आज तोताराम फिर एक नई खबर के साथ हाजिर हुआ, बोला – आ जा मास्टर, जब तक चाय बने तब तक थोड़ा गर्व की गरमी से फूल कर फुरफुरी ले लें। हमने कहा – गर्व किसी के दिए से आता है क्या? वह तो मन-मस्तिष्क की एक आतंरिक, सार्थक और सकारात्मक अनुभूति है जो आपको और बेहतर करने को प्रेरित करती है। बोला-खुद कुछ किए बिना बिना भी ज्ञान और जानकारी से गर्व आता है। जैसे भले ही हमें पटेल की दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा से कुछ मिले या न मिले, फिर भी जब सामान्य ज्ञान की किसी किताब में बच्चा पढ़ता है कि अमेरिका की लिबर्टी की मूर्ति से भी दुगुनी ऊँची मूर्ति हमारे देश में है तो उसका मनोबल में कुछ तो बढ़ोतरी होगी ही। हमने कहा-जब तक बता न लेगा तब तक तू न दुख शान्ति से बैठेगा और न हमें बैठने देगा। तो बता ही दे कि हम गर्व क्यों करें? बोला- नेपाल एक 35 वर्षीय ड्राइवर यज्ञ बहादुर कटवाल की जीभ इतनी लम्बी है कि वह अपना माथा अपनी ही जीभ से चाट सकता है।
हमने कहा- लेकिन वह तो नेपाल का है। हम उस पर कैसे गर्व कर सकते है? बोला – एवरेस्ट नेपाल में है लेकिन बहुत से लोग को यह पता नहीं। वे उसे भारत में ही समझते हैं और गर्व कर लेते हैं। इसी तरह से नेपाल भारत का पड़ोसी है और एकमात्र हिन्दु राष्ट्र है। क्या हमारे गर्व करने के लिए इतना पर्याप्त नहीं है? हमने कहा- ठीक बात है तोता राम। बहुत बार व्यक्ति को अज्ञान और लापरवाही के कारण अपनी महानता का ज्ञान नहीं होता। भारत के साथ भी यही मामला है। वह दुनिया का सबसे प्राचीन, महान, ज्ञान-विज्ञान और सभी मानवीय गुणों में अग्रगण्य देश है। जब हमारे इतिहास का कोई सच्चा ज्ञाता हमें बताता है तो आंखें खुलती हैं। इसलिए जीभ की लम्बाई के मामले में यदि तू ध्यान से देखेगा तो पता चलेगा कि हमारे देश में हजारों किलोमिटर लम्बी जीभ वाले महामानव भरे पड़े हैं।
हमने कहा- ऐसी बात नहीं है। ऐसे-ऐसे करोड़ों लोग भरे पड़े है। जो अपना माथा तो बहुत छोटी बात है, यहां दिल्ली में बैठे-बैठे ही अमेरिका में बैठे ट्रंप के तलबे चाट सकते हैं। विदेश में बैठे-बैठे स्टेट बैंक के ग्यारह हजार करोड़ चाट जाते हैं।
एक बड़ा नेता दिल्ली में थूकता है। वह थूकने का विशेषज्ञ है। उसके पास थूककर चाटने का समय नहीं है। इसलिए उसका थूका हुआ कहीं दूसरे मंत्रालय या राज्य में बैठा हुआ उसका भक्त अपनी लम्बी जीभ से चाट लेता है। क्या यह दुनिया का सबसे लंभी जीभ होने का प्रमाण नहीं है? बहुत से लोगों की जीभ इतनी लंबी होती है कि वह भीड़ में से होती हुई, जुतों-मोजों को खोलती-हटाती तलुवों तक पहुंचकर अवतारी नेता के चरणों को चाट लेती है। हमारे यहां तो लम्बी जीभ के ऐसे-ऐसे रिकार्ड हैं कि एक व्यक्ति रेडियो-टीवी और टेली कॉन्फ्रेंसिंग से चाय पर चर्चा के बहाने देश के 125 करोड़ लोगों का दिमाग चाट जाता है। वैसे आज भी दुनिया में ऐसे पिछड़े लोग हैं, जो अपना थूका हुआ भी नहीं चाट सकते और पिछड़ते चले जाते हैं।
लेखक
रमेश जोशी