऐसे मिनिएचर परमाणु उपकरण बनाने में सफल हो गया है, जिन्हें बैलिस्टिक मिसाइलों में हथियार के रूप में फिट किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र की एक गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर कोरिया के बारे में यह सारी जानकारी एक अन्य सदस्य देश ने मुहैया कराई है। रिपोर्ट का मकसद यह निष्कर्ष निकालना था कि उत्तर कोरिया के खिलाफ लगाए गए यूएन के प्रतिबंधों का उस पर कैसा असर हो रहा है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि उत्तर कोरिया तमाम प्रतिबंधों के बावजूद अपने परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। वह उच्च संवर्धन वाले यूरेनियम का उत्पादन भी कर पा रहा है। साथ ही एक प्रायोगिक हल्के पानी का रिएक्टर भी बना रहा है। उत्तर कोरिया के शासक किम जॉन्ग उन की परमाणु हथियारों से जुड़ी महत्वाकांक्षाएं जगजाहिर हैं।
हाल ही में किम ने कहा था कि वे अपने देश के परमाणु हथियारों को एक तरह की सुरक्षा गारंटी के रूप में देखते हैं। गौरतलब है कि कोरियाई प्रायद्वीप में गुजरे ने में तनाव काफी बढ़ गया था। उत्तर कोरिया का आरोप था कि दक्षिण कोरिया की ओर से ऐसे पर्चे भेज जाते हैं, जिनका मकसद उसके नागरिकों को किम के कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ भड़काना है। इसी पृष्ठभूमि में यूएन के प्रतिबंधों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र समिति की रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट में लिखा है कि उत्तर कोरिया के किए पिछले छह परमाणु परीक्षणों से ही उन्हें अब ऐसा मिनिएचर परमाणु हथियार बनाने में सफलता मिली है। वैसे उत्तर कोरिया ने सितंबर 2017 के बाद कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है। यूएन की यह अंतरिम रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक 15 सदस्यों वाली समिति को सौंप दी गई है, जो उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंधों पर नजर रखती है। उत्तर कोरिया ने अब तक इस रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। 2006 से उत्तर कोरिया के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के खिलाफ यूएन ने कई प्रतिबंध लगाए हुए हैं।
बाद के सालों में सुरक्षा परिषद ने इन पाबंदियों को और सख्त बनाया है। लेकिन उत्तर कोरिया पर उनका कोई असर नहीं हुआ है, यह साफ है। जहां तक दक्षिण एशिया का सवाल है तो यहां एक नई होड़ शुरू हुई है। यह अपना नया नक्शा जारी करने की होड़। बेशक शुरुआत भारत ने ही की, जब इसने पिछले साल अपना नया नशा जारी किया। उसके बाद नेपाल ने ये कदम उठाया और पिछले दिनों पाकिस्तान ने भी शायद यह संदेश देने की कोशिश की कि वह भी इसमें पीछे नहीं रहेगा। उसने भारत के जूनागढ़ और सर क्रीक के अलावा पाकिस्तान के नए नशे में लगभग पूरे कश्मीर को अपने इलाके में दिखा दिया है। इसमें भारत के नियंत्रण वाला जम्मू और कश्मीर, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगिट-बाल्तिस्तान भी शामिल हैं। नशे को जारी करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि ये नशा भारत द्वारा पांच अगस्त 2019 को उठाए गए कदमों को ठुकराता है।
यह उचित ही था कि इस कदम को भारत सरकार ने तुरंत बेतुका और बेतलब बता दिया। बेशक पाकिस्तान के नए नशे का इससे ज्यादा कोई महा्व नहीं है। खुद पाकिस्तान अपने नशे को लेकर कितना गंभीर हैं, यह इससे जाहिर होता है कि एक तरफ उसने इन इलाकों को पाकिस्तान की सीमाओं के अंदर दिखाया है, वहीं उस पर यह भी लिखा है कि वो विवादित इलाका है और उसकी अंतिम स्थिति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार तय होगी। यानी अपने इलाकों को वह खुद अपना नहीं मानता। दरअसल, नेपाल और पाकिस्तान दोनों ही देशों की तरफ से भारत के प्रति इस तरह नशों को लेकर राजनीति करने के पीछे कई समीक्षक चीन का भी हाथ मानते हैं। जिस तरह से पाकिस्तान ने नए नशे में अपनी पूर्वी सीमाओं को चीन की तरफ खुला रखा है, उससे स्पष्ट है कि चीन और पाकिस्तान पहले से भी ज्यादा सांठ-गांठ के साथ काम कर रहे हैं।