नंबर अब अमरीका का लगेगा

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राजस्थान में कोटा बैराज का पानी छोड़ने से कई कॉलोनियों और मुंबई में चुनावी संत-समागम से कारण बाढ़ की-सी हालत बनी हुई है लेकिन हमारे यहां सीकर में दूर-दूर तक बरसात की कोई संभावना नहीं है। हां, की हुई नालियों में भरे पानी के कारण सडक़ के दोनों ओर सीलन, तेज़ वाहनों के गुजरने के कारण गड्ढों में भरे हुए पानी के छींटे उछलने के कारण बरसात की सी अनुभूति बची हुई है। दिन में प्राय: बिजली गायब रहने से दिवाली का पूर्वाभास होने लगा है। जगह-जगह पड़े कूड़े की मात्रा से भी लक्ष्मी के शुभागमन का संकेत मिल रहा है। हमारा लक्ष्मी के आने-जाने से कोई संबंध नहीं है। न हमें बोनस मिलना और न ही किसी प्रकार की वेतन वृद्धि । वही पेंशन के इने-गिने रुपए मिलने हैं। न हम दुकानदार है और न ही मावे, घी और पनीर वाले जो चीनी और खुशबू मिलकर लोगों को कुछ भी खिला दें।

हां, दिवाली के नाम से हम अपनी किताबों की अलमारियां, टेबल की दराजें साफ़ करके फिर से जमा लेते हैं। ऐसे में कहीं इधर-उधर रखे दस-बीस रुपए या कुछ रेजगारी मिल जाती है जिसे हम दिवाली का या लक्ष्मी जी का प्रसाद मान लेते हैं। सुबह जल्दी आंख खुल गई। चाय बनने में देर थी तो मेज़ की दराजें साफ़ करने लगे। पिछले बीस बरसों में कई रद्द और पुराने हो चुके पासपोर्ट भी थे। वैसे ही उन्हें देख रहे थे। सोच रहे थे, इन्हें फेंक दें या रखे रखें। क्या पता कब, कौनसा विभाग मांग बैठे। जैसे आजकल ट्रेफिक वाले बैलगाड़ी में सवार लगों या पैदल चलने वालों का भी हेलमेट न होने या सीट बेल्ट न लगाने पर चालान काट रहे है। विकास की तीव्र गति है, ऐसे में कुछ भी हो सकता है। क्या पता पोस्ट ऑफिस में रजिस्ट्री करवाने जाएं और वह पुराना पासपोर्ट ही तलब कर ले। दरवाजा खुला था।

पता ही नहीं चला तोताराम आकर हमारे पीछे खड़ा हो गया। बोला- फेंक दे, अब पासपोटों को। सब औपचारिकताएं और बंधन खत्म। आज तक जिसे कोई छू तक नहीं सका उस धारा 370 को मोदी जी और अमित जी ने एक ही झटके में खत्म कर दिया। अब कोई भी, कभी भी, कहीं भी कश्मीर में जा सकता हैं, जमीन खरीद सकता है। कुछ तो कश्मीर गोरी लड़कियों से शादी के जुमले भी फेंकने लगे हैं। अब कश्मीर के बाद अगला नंबर अमरीका का ही है। हमने आश्चर्य से पूछा- तुझे पता है, तू क्या कह रहा है? क्या अमरीका को कश्मीर की तरह भारत का अभिन्न अंग बनाना संभव है? हमने कहा- तोताराम तेरा भी ज़वाब नहीं। कौड़ी तो बहुत दूर की लाया है लेकिन कश्मीर तो हमेशा से भारत का अंग रहा है। वहां हमेशा से हिंदू रहते आए हैं। शैव मत का गढ़ रहा है कश्मीर।

लेकिन अमरीका से तो हमारा ऐसा कोई संबंध नहीं रहा। बोला- तुम आधुनिक तावादी और साम्यवादी इतिहासकारों के चक्कर में मत आओ। हमारे पुराणों और महाकाव्यों को पढ़ो तो पता चलेगा कि कोलंबस से भी हजारों साल पहले हमारा अमरीका पर राज रहा है। भारत के ठीक नीचे पाताल बताया जाता है। यह पाताल और कुछ नहीं, अमरीका ही तो है। यहां का राजा अहिरावण था। लंकापति रावण का भाई, विश्रवा ऋषि का पुत्र। जो समस्त रामसेना को नशे वाली चाय पिलाकर राम और लक्ष्मण का अपहरण करके पाताल ले गया था और वहां उनकी बलि देने वाला था। हमने कहा- बाल्मीकि रामायण में तो कहीं उसका उल्लेख नहीं आता। रामचरितमानस में भी यह प्रसंग कहीं नहीं है। हां, संकटमोचन हनुमानाष्टक और हनुमान चालीसा में ज़रूर आता है।

रमेश जोशी
(लेखक वरिष्ठ व्यंगकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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