कैसे जरूरत के हिसाब से अंगदान नही होता, अब आप 40 लाख देकर किडनी बदलवा देते हो। अब पैसे दिए हो तो 16 से 25 आयु के आसपास की मजबूत किडनी ही लगाएगा डाक्टर…। आखिर बॉडी पार्ट्स कहाँ से आते है… मुर्दाघरो में पड़ी लाशो से या एक्सीडेंट में मरने वालो से… ये पर्याप्त नहीं होती और 16 से 25 के लड़के ज्यादातर नशा करके अपने ज्यादातर पार्ट खराब कर चुके होते हैं…। एक जगह है…!! और वो है… हमारे देश भारत में मध्यम दर्जे के परिवार की लड़कियां…!!! ये लड़कियां सिगरेट, गुटखा या शराब का सेवन नहीं करती और शरीर को सुसज्जित रखती हैं। इनके दाँत, हड्डी, आँते, चमडा़, क्रेनियम, लीवर, किडनी, हृदय सब सही और ट्रांसप्लांट के लिए परफेक्ट होता है। इन लडकियों में ‘लवबग’ औऱ नोकरी का झांसा डालकर इनको कहीं भी ले जाना आसान होता है…। लावबग का मतलब है दिमाग मे प्रेम-प्यार का कीड़ा या नोकरी दिलाने के लिए। इसीलिए दिसम्बर महीने में ही अधिकांश लव प्रोमोटिंग फिल्मे आती हैं। दिसम्बर में फ़िल्मी हीरोटाइप राज, करन, राहुल, टाइप जैसे आशिक घूमना शुरू करते हैं…औऱ नोकरी देने के लिए दोस्त, रिश्तेदार या फ़र्ज़ी कंपनी के ये बंदे कोई लवर या अपने रिश्तेदार नही बल्कि प्रोफेशनल क्रिमिनल होते हैं। ये पैसे के लिए कुछ भी कर सकते है। हर साल फरवरी के अंत तक मध्यम दर्जे के परिवार की 2 से 4 लाख लडकियां घर से गायब हो जाती हैं। ऐसा सरकारी आंकड़ों से एक रिपोर्ट के माध्यम से खुलाशा हुआ है। जो हमारे समाज के लिए एक बड़ा ही सोचनीय प्रश्न है।
ऐसा मानना है कि आशिकी में घर से भाग गयी युवती पर ना तो कोई केस बनता है और न ही ऐसे मामलों में उन्हें खोजने की कोई कोशिश ही करता है और अंत में उनका एक बाल तक नही मिलता…जरा सोचिये, ये लड़किया कहाँ पहुँच जाती है? यह हमारे समाज को झकझोर देने वाला वाक्य है। अब ऐसे में क्या कोई अभिभावक अपने बच्चों के साथ चैबीसों घंटे तो रह नहीं सकता। क्योंकि उसे अपने परिवार का लालन-पालन भी करना होता है या यूं कह सकते हैं कि हमारे बच्चे अपने घरों से दूर पढ़ाई-लिखाई करने जाते हैं। जो सालों तक हास्टलों में रहकर अपनी पढ़ाई करते हैं। रही बात ऐसे परिवारों की जिनकी बेटियां सिर्फ चारदीवारी में दम घुटने को मजबूर हैं। ऐसे समय में अब मध्यम दर्जे के परिवार की बच्चियां क्या करेंगी। आप अच्छी तरह समझ सकते हो, जैसे ही कोई लवेरिया पकड़ा जाता है नेता और मिडिया इसमें फुदकना शुरू कर देते है जाति धर्म के नाम पर तरह-तरह की बातें करते हैं। और आखिर में वह परिवार या पलायन कर देता है या फिर परिवार सहित मौत को गले लगा लेते हैं। असल में पहले तो इन बच्चियों का भरपूर शारीरिक शोषण किया जाता है उसके पश्चात हत्या कर दी जाती है और अंग व्यापार से इनकी कमाई होती है। अभी आप गूगल पर सर्च करके अंगो के भाव देखिएगा तो आप भी अर्श्यचकित हो जायेंगे। फिर अंग प्रत्यारोपण का खर्च देखें तो आप की जुबां दबी की दबी रह जायेगी। क्योंकि एक गरीब परिवार के बसकी उस खर्चे को वहन कर पाना चने चबाना जैसा है। अगर एक लडकी की बॉडी को ढंग से खोले, और प्रत्यारोपण योग्य अंगों की सही कीमत लगे तो कम से कम 5 करोड़ आराम से मिल जाता है ऐसा अनुमान है।
इसीलिए लव और मानव तस्करी पर ना तो कभी कोई कानून बनता है और ना ही कोई बनने देता है। क्योंकि ऐसे भेड़िए आपको मिल ही जायेंगे जो इस घिनौने कार्य को अंजाम देते हैं।
एक बहुत बड़ी बात तो यह कि कभी भी किसी नेता या बिजनेसमेन की बेटी घर से नहीं भागती और न ही गायब होती है। हमेशा वही लडकियां गायब होती हैं। जिनके परिवार की कोई राजनितिक या क़ानूनी पकड़ नहीं होती। ऐसा परिवार जो अपने पालन-पोषण में लगे रहते हैं। ऐसे परिवार सरकारी सहायता का सहारा ही एक आसरा है और काफी हद तक यह सहारा ही उनके लिए वरदान साबित होता है। ऐसा एक आंकड़े के अनुसार 2015 में 4000 लडकिया गायब हुई थी। वही 2017 से 2018 तक 7000 लड़कियां गायब हुई थी औऱ ये घटनायें अधिकतर लखनऊ, दिल्ली , मुम्बई जैसे बड़े शहरो में अधिक पाई गई हैं। माना कि हमारी लाड़ली बहिन बेटियां सब जानती हैं, लेकिन क्रिमिनल मार्केटिंग और अंग प्रत्यारोपण के लिए सही और असली अंग आते कहाँ से हैं… ये नही जानती। हम सबको अपनी बहिन बेटियों का ध्यान दें] क्योंकि जो बाहर हो रहा है वो हमारे घर में कभी भी हो सकता है औऱ लोगो की सही सलाह ले। किसी के झांसे में न आये।
– सुदेश वर्मा