व्यतिपात योग सभी 27 योगों में से 17वां योग है। यह एक अशुभ योग है और कहा जाता है कि अगर इस दिन कोई नया काम शुरू किया जाता है तो यह लोगों के लिए नकारात्मकता, दुख, बीमारी और दुर्भाग्य लाता है। व्यतिपात योग का स्वामी रुद्र है। व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।
वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।
व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।
💥 विशेष ~ व्यतिपात योग – 14 जून 2024 शुक्रवार को रात्रि 07:08 से 15 जून 2024 शनिवार को रात्रि 08:11 तक व्यतिपात योग है।