कोरोना के दौर में नए नायक

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भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलने से पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए एक ट्विट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि देशों के सामने आने वाला हर संकट नेतृत्व के लिए परीक्षा की तरह होता है। यह हकीकत है कि संकट के समय ही नेतृत्व क्षमता का पता चलता है। असली चीज यह होती है कि कोई नेतृत्व कैसे संकट का सामना करता है? कैसे दक्षिण कोरिया ने किया या सिंगापुर, जापान, अमेरिका, ब्रिटेन कैसे संकट का सामना कर रहे हैं, इससे उनके नेतृत्व की क्षमता जाहिर हो रही है। यह भारत के नेतृत्व की भी परीक्षा है। पर भारत जैसे संघीय ढांचे वाले देश में यह राज्यों के नेतृत्व की भी परीक्षा है। कई राज्यों के मुख्यमंत्री जिस अंदाज में इस संकट का मुकाबला कर रहे हैं वह अपने आप में एक मिसाल है। अपनी अपनी सीमाओं और आर्थिक मजबूरियों के बावजूद कई राज्यों ने अद्भुत काम किया है। यह कहा जा सकता है कि कोरोना के संकट ने इस देश को मुख्यमंत्रियों के रूप में कुछ नए नायक दिए हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, ऐसे नायक हैं, जिन्हें उनकी कोरोना वायरस से लड़ाई और अपने नागरिकों को बचाने के प्रयासों के लिए लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

इन सभी मुख्यमंत्रियों ने न सिर्फ अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए अपने नागरिकों को बचाने का प्रयास किया है, बल्कि अपनी प्रशासनिक क्षमता के दम पर काफी हद तक सफलता भी पाई है। कोरोना वायरस का पहला मामला भले केरल में या गुजरात में आया पर देश और दुनिया का फोकस इस पर तब बना, जब राजस्थान में इटली के डेढ़ दर्जन नागरिक इस वायरस से संक्रमित मिले। एकदम से हड़कंप मच गया। एक तो विदेशी नागरिक इतनी संख्या में संक्रमित मिले और दूसरे वे उदयपुर से यात्रा करके जयपुर लौटे थे। इसका मतलब था कि उन्होंने संक्रमण आधे राज्य में फैलाया हुआ हो सकता था। इसमें राज्य सरकार की कोई गलती नहीं थी। पर आरोप-प्रत्यारोप में पडऩे की बजाय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कमर कसी और संक्रमण रोकने का प्रयास शुरू किया। यह प्रयास सिरे चढ़ता तब तक भीलवाड़ा में वायरस का आउटब्रेक हो गया। एक अस्पताल में तीन डॉक्टर और तीन नर्सें संक्रमित पाई गईं। इसके बाद संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया। आखिर उस अस्पताल में हजारों लोगों इलाज के लिए आते रहे हैं। तभी राजस्थान सरकार ने संक्रमण फैलने से रोकने के लिए पूरे जिले में कर्यू लगाया और 32 लाख लोगों की स्क्रीनिंग शुरू कराई। इसमें कोई लापरवाही किए बगैर सभी लोगों को घर में वारैंटाइन किया गया, जिले के हर घर को मार्क किया गया और हर व्यक्ति की जांच हुई। तभी आज पूरे देश में भीलवाड़ा मॉडल की बात हो रही है।

पर असली चीज यह है कि नतीजों की परवाह किए बगैर गहलोत ने आगे बढ़ कर कमान संभाली। उन्होंने अपनी सरकार ने अपने दो सूत्र वाय बनवाए- राजस्थान सतर्क है और कोई भूखा नहीं सोएगा। यानी मेडिकल फ्रंट पर मुकाबला हु़आ तो सामाजिक मोर्चे को भी खुला नहीं छोड़ा गया। इसी तरह कोरोना वायरस के संकट ने पिनराई विजयन के रूप में देश को एक नायक दिया है। वहां सबसे पहला मामला सामने आया और यह भी हकीकत है कि केरल से सबसे ज्यादा लोग खाड़ी देशों में रहते हैं, जहां से आए लोगों से आधे देश में कोरोना फैला है। राज्य की तीसरी हकीकत यह है कि आठ फीसदी के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले केरल में 12 फीसदी बुजुर्ग आबादी रहती है। यानी हर तरह से यह राज्य कोरोना संकट से सर्वाधिक संक्रमित होने वाला राज्य है। इसके बावजूद केरल की विजयन सरकार ने बेहद प्रभावी तरीके से इस वायरस से लड़ाई लड़ी। विजयन पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने 20 हजार करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया। केरल पहला राज्य है, जिसने एंटीबॉडी टेस्ट शुरू कराए और मरीजों की ट्रेसिंग शुरू की। केरल पहला राज्य है, जिसने डाकघरों के साथ तालमेल करके लोगों के घरों तक नकद पैसा पहुंचाना शुरू किया है

संकट से लडऩे के कितने मॉडल हमारे इस नायक ने देश को दिया है। यह आने वाली पीढिय़ों के नेताओं को रास्ता दिखाने वाला साबित होगा। देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई दोनों इस वायरस के संक्रमण के केंद्र बने हैं। अपनी भौगोलिक संरचना की वजह से ये दोनों महानगर सबसे अधिक खतरे वाले शहर हैं। शहर की आधी आबादी झुग्गियों में रहती है। प्रति वर्गकिलोमीटर सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाले शहर ये दोनों ही हैं। विदेश से लौटने वालों की सबसे ज्यादा सख्या इन दो महानगरों में है। और इन्हीं कारणों से दोनो राज्यों में वायरस का विस्फोट हुआ। पर दोनों मुख्यमंत्रियों- उद्धव ठाकरे और अरविंद केजरीवाल ने बना घबराहट के इसका सामना किया। संक्रमण काबू में रखने के उपायों के साथ साथ दोनों ने आगे का प्रोजेशन बनवाया और हजारों या लाखों मरीजों की संभावना मान कर उनके इलाज का बंदोबस्त किया। अस्थायी अस्पताल बनवाए। बेघर लोगों या झुग्गियों की बड़ी आबादी के लिए खाने की व्यवस्था कराई। दुनिया के दूसरे महानगरों से तुलना करें तब इन दोनों मुख्यमंत्रियों की उपलब्धियों का अंदाजा होता है।

अजीत दि्वेदी
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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