जानिए नए साल में किन राशियों पर रहेगा शनि का असर

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मिथुन और तुला राशि को रहेगी शनि की अढ़ैया, धनु-मकर-कुंभ को रहेगी शनि की साढ़ेसाती

नवग्रहों में शनि ऐसा ग्रह है जो न्यायप्रिय कहलाता है तथा कर्मों के अनुसार शुभ अशुभ फल देता है, तथापि यह भी सत्य है कि शनि व्यक्ति को प्रत्येक भौतिक सुख से वंचित करने का प्रयास करता है। अत: जिस राशि पर शनि होता है उसे कुछ न कुछ अशुभ फल अवश्य मिलता है। जैसे-राशि का शनि स्वास्थ्य को प्रभावी करता है, बारहवें घर का शनि व्यय में वृद्धि कराता है, दूसरे घर का शनि परिवार में तनाव एवं धन की हानि कराता है। चतुर्थ घर का शनि सुख-शान्ति में कमी। अष्टम घर का शनि वाहन से चोट-चपेट दुर्घटना का संकेत देता है।

शनि के राशि परिवर्तन का प्रभाव – विश्वपटल पर भी शनि के राशि परिवर्तन का व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा। विश्व के कई एक देशों में राजनीतिक उथल-पुथल रहेगी। शासकवर्ग के समक्ष कई एक विषम परिस्थितियाँ उपस्थित होंगी। नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप, आपसी खींचतान की पराकाष्ठा देखने को मिलेगी। प्राकृतिक दैविक प्रकोप, मौसम में अजीबोगरीब परिवर्तन, यान-वाहन दुर्घटना, अग्निजन्य दुर्घटना का संकेत मिलता है। शेयर मार्केट व वायदा मार्केट में विशेष हलचल व उतार-चढ़ाव रहेगा। नये राजनैतिक घोटाले सामने आयेंगे। जिसके फलस्वरूप नाना प्रकार के अकल्पित घटनाएँ भी जन-मानस को प्रभावित करेंगी। शनिग्रह 24 जनवरी, 2020, शुक्रवार को धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। वर्षपर्यंत इसी राशि में रहेंगे।

शनिग्रह की अद्वैया व साढ़ेसाती की अवधि में यदि जन्मकुण्डली में शनिग्रह की स्थिति उत्तम हो या ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तरदशा उत्तम या श्रेष्ठ फलदायी हो तो उन्हें अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का समुचित अवसर मिलता है। जबकि शनि की विपरीत स्थिति में अद्वैया व साढ़ेसाती की अवधि में जीवन में उथल-पुथल व नवसमस्यायें प्रारम्भ हो जाती हैं। जैसे-चलते कारोबार में रुकावट, शारीरिक कष्ट, मानसिक कष्ट, पति-पत्नी में मतभेद, चोट-चपेट, दुर्घटना की आशंका, स्वजनों-परिजनों से अनबन, परिश्रम के बावजूद भी असफलता, परिवार में अलगाव तथा अन्य उलझनें भी झेलनी पड़ती हैं। लेकिन यह अवधि हमेशा प्रतिकूल फलदायी नहीं होती अपितु यदा-कदा जन्मकुण्डली में अच्छा शनि के फलस्वरूप आश्चर्यजनक रूप से सफलता भी प्रदान करती है। जन्मकुण्डली में शनि जिस भाव का अधिपति होगा, शनिग्रह की अनुकूलता-प्रतिकूलता उसी के अनुसार होगी।

जन्मकुण्डली में चन्द्रमा से जब गोचरवश शनिग्रह बारहवें भाव, प्रथम भाव एवं द्वितीय भाव में आते हैं तो ऐसी स्थिति को साढ़ेसाती कहते हैं। शनिग्रह चन्द्रमा से चतुर्थ एवं अष्टम भाव में उपस्थित होने पर अद्वैया कहलाती है। एक राशि में शनिग्रह की स्थिति ढाई वर्ष की होती है। शनिग्रह के वक्री होने की स्थिति में यह अवधि बढ़ भी जाती है। शनि की साढ़ेसाती प्रारम्भ में 100 दिन मुख पर, 400 दिन दक्षिण मुख पर, 600 दिन चरणों पर, 500 दिन उदर पर, 400 दिन वामभुजा पर, 300 दिन मस्तक पर, 200 दिन नेत्रों पर और 200 दिन तक गुदा पर रहती है। जिसका फल इस प्रकार बताया गया है-मुख पर हानि, दक्षिण भुजा पर विजय, चरणों पर विदेश भ्रमण, उदर पर लाभ, वामभुजा पर दुःख, मस्तक पर सौभाग्य की प्राप्ति, नेत्रों पर सुख, गुदा पर आने से दुःख मिलता है। शनिग्रह के धनुराशि में प्रवेश के समय चन्द्र की स्थिति के अनुसार मिथुन, सिंह एवं मकर राशि को स्वर्णपाद, वृष, तुला एवं कुम्भ राशि को रजतपाद, मेष, कन्या एवं धनु राशि को ताम्रपाद तथा कर्क, वृश्चिक एवं मीन राशि को लौहपाद से रहेंगे। ताम्र एवं रजत पाद को शुभ फलदायी माना गया है, जबकि स्वर्णपाद को मिश्रित फलदायी माना गया है। लौहपाद के लिए विपरीत फलदायी माना गया है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में शनि की साढ़े साती तीन बार आती है। प्रथम बार बचपन में आती है जिसका प्रभाव शिक्षा एवं माता-पिता पर पड़ता है। द्वितीय बार युवावस्था में जिसका प्रभाव कर्मक्षेत्र, आर्थिक स्थिति एवं पारिवारिक जीवन पर तथा तृतीय बार वृद्धावस्था में शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से स्वास्थ्य ज्यादा प्रभावित होता है।

