अभी गणेश उत्सव चल रहा है। इन दिनों गणेशजी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। गणेशजी की एक प्राचीन और अद्भुत प्रतिमा छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बैलाडीला की 3 हजार फीट ऊंची बैलाडीला पहाड़ी पर स्थित है। ये मूर्ति ढोलकल गणेश के नाम से जानी जाती है। जानिये इस मूर्ति से जुड़ी खास बाते…
क्षेत्र से जुड़ी मान्यता
ये मूर्ति 10 वीं सदी है। क्षेत्र में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार जब गणेश और परशुराम के बीच युद्ध हुआ, तब परशुराम के फरसे के प्रहार से यहीं गणेशजी का एक दांत टूटा था। बाद में नागवंशी राजाओं ने इस शिखर पर गणेश की प्रतिमा स्थापित की। परशुराम के फरसे से गणेश का दांत टूटने की वजह से पहाड़ी के नीचे स्थित गांव का नाम फरसपाल पड़ा है। गणेशजी की ये प्रतिमा 6 फीट उंची 2.5 फीट चौड़ी ग्रेनाइट पत्थर से बनी हुई है। ये मुर्ति वास्तुकला से नजर से भी बहुत खास है। इस प्रतिमा में उपरी दांए हाथ में फरसा, ऊपरी बाएं हाथ में टूटा हुआ एक दंत, नीचे दाएं हाथ में अभय मुद्रा में अक्षमाला धारण, नीचे बाएं हाथ में मोदक धारण किए हुए हैं। नागवंशी शासकों ने इस मूर्ति के निर्माण करते समय एक चिन्ह मूर्ति पर अंकित कर दिया था। गणेशजी के पेट पर नाग का चिह्र बना हुआ है। इस प्रतिमा का वजह करीब 100 किलो है। ये दुर्लभ प्रतिमा रायपुर से 385 किमी दूर दक्षिणा बस्त जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा से 24 किमी दूर बैलाडीला की पहाड़ी पर स्थित है। ढोलकल जाने के लिए पहले दंतेवाड़ा पहुंचना होता है। जगदलपुर से दंतेवाडा स्टेट हाईवे नंबर 16 से जुड़ा हुआ है। दंतेवाड़ा के लिए रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव से बसें मिल जाती है। ट्रेन से आना चाहते हैं तो आपको रायपुर से ट्रेन मिल जाएंगी।