गुरु प्रदोष व्रत

0
323

देवाधिदेव महादेव की आराधना से होगी सौभाग्य व विजय की प्राप्ति
गुरु प्रदोष व्रत से होते हैं भगवान शिवजी प्रसन्न

तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान शिव को देवाधिदेव महादेव माना गया है। इनकी कृपा से जीवन में भौतिक सुख, ऐश्वर्य, वैभव, सौभाग्य व विजय की प्राप्ति होती है। भगवान शिवजी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है। जिसमें प्रदोष एवं शिवरात्रि व्रत प्रमुख रूप से हैं। प्रदोष व्रत से दुःख दारिद्रय का नाश होता है। जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली आती है, साथ ही जीवन के समस्त दोषों का शमन भी होता है। प्रत्येक माह के दोनों पक्षों को त्रयोदशी तिथि जो प्रदोष बेला में मिलती हो, उसी दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बार 16 मई, गुरुवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि वैशाख शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि 16 मई, गुरुवार को प्रातः 8 बजकर 16 मिनट पर लगेगी। जो कि 17 मई, शुक्रवार को प्रातः 6 बजकर 05 मिनट तक रहेगी। जिसके फलस्वरूप 16 मई, गुरुवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत की विधि- ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होना चाहिए। अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के पश्चात अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, दन्ध व कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रतकर्ता को दिनभर निराहार रहना चाहिए। सायंकाल पुनः स्नान करके यथासम्भव धुले हुए या स्वच्छ वस्त्र धारण कर प्रदोष काल में श्रद्धा भक्ति व आस्था के साथ भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथना षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। शिव भक्त अपने मस्तिष्क पर भस्म और तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा विशेष लाभकारी होती है। भगनाव शिवजी की महिमा में शिवमन्त्र का जप तथा स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोष स्तोत्र का पाठ एवं प्रदोष व्रत कथा का पठन या श्रवण अवश्य करना चाहिए। इससे मनोकामना की पूति होती है। व्रत से सम्बन्धित कथाएं सुननी चाहए। यह व्रत महिलाएं एवं पुरुष दोनों के लिए शुभ फलदायी है। इस दिन अपनी दिनचर्या सुव्यवस्थित रखते हुए भगवान शिवजी की आराधना करनी चाहिए। शिवजी की महिमा में रखे जाने वाले प्रदोष व्रत जीवन के समस्त दोषों का शमन करके सफलता का मार्ग पशस्त करता है। व्रत के दिन व्रतकर्ता को नियमित संयमित रहते हुए शुचिता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। व्रत के दिन यथाशक्ति ब्राह्मणों को दान तथा बेसहरा एवं असहायों की सेवा व सहायता करनी चाहिए। श्रद्धा-भक्तिभाव के साथ किए गए प्रदोष व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली मिलती रहती है तथा शिवजी की कृपा से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

वार के अनुसार प्रदोष व्रत के लाभ – प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि प्रत्येक दिन के प्रदोष व्रत का अलग-अलग महत्व है। जैसे – रवि प्रदोष- आयु, आरोग्य, सुख-समृद्धि, सोम प्रदोष – शान्ति एवं रक्षा, भौम प्रदोष –कर्ज से मुक्ति, बुध प्रदोष- मनोकामना की पूर्ति, गुरु प्रदोष –विजय व लक्ष्य की प्राप्ति, शुक्र प्रदोष –आरोग्य, सौभाग्य एवं मनोकामना पूर्ति, शनि प्रदोष –पुत्र सुख की प्राप्ति। प्रदोष व्रत से शिवभक्तों का निरन्तर कल्याण होता रहता है। कलियुग में प्रदोष व्रत शीघ्र फलदायी बतलाया गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here