कूटनीतिक जीत भारत की या पाकिस्तान की

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मोदी ने अपने शपथ समारोह में भारत के सभी, पड़ोसी देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया था। पाकिस्तान के तब के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी न्योता भेजा। तब क्या किसी ने उम्मीद की थी कि मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे तो नवाज को बुलाएंगे? आखिर देश के एक बड़े तबके ने मोदी को वोट ही इसलिए दिया था कि वे पाकिस्तान को ठोक कर ठीक कर देंगे।

याद करें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2014 की कूटनीति। उन्होंने अपने शपथ समारोह में भारत के सभी पड़ोसी देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया था। पाकिस्तान के तब के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी न्योता भेजा। तब क्या किसी ने उम्मीद की थी कि मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे तो नवाज को बुलाएंगे? आखिर देश के एक बड़े तबके ने मोदी को वोट ही इसलिए दिया था कि वे पाकिस्तान को ठोक कर ठीक कर देंगे। पर उन्होंने पहले दांव में नवाज को बुलाया और दूसरे दांव में नवाज के घर चले गए।

ठीक उसी तरह इमरान खान ने शपथ लेते ही भारत को शान्ति का संदेश दिया। कहा कि भारत एक कदन चलेगा तो वे दो कमद चल कर शान्ति बहाल करेंगे। उनसे भी ऐसी उम्मीद किसी को नहीं थी। आखिर उनको सेना के समर्थन से बना प्रधानमंत्री माना जा रहा था। इसलिए लग रहा था कि पहले दिन से वे भारत विरोधी माहौल दिखाएंगे। पर उन्होंने न सिर्फ बयानों में शान्ति की बात की, बल्कि जो पहला मौका मिला, उसमें दिखाया भी कि वे कम से कम दिखावे के लिए भी अपनी कही बात से पीछे नहीं हट रहे हैं। तभी इमरान खान ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारा को लेकर भारत की पहल का तत्काल जवाब दिया। दोनों तरफ के सिखों के पवित्र गुरुद्वारे तक जाने के लिए कॉरीडोर बनाने की नींव रखी जा चुकी है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई जगह इसका श्रेय ले चुके है कि कैसे कांग्रेस और नेहरू की गलतियों के कारण करतारपुर पाकिस्तान में रह गया और उन्होंने सिखों को उनके इस पवित्र पूजा स्थल तक पहुंचने का रास्ता बनाया है।

इसके बाद इमरान खान को दूसरा मौका विंग कमांडर अभिनंदन के पाकिस्तान सीमा में पहुंच जाने से मिला। इसे बिल्ली के भाग्य से छींका टूटना भी कह सकते हैं। पाकिस्तान के लडाकू विमान से उलझते हुए विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान की सीमा में चले गए, जिसका इमरान खान अपने वैश्विक शान्ति दूत बनाने के लिए इस्तेमाल कर लिया। उन्होंने अभिनंदन को हिरासत में लेने के 24 घंटे के अंदर उनको रिहा करने का ऐलान कर दिया। पाकिस्तान की एक हाई कोर्ट में इस रिहाई के खिलाफ याचिका दायर की गई तो अदालत ने तत्काल याचिका खारिज कर रिहाई का रास्ता साफ किया। इमरान की सरकार और सैन्य प्रशासन ने अभिनंदन की रिहाई को एक बड़ा इवेंट बना दिया।

उसको लेकर वाघा सीमा तक आने के मिनट-मिनट की वीडियो फुटेज जारी की गई। इमरान ने इसके जरिए दुनिया को यह संदेश दिया कि वे हिरासत में लिए गए भारत के पायलट को रिहा कर रहे हैं क्योंकि वे भारत के साथ शान्ति चाहते हैं। यहां तक उनकी कूटनीति वैसा ही है, जैसी नरेन्द्र मोदी की शुरु के डेढ़ साल तक कूटनीति रही थी। मोदी पाकिस्तान से शान्ति बहाली के लिए प्रयास करते दिखे। उसी तरह इमरान खान भी शान्ति के लिए एक मौका मांग रहे हैं। पर उनका प्रयास बहुत सीमित है। विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा करना शान्ति बहाली का गंभीर प्रयास नहीं माना जाएगा, जब तक इमरान खान मसूद अजहर या हाफिज सईद पर कारवाई नहीं करते हैं। जैश ए मोहम्मद लश्कर ए तैयबा या जमात उद दावा जैसे संगठनों पर रोक नहीं लगाते हैं।

जैसे बिना किसी ठोस योजना के नरेन्द्र मोदी ने कूटनीति की उसी तरह बिना किसी ठोस कार्रवाई की तैयारी के इमरान खान शान्ति प्रयास कर रहे हैं।

                    हरिशंकर व्यास
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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