क्रोध का प्रतिकार

1
689

एक बार की बात है भगवान श्रीकृष्ण, बलदेव एवं सात्यकि रात्रि के समय सघन वन में रास्ता भटक गये। आगे की राह दिखाई नहीं दे रहा था। तब निर्णय हुआ कि घोड़ो को बांध कर रात्रि विश्राम किया जाय। जंगल घना था जंगली जानवर आने के खतरे थे इसलिए तय हुआ कि तोनों बारी-बारी जग कर पहरा देंगे। सबसे पहले सात्यकि जागे बाकी दोनो सो गये। तभी एक पिचाश पेड़ से उतरा और सात्यिक को मल्ल-युद्ध के लिए ललकारने लगा। पिशाच की ललकार सुन कर सात्यिक क्रोधित हो गये। दोनों में मल्लयुद्ध होने लगा। सात्यकि जितना क्रोध करते पिचास का आकार उतना ही बढ़ता जाता।

मल्ल-युद्ध में सात्यकि को बहुत चोटें आईं! एक प्रहर बीत गया अब बलदेव जागे! सात्यकि ने उन्हें कुछ नहीं बताया और सो गये। बलदेव को भी पिचाश से ललकारा। बलदेव क्रोध-पूर्वक पिशाच से भिड़ गये। लड़ते हुए एक प्रहर बीत गया। युद्ध में बलदेव को बहुत चोटें आई। अब श्रीकृष्ण की जगने की पारी थी। बलदेव ने भी श्रीकृष्ण को कुछ नहीं बताया और सो गए। श्रीकृष्ण के सामने भी पिशाच की चुनौती आई। पिशाच जितने अधिक क्रोध में श्रीकृष्ण को संबोधित करता श्रीकृष्ण उतने ही शांत-भाव से मुस्करा देते। ऐसे होते-होते पिशाच अंत में एक कीड़े जितना रह गया।

जिसे श्रीकृष्ण ने अपने पटुके के छोर में बांध लिया। सुबह सात्यकि व बलदेव ने अपनी दुर्गति की कहानी श्रीकृष्ण को सुनाई तो श्रीकृष्ण ने मुस्करा कर उस कीड़े को दिखाते हुए कहा यही है वह क्रोध-रूपी पिशाच जितना तुम क्रोध करते थे इसका आकार उतना ही बढ़ता जाता थाष, पर जब मैंने इसके क्रोध का प्रतिकार क्रोध से न देकर शांत-भाव से दिया तो यह हतोत्साहित हो कर दुर्बल और छोटा हो गया। अतः क्रोध पर विजय पाने के लिये संयम से काम ले!

1 COMMENT

  1. Thank you so much for giving everyone an extremely special possiblity to check tips from here. It really is very useful plus jam-packed with amusement for me and my office fellow workers to visit your web site a minimum of 3 times in a week to read the newest guidance you have. And definitely, I am actually motivated with your amazing ideas you give. Selected 2 facts in this article are basically the most beneficial we have ever had.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here