पृथ्वी पर गंगा अवतरण का पावन पर्व है गंगा दशहरा
गंगा स्नान से होगा समस्ता पापों का शमन
दान से कटेंगा 10 प्रकार के पाप
भारतीय संस्कृति के सनातम धर्म में हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह के व्रत त्योहार जयन्ती की विशेष महिमा है। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन राजा भगीरथ का विशेष तपस्या से गंगाजी का अवतरण स्वर्ग से पृथ्वी पर हुआ था। गंगाजी को समस्त नदियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को संवत्सर का मुख भी माना गया है। इस बार गंगा दशहरा 12 जून, बुधवार को विधि विधानपूर्वक मनाया जाएगा। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिति 11 जून, मंगलवार की रात्रि 8 बजकर 20 मिनट पर लगेगी जो कि अदले दिन 12 जून, बुधवार की सायं 6 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। गंगा दशहरा के पावन पर्व पर गंगा स्नान करने पर 10 जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। जिसमें 3 प्रकार कायिक (शारीरिक), 4 प्रकार के वाचिक, 3 प्रकार के मानसिक दोषों का शमन होता है।
गंगाजी की आराधना की विधि – इस पर्व पर माता गंगाजी की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए। पूजा के अन्तर्गत 10 प्रकार के फूल अर्पित करके 10 प्रकार के नैवेद्य, 10 प्रकार के ऋतुफल, 10 ताम्बूल, दशांग, धूप के साथ 10 दीपक प्रज्यवलित करना चाहिए। गंगा अवतरण से सम्बन्धित कथा का श्रवण, श्रीगंगा स्तुति एवं श्रीगंगा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि आज गंगा दशहरा के पर्व स्नान-ध्यान करने के पश्चात आज विशेष पर्व पर स्नान-ध्यान, देव-अर्चना के पश्चात दस ब्राह्मणों को 10 सेर तिल, 10 सेर जौ, 10 सेर गेहूं दक्षिणा के साथ देने पर जीवन में अनन्त पुण्यफल की प्राप्ति होती है। आज के दिन रात्रि जागरण का भी विशेष महत्व है। गंगा अवतरण से सम्बन्धित कथा का श्रवण एवं श्री गंगा स्तुति, श्रीगंगा स्तोत्र का पाठ भी किया जाता है। अपनी दिनचर्या नियमित संयमित रखते हुए गंगा दशहरा का पावन पर्व हर्ष व उमंग के साथ मनाकर जीवन में सुख-समृद्धि की ओर अग्रसर होना चाहिए। धार्मिक व पौराणिक मान्यता के अनुसार काशी में दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान के पश्चात श्री दशाश्वमेधेश्वर महादेव के दर्शन-पूजन की विशेष महिमा है।