कुछ कथित खोजी पत्रकारों ने छोटे-छोटे अखबारों को इन खबरों से पाट रखा है कि यूपी के तीन हिस्से होंगे, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा और मुरादाबाद जैसे मंडल उत्तराखंड में शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड की सरकारों ने इन खबरों को बेबुनियाद बताया है। केंद्र सरकार ने भी इससे साफ इंकार कर दिया है कि इस तरह का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन है। सरकार इन अफवाहों के पीछे फौरी तौर पर आम आदमी पार्टी का हाथ मान रही है। गृहमंत्रालय से कहा गया है कि वो अफवाह फैलाने वाली इन खबरों की जांच कराए और जो भी इन अफवाहों के लिए जांच में दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ सख्त एक्शन हों, क्योंकि इस तरह की खबरों से समाज में अविश्वास का वातावरण बनता है जो देश हित में नहीं है।
कानून के जानकार हों या फिर संविधान विशेषज्ञ वो भी सब मानते हैं कि पत्रकारिता में आजादी रहनी चाहिए लेकिन निहायत गप्पबाजी भी ठीक नहीं। संविधान सम्मत तरीके से ही राज्यों के पुनर्गठन की प्रक्रिया होती है। बिना राज्यों की सहमति के केंद्र सरकार कोई भी फैसला नहीं ले सकती। मामला कुछ यूं है कि जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन के बाद कुछ छोटे अखबारों के कथित पत्रकारों ने खोजी पत्रकारिता के नाम पर इस तरह की खबरें उछालना शुरू कर दी कि यूपी को तीन हिस्सों में बांटा जाएगा, मुरादाबाद जैसे मंडल उत्तराखंड में जुड़ेंगे और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देकर मेरठ जैसे जिलों व हरियाणा के कुछ हिस्सों को उससे जोड़ा जाएगा। सोशल मीडिया पर भी इन खबरों की बाढ़ सी आ गई। केंद्रीय गृहमंत्रालय के एक आला अधिकारी के मुताबिक इस तरह की झूठी खबरों की सूचना आईबी के जरिए गृहमंत्रालय के पास भी पहुंची हैं और पीएमओ के पास भी। इनकी जांच कराई जाएगी जो भी जिम्मेदार होगा अफवाहें फैलाने के अपराध में केस दर्ज होंगे। जो भी सूचना के माध्यम इस तरह की झूठी खबरें फैला रहे हैं उनके खिलाफ भी एक्शन होंगे। पीएमओ भी इस पर गंभीर है और गृहमंत्रालय भी।