क्यों धार्मिक ध्रुवीकरण का ही सहारा!

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लकसभा चुनाव का सातवां और आखिरी चरण नजदीक आते-आते भारतीय जनता पार्टी अपने तीन दशक पुराने मुद्दों पर लौट गई है। मुद्दों के लिहाज से भाजपा की यह घर वापसी पांचवें चरण से ही शुरू हो गई थी। पर आखिरी दो चरण आते आते यह पूरा हो गया। भाजपा अब बहुत ज्यादा जोर से यह बात कह रही है कि वह सरकार में आई तो अनुच्छेद 370 हटाएगी। यह भाजपा के सबसे पुराने मुद्दों में से एक है। इसी तरह भाजपा के नेता जय श्री राम का नारा भी लगाने लगे हैं। कम से कम एक राज्य पश्चिम बंगाल में यह नारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दोनों लगा रहे हैं और पार्टी इसी नारे पर चुनाव लड़ रही है। यह नारा तीन दशक पुराना है। जब मंदिर आंदोलन चरम पर था तब विश्व हिंदू परिषद ने दो नारे गढ़े थे। उनमें से एक नारा था गर्व से क हो हम हिंदू हैं और दूसरा नारा था-जय श्री राम! तीन दशक बाद भाजपा पश्चिम बंगाल में यह नारा लगा रही है।

हैरानी की बात है कि , उत्तर प्रदेश में जहां रामलला टेंट में विराजमान हैं वहां भाजपा यह नारा नहीं लगा रही है। क्योंकि यह नारा लोगों के पुराने जख्मों को हरा कर देगा और उनके साथ हुए धोखे की याद ताजा हो जाएगी। बहरहाल, आखिरी चरण आते आते हिंदू मुस्लिम के आधार पर धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास भी तेज हो गया है। बिहार में भी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास किया गया था पर नीतीश कुमार के कारण ऐसा नहीं हो सका। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सभाओं में वंदे मातरम का नारा लगाना भी बंद कर दिया। एक सभा में उन्होंने यह नारा लगवाया पर मंच पर बैठे नीतीश कुमार इससे असहज हो गए। उसके बाद अगली ही सभा में वंदे मातरम का नारा बंद हो गया। पर उत्तर प्रदेश और बंगाल में भाजपा ऐसे ही नारों के आधार पर ध्रुवीकरण करा रही है। अमित शाह ने कई बार कहा कि पार्टी सरकार में आई तो अनुच्छेद 370 खत्म कर देगी। हालांकि पांच साल सरकार में रहने के बावजूद भाजपा ने इसे खत्म क रने का कोई प्रयास नहीं किया।

उलटे भाजपा जिस पीडीपी के ऊपर अलगाववादियों का हमदर्द होने का आरोप लगाती थी और अनुच्छेद 370 का समर्थक बताती थी उसी के साथ तालमेल करके सरकार भी बना लिया। केंद्र और राज्य दोनों में सरकार होने के बावजूद 370 अनुच्छेद खत्म करने का कोई ठोस प्रयास नहीं हुआ पर कश्मीर के भावनात्मक मुद्दे को भुनाने के लिए अब इसका प्रचार हो रहा है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व यानी प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लिए सबसे ज्यादा चिंता वाला प्रदेश उत्तर प्रदेश है। वहां विपक्ष एकजुट होकर लड़ रहा है और भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान होने की चिंता है। तभी इस नुकसान को कम करने के लिए ईद और दिवाली पर बिजली की सप्लाई का मुद्दा बनाया जा रहा है तो अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा और बसपा के नेताओं पर हमला करते हुए उनको कसाइयों का दोस्त बताया है। यह बहुत स्पष्ट रूप से हिन्दू और मुस्लिम के नाम पर ध्रुवीकरण का प्रयास है।

ध्यान रहे दो साल पहले विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में कब्रिस्तान और श्मशान का मुद्दा बनाया था। अब विपक्ष को कसाइयों का दोस्त बता कर सामाजिक विभाजन बढ़ाने का प्रयास हो रहा है। अमित शाह हर सभा में विपक्षी नेताओं को आतंकवादियों को चचेरा, ममेरा भाई भी बता रहे हैं। पर ऐसा लग रहा है कि राज्य में बना सामाजिक समीकरण धार्मिक ध्रुवीकरण के प्रयासों पर भारी पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश की चिंता के साथ ही पश्चिम बंगाल भी जुड़ा है। भाजपा को लग रहा है कि यूपी के नुकसान की भरपाई पश्चिम बंगाल से हो सकती है। ध्यान रहे बंगाल में करीब 30 फीसदी आबादी मुस्लिम है। तभी भाजापा सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण की उम्मीद है। राज्य के कई इलाकों में सांप्रदायिक तनाव की इतिहास रहा है। कई इलाकों में दुर्गापूजा को लेकर विवाद होता रहा है। तभी भाजपा ने जय श्री राम का नारा झाड़ पोंछ कर निकाला है और आरोप लगाया है कि राज्य सरकार इस नारे पर लोगों को गिरफ्तार कर रही है। मोदी शाह दोनों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती दी है कि वे यह नारा लगाएंगे अगर उनकी पुलिस में दम है तो उन्हें गिरफ्तार करें।

सुशांत कुमार
लेखक स्तंभकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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