मकर राशि के शनि का द्वादश राशियों पर प्रभाव

नववर्ष ई० सन् 2020 में मिथुन एवं तुला राशि वालों को शनिग्रह की अद्वैया, धनु, मकर एवं कुम्भ राशि वालों को शनिग्रह की साढ़ेसाती रहेगी। जिनको शनिग्रह की अद्वैया या साढ़ेसाती हो, उन्हें अपने कार्यों में सूझ-बूझ, सतर्कता व सावधानी रखनी चाहिए। साथ ही शनिग्रह के उपायों को करते रहना चाहिए, जिससे शनिग्रह की अनुकूलता बनी रहे।

मेष-(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ )-आपकी राशि से शनि ग्रह दशम् भाव में रहेंगे।
किसी योजना पर कार्यारम्भ होने की स्थिति बनेगी। परिजनों एंव मित्रों के माध्यम से समस्या समाधान हेतु विचार-विमर्श होगा। आर्थिक-व्यावसायिक प्रगति हेतु किए जा रहे प्रयास सार्थक होंगे। कार्यों के प्रति रुचि बढ़ेगी। राजकीय पक्ष से अपेक्षित सहयोग प्राप्त होगा। सामाजिक गतिविधियों की ओर मन लगेगा। परिवार में मंगल आयोजन का कार्यक्रम बनेगा।

वृषभ-(ई, उ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)-आपकी राशि से शनि ग्रह नवम् भाव में हैं।
कार्य व्यापार में विस्तार व नवपरिवर्तन की दिशा में प्रयास होगा। भाग्योन्नति के नवीन आयाम बनेंगे। अभिलाषा की पूर्ति होगी। वाद-विवाद की निवृत्ति होगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। धनागम का सुअवसर बनेगा। नवसम्पर्क उपयोगी होगा। सन्तान पक्ष का उत्कर्ष होगा। वैवाहिक जीवन में सुखशान्ति रहेगी। सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियां बढ़ेगी।

मिथुन-(का, की, कू, घ, ड, छ, के, को, हा)-आपकी राशि से शनि ग्रह अष्टम् भाव में रहेंगे।
आशा के विपरीत घटनाएँ घटित होंगी। दूसरों के चक्कर में हानि उठानी पड़ेगी। वाहन से चोट-चपेट दुर्घटना का भय बना रहेगा। किसी से वाद-विवाद की आशंका रहेगी। पत्नी के स्वास्थ्य के प्रति चिन्तित रहेंगे। क्रोध की अधिकता रहेगी। किसी से विश्वासघात होगा। कठिनाइयां प्रभावी रहेगी। परिश्रम के बावजूद प्रगति में संशय रहेगा।

कर्क-(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)-आपकी राशि से शनि ग्रह सप्तम भाव में रहेंगे।
व्यक्तिगत जीवन में महत्वपूर्ण घटना घटित होगी। परोपकार की ओर प्रवृत्ति रहेगी। पत्नी के स्वास्थ्य को लेकर चिन्ता कुछ कम होगी।स्थान परिवर्तन की दिशा में कार्यक्रम उपस्थित होगा। अधिकारी वर्ग से अनुकूलता रहेगी। स्थिरता आने से कार्यों में उपस्थित व्यवधान समाप्त होगा। संत समागम होगा। धनोपार्जन का अवसर हस्तगत होगा।

सिंह-(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)-आपकी राशि से शनि ग्रह षष्ठम् भाव में रहेंगे।
नव उत्तरदायित्व का निर्वाह होगा। सद्विचारों के उदय से आत्मिक शांति की अनुभूति होगी। उलझनों से मुक्ति मिलेगी। पारस्परिक संबंध मधुर होंगे। पत्नी पक्ष से सुख मिलेगा। वैमनस्यता में कुछ कमी आयेगी। आत्मीयजनों से सम्पर्क बनेगा। रचनात्मक क्रियाकलापों में अभिरुचि रहेगी। शिक्षा प्रतियोगिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलता मिलेगी।

