गनीमत है कि चुनावी बहस के दौरान डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन के बीच मारपीट नहीं हुई लेकिन एक-दूसरे की टांग-खिंचाई में दोनों ने कोई कमी नहीं छोड़ी। अमेरिका में यह एक अच्छा रिवाज है कि राष्ट्रपति के चुनाव में खड़े दोनों उम्मीदवारों के बीच टीवी चैनल पर खुली बहस होती है, जिसे करोड़ों अमेरिकी मतदाता बड़े चाव से देखते हैं। इस बार रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार राष्ट्रपति ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बाइडन के बीच डेढ़ घंटे की जो बहस हुई, उसने अब तक के सारे रेकार्ड तोड़ दिए। ये बहस अगर दोनों पार्टियों की नीतियों पर होती, दोनों पार्टियों की अगली कार्यसूची पर होती और अमेरिका की ज्वलंत समस्याओं पर होती तो अमेरिकी मतदाताओं को कोई दिशा मिलती लेकिन सारी बहस सतही रही।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर दोनों उम्मीदवारों ने चलताऊ टिप्पणियां कर दीं और व्यक्तिगत मामलों पर दोनों ने एक-दूसरे पर सड़कछाप प्रहार कर दिए। जैसा ट्रंप ने बाइडन को कहा कि आपने (सांसद और उप-राष्ट्रपति रहते हुए) 47 साल में जो कुछ किया, उससे ज्यादा मैंने सिर्फ 47 माह में कर दिखाया। बाइडन ने कह दिया कि आप (तुम) अमेरिकी इतिहास के सबसे घटिया राष्ट्रपति रहे हो। दोनों गंभीरता से किसी विषय पर बोलते, इसकी बजाय दोनों एक दूसरे पर शाब्दिक मुक्केबाजी करते रहे। वे एक दूसरे को आप या तुम या तू कह रहे थे, यह भी पता नहीं, क्योंकि इन तीनों के लिए अंग्रेजी में एक ही शब्द प्रयोग होता है, ‘यू’। बाइडेन ने ट्रंप पर नस्ली हिंसा को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया तो ट्रंप ने पूछा कि वे किसे प्रोत्साहित कर रहे हैं।
जब बाइडेन ने ‘प्राउड बॉयस’ नामक नस्लवादी संगठन का नाम लिया तो ट्रंप ने उस संगठन को शाबाशी दे दी। बाइडन ने जब कोरोना पर ट्रंप की विफलता का जिक्र किया तो ट्रंप बोले कि मेरी जगह यदि तुम होते तो 20 लाख लोग मरते। अभी तो दो लाख ही मरे हैं। ट्रंप ने अपनी हेकड़ी मारते हुए यह भी कहा कि चीन, रुस और भारत इस महामारी के बारे में सही दावे नहीं कर रहे हैं। दोनों ने इस महामारी पर 20 मिनिट बात की। एंकर ने ट्रंप को 25 बार टोका कि वे बाइडन को बोलने दें। ट्रंप ने बाइडन को 73 बार टोका। इसका नतीजा यह हुआ कि बाइडन ने ट्रंप को कहा कि ‘शट अप’ याने बकवास बंद करो। 4 नवंबर के पहले तक इसी तरह के दो संवाद दोनों के बीच अभी और होने हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि ये संवाद सिर्फ बोलचाल तक ही सीमित रहेंगे।
डा.वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)