दान देते समय कंजूसी न करें और प्रसन्न होकर करना चाहिए दूसरों की मदद

0
1119
दान
दान

सभी धर्मों में दान का विशेष महत्व माना गया है। पूजा-पाठ के साथ ही ये भी एक अनिवार्य कर्म है। दान देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस संबंध में एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार पुराने समय में एक भिखारी रास्ते में बैठा हुआ था। तभी उसके पास राजा अपने मंत्रियों के साथ पहुंचे। राजा ने भिखारी से कहा कि आप मुझे भीख में थोड़ा सा अनाज दे दीजिये। मेरे गुरु ने कहा है कि मुझे किसी भिखारी से भीख लेनी है, वरना हमारे राज्य पर संकट आ जाएगा। मेरी मदद करो और मुझे भीख दे दो। सुनकर भिखारी हैरान हो गया।

राजा उससे भीख मांग रहे थे, वह मना भी नहीं कर सकता था। उसने अपनी झोली में हाथ डाला, मुट्ठी में अनाज लिया और सोचने लगा कि इतना अनाज राजा को दे दूंगा तो मैं क्या करुंगा? मुझे राजा को ज्यादा अनाज नहीं देना चाहिए।

भिखारी ने मुट्ठी में थोड़ा सा अनाज लिया और राजा को दे दिया। राजा ने अनाज लेकर अपने मंत्री को दे दिया। मंत्री ने अनाज के बराबर वजन की एक पोटली भिखारी को दी और कहा कि इसे घर जाकर खोलना।

भिखारी ने घर पहुंचा तो उसने पूरी बात पत्नी को बताई। पत्नी ने पोटली निकाली और उसे खोला तो उसमें सोने के सिक्के थे। ये देखकर उनको समझ आ गया कि राजा ने भीख के बराबर सोने के सिक्के दिए हैं। सोने के सिक्के देखकर भिखारी को और उसकी पत्नी को पछतावा होने लगा कि उसने भीख में थोड़ा सा अनाज क्यों दिया? ज्यादा अनाज देता तो राजा ज्यादा सोना देता। दान देते समय कंजूसी की, इस वजह से हमारा ही नुकसान हो गया।

लाइफ मैनेजमेंट

मान्यता है कि हम जो भी दान देते हैं, उनका कई गुणा होकर हमें वापस मिलता है। दान देते समय कंजूसी नहीं करनी चाहिए। प्रसन्न होकर दान करना शुभ होता है। दान गुप्त रूप से करना चाहिए और दिए गए दान का घमंड भी नहीं करना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here