कोरोना वायरस : रेलें और बसें तुरंत चलाएं

0
233

लॉकडाउन (तालाबंदी) की ज्यों ही घोषणा हुई, मैंने कुछ टीवी चैनलों पर कहा था और अपने लेखों में भी पहले दिन से लिख रहा हूं कि यह ‘लाकडाउन’ कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक सिद्ध हो सकता है। कोरोना से पिछले दो हफ्तों में 20 लोग भी नहीं मरे हैं और 1000 लोग भी उसके मरीज़ नहीं हुए हैं लेकिन शहरों और कस्बों में काम-धंधे बंद हो जाने के कारण अब लाखों मजदूर और छोटे-मोटे कर्मचारी अपने गांवों की तरफ कूच कर रहे हैं।

क्यों कर रहे हैं ? क्योंकि उन्हें हर शाम अपनी मजदूरी मिलनी बंद हो गई है। जो लोग कारखानों और दफ्तरों में ही सो जाते थे, उनमें ताले पड़ गए हैं। देश भर के इन करोड़ों लोगों के पास खाने को दाने नहीं हैं और सोने को छत नहीं है। वे अपने गांवों की तरफ पैदल ही चल पड़े हैं। उनके बीवी-बच्चे भी हैं। उनके पेट और जेब दोनों ही खाली हैं।सरकार ने 80 करोड़ लोगों के लिए खाने में मदद की घोषणा करके अच्छा कदम उठाया है लेकिन ये जो अपने गांवों की तरफ दौड़े जा रहे मजदूर, कर्मचारी और छोटे व्यापारी हैं, ये लोग भूख के मारे क्या रास्ते में ही दम नहीं तोड़ देंगे ? मरता, क्या नहीं करता ? रास्ते में घर और दुकानें बंद हैं ? इनके पास अपनी जान बचाने का अब क्या रास्ता बचा रहेगा ? क्या लूट-पाट और मार-धाड़ नहीं होगी ?

सभी गृहस्थों और दुकानदारों से मेरा निवेदन है कि वे किसी भी यात्री को भूख से मरने न दें। मैं चाहता हूं कि अगले तीन दिन के लिए सभी सरकारी बसों और रेलों को खोल दिया जाए और सभी यात्रियों को मुफ्त-यात्रा की सुविधा दे दी जाए। करोड़ों लोग अपने गांवों में अपने परिवार के साथ संतोषपूर्वक रह सकेंगे। किसी तरह से वे अपने खाने-पीने का इंतजाम कर लेंगे।केंद्र और राज्य सरकारे लोगों की मदद कर ही रही हैं। जब मैं बसें और रेलें चलाने की बात कर रहा हूं तो यहां यह बताने की जरुरत भी है कि कोरोना से ज्यादातर वे ही लोग पीड़ित है, जो विदेश-यात्राओं से लौटे हैं और उनके संपर्क में आए हैं। जो मजदूर, किसान, छोटे कर्मचारी और छोटे विक्रेता गांवों की ओर भाग रहे हैं, उनका कोरोना से क्या लेना-देना है?

यदि सरकार मेरे इस सुझाव का लागू करती है तो कोरोना-युद्ध से लड़ने में उसको आसानी तो होगी ही, देश अराजकता से भी बच जाएगा। मैंने पहले भी लिखा है कि इस तरह की सावधानियां इस सरकार को पहले से सोच कर रखनी चाहिए थीं लेकिन कोई बात नहीं। अब भी मौका है। मैं अपने सभी राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोस्तों से अनुरोध करता हूं कि वे नरेंद्र भाई और अमित भाई को यह कदम उठाने के लिए प्रेरित करें।

डा.वेदप्रताप वैदिक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here