पाकिस्तान में तख्तापलट के आसार

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क्या पाकिस्तान एक और तख्तापलट की तरफ बढ़ रहा है? क्या पाकिस्तान में फिर मिलिट्री राज होगा? ये सुगबुगाहट तब से तेज़ है जब से पाकिस्तानी वज़ीर-ए-आज़म के दफ्तर से आर्मी चीफ़ जनरल कमर बाजवा के नाम एक चिट्ठी जारी हुई है। इस चिट्ठी ने बाजवा को अगले तीन साल के लिए सेना की कमान फिर से सौंप दी है। इसके साथ ही अब ये माना जाने लगा है कि दिखाने को बेशक इमरान खान पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म हैं। मगर मुल्क की असली कमान जनरल बाजवा के हाथों में है। 72 साल के पाकिस्तान के इतिहास में जब जब मुल्क पर संकट आया। तब तब सेना के इन नुमाइंदों ने लोकतंत्र को कुचल कर देश की कमान अपने हाथों में ले ली। फील्ड मार्शल अयूब खान से लेकर याहया खान तक और जिय़ाउल हक़ से लेकर परवेज़ मुशर्रफ तक कुल 35 साल तक पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुल्क पर राज कर चुके हैं और अब एक बार फिर पाकिस्तान उसी राह पर है।

कश्मीर से आर्टिकल 370 भारत ने खत्म किया। मगर मुसीबत पाकिस्तान पर टूटी है क्योंकि पाकिस्तान की सियासत जिस कश्मीर से ही शुरू और कश्मीर पर खत्म होती है। उस कश्मीर को लेकर भारत के फैसले ने पाकिस्तान को बेचैन कर दिया है। अब ये आर्टिकल 370 पाकिस्तान के लिए गले की वो हड्डी बन गया है, जो ना उगली जा रही है ना निगली जा रही है। लिहाज़ा अब एक बार फिर मुल्क की क मान पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ के हाथों में जाती दिख रही है। इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद से हर बड़े मौके पर जनरल कमर बाजवा ही लगातार पाकिस्तान की कमान संभालते नजऱ आए हैं। भले वो चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग से मिलना हो या ट्रंप से मुलाकात की बात हो। कुल मिलाकर अब तक जो खबरें दबी ज़बान में आ रहीं थी। वो इमरान खान के इस फैसले के बाद ज़ाहिर हो गई हैं। जिसमें उन्होंने जनरल कमर बाजवा के आर्मी चीफ के कार्यकाल को तीन साल के लिए बढ़ा दिया है।

यानी अब इस बात की तस्दीक हो गई है कि देश की असली कमान सेना प्रमुख के हाथों में है। ये अंदेशा यूं ही नहीं जताया जा रहा है। पिछले साल हुए पाकिस्तान के चुनाव में इमरान खान की जीत के पीछे सेना के हाथ का दावा किया गया था। विरोधी पार्टी अभी तक ये आरोप लगाती हैं कि इमरान खान को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने वाले जनरल कमर जावेद बाजवा ही हैं। लिहाज़ा ये भी इल्ज़ाम है कि सेना प्रमुख के कार्यकाल को तीन साल और बढ़ाने का ये फैसला भी खुद जनरल कमर जावेद बाजवा का ही है। आपको बता दें कि पाकिस्तान के वर्तमान सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा नवंबर में रिटायर होने वाले थे लेकिन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ऑफिस से इस बात की घोषणा की गई कि जनरल बाजवा और तीन साल के लिए सेना प्रमुख बने रहेंगे। कश्मीर का मौजूदा माहौल पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द है और इस मुश्किल दौर में आर्मी चीफ बाजवा कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं।

पाकिस्तान के पास दुनिया की छठी सबसे बड़ी सेना है। जिसका देश के परमाणु हथियारों पर भी नियंत्रण है और जंग जैसे बनते हालात में पाकिस्तानी सेना पहले की तरह तख्तापलट कर सकती है। आपको बता दें कि पाकिस्तान बनने के बाद से वहां कई बार तख्तापलट किया जा चुका है। पाकिस्तान में ज्यादातर सेना का ही राज रहा है। मौजूदा वक्त में अभी पाकिस्तान में चुनी हुई सरकार है पर पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां इमरान ख़ान को सिलेक्टेड पीएम कहती हैं। यानी जिसे सेना ने मोहरा बना रखा है और अब कमर बाजवा का ये एक्सटेंशन पाकिस्तान की विदेश नीति पर सैन्य वर्चस्व को ही दिखला रहा है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख का वर्चस्व सिर्फ मुल्क की विदेश नीति पर ही नहीं है बल्कि घरेलू मामलों में भी सेना की ही चल रही है। कश्मीर मसले पर भी सेना प्रमुख कमर बाजवा ही बड़े फैसले ले रहे हैं। लिहाज़ा भारत के साथ तनातनी के इस हालात में देश की सत्ता अपने हाथों में लेने के लिए जनरल कमर बाजवा के पास इससे मुफीद मौका हो ही नहीं सकता।

हामिद मीर
(लेखक पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

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