कोरोना वायरस का खौफ

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कोरोना वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है। केरल में पहले एक मेडिकल छात्रा वुहान से लौटने पर इस नये वायरस से ग्रसित मिली थी। अब एक और शस के यहां लौटने पर कोरोना के संक्रमण की पुष्टि हुई है। फिलहाल अभी दो ही ऐसे लोग मिले हैं जिन्हें वायरस प्रभावित पाया गया है। केरल से ज्यादातर मेडिकल के क्षेत्र में अध्ययन और नौकरी के सिलसिले में चीन जाना पंसद करते हैं। मेडिकल की पढ़ाई अपेक्षाकृत सस्ती हैए इसलिए भी चीन छात्रकृछात्राओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहता है। फिलहाल अकेले में ही दो हजार के करीब चीन से लौटे लोगों को निगरानी में रखा गया है। खतरे को देखते हुए केन्द्र सरकार ने चीन से आने वाले चीनी एवं अन्य विदेशी यात्रियों के लिए ई-वीजा की सुविधा अस्थायी रूप से स्थगित कर दी है। जरूरी भी था इस संक्रमण से चीन में 300 लोगों से अधिक की मौत हो चुकी है। तकरीबन 15 हजार के आसपास के संक्रमित होने का अनुमान है। ऐसा माना जा रहा है, आने वाले हतों में इस संक्रमण का दायरा और बढ़ेगा। इस लिहाज से भी एहतियाती कदम उठाये जाने चाहिए थे सरकार मुस्तैदी से उठा रही है।

चीन में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं व अन्य कामगारों को लिफ्ट करने का भी अभूतपूर्व काम चल रहा है। ये सभी सेना तथा आईटीवीपी द्वारा बनाये दो केन्द्रों में भर्ती किये जा रहे हैं, जहां इस बात की जांच होनी है कि कहीं संक्रमित तो नहीं हैं। यूपी में भी कई स्थानों पर चीन से लौटे लोगों को अस्पतालों में अलग वार्ड में रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य के अस्पतालों में इसके लिए जांच किट भी उपलब्ध कराई जा रही है। अभी मथुरा में भी चीन से लौटे शख्स की कोरोना वायरस का संदिग्ध मरीज के तौर पर जांच हुई थी, जिसमें आखिरकार रिपोर्ट रिगेटिव निकली। फिलहाल अभी यहां इसके मरीजों की संख्या नगण्य है, फिर भी अभी तक इसका इलाज नहीं खोजा जा सका है। इसलिए चुनौती बड़ी है। दिक्कत यह है कि इसका शुरुआती लक्षण सर्दी-जुकाम और खांसी जैसा होता है, बाद में बुखार इस कदर बेकाबू होता है कि शरीर डिहाईड्रेट होने लगता है जिससे अंतत: मरीज की मौत हो जाती है। इसीलिए शुरुआती लक्षण के चलते इस वायरस का पता नहीं चलता। जब तक पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

इस वायरस को निष्प्रभावी करने के वास्ते चीन में युद्धस्तर पर टेस्ट और रिसर्च हो रहे हैं, फिलहाल उम्मीद दूर है लेकिन फिलीपींस के वैज्ञानिकों ने जरूर यह दावा किया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कामयाबी मिली है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इन्लूएंजा और एचआईवी की दवाओं के सम्मिश्रण से तैयार दवा का कोरोना वायरस से संतुलित मरीज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अब इस नये कम्पोजीशन को और परीक्षणों से गुजार कर उसे एक दवा के फार्म में लाने की दिशा में काम होगा। फिलहाल तो दुनिया के तमाम देशों में इसको लेकर खौफ का वातावरण है। चीन का औद्योगिक उत्पादन ठप पड़ गया है। भारत में भी इसका विपरीत असर पड़ रहा है। अपने यहां तकरीबन 70 फीसदी दवाइयों के निर्माण के लिए कच्चे सामानों की आपूर्ति चीन से होती है। यहां की एक बड़ी फार्मास्यूटिकल कंपनी ने स्वीकार किया है कि कोरोना वायरस पर जल्दी काबू नहीं पाया जा सका तो दवाओं के निर्माण में बड़ी बाधा आएगी। फिलहाल, फरवरी माह तक के लिए यहां कच्चा मैटेरियल स्टॉक में मौजूद है लेकिन इसके बाद निर्माण बाधित होगा। इस तरह देश में स्वाभाविक रूप से दवाओं का संकट भी पैदा होगा।

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