एक धनवान व्यक्ति ने संत से कहा कि मेरे पास बहुत धन है, सुख-संपत्ति है, लेकिन मेरा मन अशांत है, कोई उपाय बताएंए जिससे मुझे शांति मिल सके पुराने समय में किसी नगर में एक धनवान सेठ था। उसके पास सुख.सविधा और धन.संपत्ति की कोई कमी नहीं थी। घर.परिवार में भी सब कुछ ठीक था, लेकिन उसका मन अशांत था। बहुत कोशिश के बाद भी उसके मन को शांति नहीं मिल रही थी। एक दिन उसके नगर में विद्वान संत आए। जब सेठ को संत के बारे में मालूम हुआ तो वह भी उनसे मिलने पहुंचा। सेठ ने संत को प्रणाम किया और कहा कि गुरुदेव मेरे पास धन.संपत्ति बहुत है, लेकिन मेरा मन अशांत है, मुझे ठीक से नींद नहीं आती और मानसिक तनाव बना रहता है। संत ने उससे कहा कि मैं तुहारी समस्या का निवारण कर दूंगा, लेकिन पहले तुम मुझे दूध का दान करो संत ने कहा कि ठीक है मैं अभी दूध ले आता हूं।
थोड़ी ही देर में सेठ दूध लेकर संत के पास पहुंच गया। सेठ को देखकर संत ने अपना एक बर्तन आगे बढ़ायाए उस बर्तन में सैकड़ों छेद थे। सेठ बर्तन देखकर हैरान हो गयाए वह बोला कि गुरुजी इसमें दूध डालूंगा तो टिकेगा नहीं, नीचे गिर जाएगा। कृपया आप कोई दूसरा बर्तन निकालें, जिसमें कोई छेद न हो। संत ने सेठ से कहा कि तुम सही बोल रहे हो, इस बर्तन में छेद हैं, इस कारण दूध नहीं टिकेगा। ठीक इसी तरह तुहारे मन में भी क्रोध और लालच की वजह से सैकड़ों छेद हो गए हैं, इन छेदों की वजह से मेरा उपाय तुहारे मन में टिक नहीं सकेगा। जब तक मन में ये छेद रहेंगे, तुहें शांति नहीं मिल सकती। सबसे पहले तुम्हें क्रोध को काबू करना होगा और लालच छोडऩा होगा। अपने धन को परोपकार में खर्च करोगे तो तुम्हें शांति मिल सकती है। रोज मंत्र जाप और ध्यान करोगे तो क्रोध को काबू किया जा सकता है। सेठ को संत की बातें समझ आ गई और उसने इन बुराइयों को छोडऩे का संकल्प लिया।