कन्या -(टो, पा, पी, पू, प, ण, ठ, पे, पो)-आपकी राशि से शनि ग्रह पंचम् भाव में हैं।
कार्य व्यवसाय में उपस्थित गतिरोध समाप्त होगा। योजना को कार्यान्वित करने का सुयोग बनेगा। महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ेगे। सामाजिक गतिविधियों में रुचि लेंगे। आपसी गलतफहमियां दूर होंगी। जन सम्पर्क उपयोगी होगा। नव उत्तरदायित्व का निर्वाह होगा। धर्म-अध्यात्म के प्रति आस्था जागृत होगी। घरेलु वातावरण में हर्षोल्लास रहेगा।

तुला-(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)- आपकी राशि से शनि ग्रह चतुर्थ भाव में रहेंगे।
योजना के शुरुआत में ही व्यतिक्रम उपस्थित होगा। लेन-देन में जोखिम से नुकसान होगा। आय की तुलना में व्यय की अधिकता रहेगी। व्यक्ति विशेष से विश्वासघात संभव होगा। अप्रिय घटना के समाचार से मन व्यथित रहेगा। अधीनस्थ सहयोगियों से असहयोग रहेगा। व्यकित्गत कार्यक्षमता का हास होगा। यात्रा में परेशानी उठानी पड़ेगी।

वृश्चिक-(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)-आपकी राशि से शनि ग्रह तृतीय भाव में हैं।
जीवन में महत्वपूर्ण घटना घटित होगी। प्रेम सम्बन्धों में प्रगाढ़ता आयेगी। आपकी सलाह दूसरों के काम आयेगी। आय के नवीन स्त्रोत उपलब्ध होंगे। परिवार में मंगल आयोजन का कार्यक्रम बनेगा। जिम्मेदारियों को निभाने हेतु प्रयत्नशील रहेंगे। इच्छित पद की प्राप्ति होगी। सामयिक कार्य बनने को होंगे। व्यवसाय में मनोनुकूल स्थितियाँ बनेंगी।

धनु-(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, ढ़े)-आपकी राशि से शनि ग्रह द्वितीय भाव में हैं।
व्यापारिक पहलु को लेकर चिन्तित रहेंगे। जल्दबाजी से नुकसान संभव होगा। राजनेताओं को प्रतिकूलता के दौरान गुजरना पड़ेगा। आत्मीयजनों से अनबन होगा। अधिकारियों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पायेगा। परिवारिक मतभेद उजागर होंगे। सुपरिचित आश्वासन देकर पीछे हट जायेंगे। शारीरिक-मानसिक कष्ट होगा। बकाए धन की प्राप्ति नहीं हो पायेगी।

मकर-(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)-आपकी राशि से शनि ग्रह प्रथम भाव में हैं।
आर्थिक-व्यवसायिक लाभ में कमी रहेगी। व्यर्थ की उलझनें रहेंगी। इच्छित प्राप्ति में अड़चनें आयेंगी। जल्दबाजी में लिया गया निर्णय अहितकर होगा। मेल-मिलाप में अरुचि रहेगी। शत्रु सक्रिय होने की दिशा में प्रयत्नशील रहेंगे। परिवार में किसी बात को लेकर आत्म सन्तुलन बिगड़ेगा। दूसरों की गलती से स्वयं को नुकसान उठाना पड़ेगा।

कुंभ-(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)-आपकी राशि से शनि ग्रह द्वादश भाव में रहेंगे।
परिश्रम के अनुरुप परिणाम नहीं मिल पायेगा। आर्थिक पक्ष से असंतोष रहेगा। विरोधियों का वर्चस्व रहेगा। निर्णय लेने में पेरशानी महसूस होगी। संतान पक्ष से कष्ट होगा। श्रेष्ठजनों की सलाह अमान्य होगी। लाभार्जन का मार्ग अवरुद्ध रहेगा। शिक्षा-प्रतियोगिता के क्षेत्र में असफलता हाथ लगेगी। सुख-सुविधाओं में कमी महसूस होगी। प्रतिष्ठा पर आघात होगा।

मीन-(दी, दू, थ, झ, भ, दे, दो, चा, ची)-आपकी राशि से शनि ग्रह एकादश भाव में रहेंगे।
भाग्योन्नति के नवीन आयाम सुलभ होंगे। वाद-विवाद की स्थिति में कमी महसूस होगी। योजना फलीभूत होंगी। नौकरी में स्थानान्तरण विषयक मसला सुलझेगा। उपहार या सम्मान का लाभ मिलेगा। परिवारिक संबंधों में उपस्थित व्यवधान समाप्त होगा। नवसम्पर्क उपयोगी होगा। अपेक्षा के अनुरुप घटनाएँ घटित होंगी। यात्रा का कार्यक्रम उपस्थित होगा।

विमल जैन

              (लेखक हस्तरेखा विशेषज्ञ रत्न परामर्शदाता,रत्न परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिषी एवं वास्तुविद है)

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