चिदंबरम पर कांग्रेस का इंदिरा जैसा बवाल!

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‘आपकी मदद से मैं इन लोगों को जेल के दरवाजे तक ले गया हूं। कोई जमानत पर है, कोई अभी डेट ले रहा है। लोग चक्कमर काट रहे हैं लेकिन 2014 से मेहनत करते-करते, पुराने अफसर गए और नए आए हैं तो कागज भी हाथ लगने लगे हैं। बराबर मामला सीधी दिशा में जा रहा है । वर्ष 2014 से अब तक मैं उन्हेंज जेल के दरवाजे तक ले गया हूं लेकिन वर्ष 2019 के बाद…… “ नरेंद्र मोदी का 31 मार्च 2019 के चुनावी भाषण का यह वीडियो 21 अगस्त को रात 10 बजे तब से वायरल है जब पी.चिदंबरम को सीबीआई ने उन के घर की दीवार फांद कर गिरफ्तार किया।

पी.चिदंबरम की गिरफ्तारी से राजनीतिक बवाल बना है। कांग्रेस ने यह कहते हुए सुप्रीमकोर्ट से जमानत नहीं दिए जाने पर सवाल खडा किया है कि चिदंबरम के अधिकारों का हनन हुआ है। जस्टिस रमन्ना ने यह कहते हुए सुनवाई नहीं की थी कि केस उनको मेंशन नहीं हुआ है। चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि चार दिन पहले उन्होंने खुद हाईकोर्ट से हुई जमानत के एक फैसले को पलटते हुए जमानत को रद्द कर दिया था, जबकि वह केस भी मेंशन नहीं था|

असल में वह केस गंभीर फ्राड का मामला था और गंभीर फ्राड जांच एजेंसी को अभियुक्त के विदेश भाग जाने की आशंका थी इसलिए जस्टिस रमन्ना ने जांच एजेंसी की याचिका पर जमानत रद्द की थी। जस्टिस रमन्ना ने कपिल सिब्बल की यह दलील यह कहते ठुकरा दी थी कि वह अलग तरह का मामला था।

हाईकोर्ट के यह कहने के बावजूद कि यह राजनीतिक मामला नहीं है, कांग्रेस ने इसे राजनीतिक मामला बना कर पेश किया है। पहले पी. चिदंबरम को कांग्रेस कार्यालय में बचाव करने दिया गया। फिर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी पर हंगामा खड़ा किया। गिरफ्तारी के अगले दिन गुरूवार को गिरफ्तारी के विरोध में बाकी विपक्षी दल भी जंतर मंत्र पर कांग्रेस के साथ आ खड़े हुए।

जबकि इस से पहले कांग्रेस की नीति भ्रष्टाचार के मामलों में वांछित या चार्जशीटेड अपने ही नेताओं को उन का व्यक्तिगत मामला बताने की रही है| चाहे वह शहरी विकास मंत्री रहते अवैध आवंटन में फंसे पी.के.थुंगन रहे हों , पेट्रोल पम्प आबंटन में जुर्माना होने पर सतीश शर्मा रहे हों या टेलीफोन घोटाले में सुखराम रहे हों या हवाला घोटाले में विध्याचरण शुक्ल, माधवराव सिंधिया , कमलनाथ रहे हों। कांग्रेस ने कई बड़े नेताओं का टिकट काटने में भी परहेज नहीं किया था।

कांग्रेस ने पी.चिदंबरम को इंदिरा गांधी की तरह राजनीतिक कद्दावर नेता बनाने की कोशिश की है , जिन की 1978 में हुई गिरफ्तारी पर देश भर में कांग्रेसियों ने बवाल खड़ा कर दिया था , यहाँ तक कि गिरफ्तारी के खिलाफ विमान अपहरण तक किया गया था। इंदिरा गांधी जब चिकमंगलूर से उप चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंच गई थी तो प्रीविलेज कमेटी ने सदन में उन के खिलाफ संसद के विशेषाधिकार हनन की रिपोर्ट पेश कर दी थी , जिस पर उन्हें संसद सत्र के आख़िरी दिन तक जेल भेजने का प्रस्ताव रखा गया , जिसे सदन ने मंजूर कर लिया था।

लोकसभा स्पीकर ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया तो दिल्ली पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए संसद के दरवाजे पर खडी थी तो इंदिरा गांधी पुलिस को चकमा देने के लिए बहुत देर तक दरवाजे बदलती रही, फिर वह संसद के उसी दरवाजे से बाहर निकलीं जहां से वह प्रधानमंत्री की हैसियत से बाहर निकला करती थीं , जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया । पी.चिदंबरम ने भी कुछ ऐसा ही किया। जब सीबीआई उन्हें गिरफ्तार करने उन के घर गई तो उसे दरवाजा फांद कर अंदर जाना पड़ा , टीम जब गिरफ्तार कर बाहर निकली तो कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने कार को चारों तरफ से घेर कर हुडदंग मचाया।

अजय सेतिया
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं…

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