एहतियात संग राहत भी

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ऐसा माना जा रहा था कि लॉकडाउन-3 में कुछ रियायतों के साथ आर्थिक गतिविधियों को छूट मिलेगी, वैसे ही शुरुआत हुई है। हालांकि इस बार के 4 मई से प्रारभ 17 मई तक चलने वाले लॉकडाउन को कोरोना संक्रमण और आर्थिक संकट को एक साथ दिखने-समझने की कोशिश हुई जो स्वागतयोग्य है। दोनों सवालों के जवाब खोजा जाना बराबर से महत्वपूर्ण है। कोरोना की मौजूदा स्थिति का आंकलन के आधार पर देश को रेड जोन, आरेंज और ग्रीन जोन में बांटा गया है। ग्रीन जोन के अंतर्गत आने वाले जिलों में सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य उपायों के अपनाने के साथ परिवहन सेवा, दुकानें, लीनिक तथा औद्योगिक गतिविधियों को शुरू करने की इजाजत दी गयी है। आरेंज जोन में सती के साथ यानि टेस्टिंग बढ़ाने के साथ कुछ जरूरी गतिविधियां शुरू हो सकती हैं लेकिन रेड जोन में 17 मई तक प्रतिबंध लागू रहेगा। गृह मंत्रालय की ओर से जारी निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि धरातल पर कितनी छूट दी जानी है, यह निर्णय पूरी तरह स्थानीय प्रशासन का होगा।

केन्द्र की चिंता जायज है, संक्रमण पर धीरे-धीरे रोक लगे, इसके लिए टेस्टिंग पर विशेष जोर रहेगा। साथ ही धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था भी पटरी पर लौटे, इसके लिए भी प्रयासरत रहना होगा। दरअसल, उद्योग जगत लबे समय से सरकार की तरफ आर्थिक पैकेज के लिए बाट जोह रहा है। यह साफ तौर पर बता भी दिया गया है कि इसमें जितना विलब होगा, अर्थव्यवस्था की चुनौतियां उतनी ही गंभीर होती जाएंगी। पर केन्द्र सरकार ने इस बार एक ऐसे पैकेज की तरफ बढऩे के लिए विचार.विमर्श तेज कर दिया है जो बहुआयामी हो। स्वाभाविक है, इस संकट में चौतरफा भारी नुकसान हुआ है। लोगों का काम-धंधा ठप हुआ है। कृषि सेटर, सर्विस सेटर और उद्योग जगत सबकी स्थिति डांवाडोल हुई है। इसलिए सबके लिए कुछ ऐसा हो कि आगे से संभलने की उमीद जगे। अभी आईएनएन ने भी सरकार से गुहार लगाई है कि अखबार जगत को भी प्रोत्साहन पैकेज मिले वरना अगले कुछ महीनों में 15 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

अभी ही तकरीबन साढ़े चार हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। कोरोना संकट के चलते कामर्शियल विज्ञापन भी ना के बराबर हो गये हैं। इसलिए सरकार के लिए बहुत जरूरी है कि कोरोना संकट से जूझने के तरीकों के साथ ही एक ऐसे पैकेज के साथ आए, जो स्ट्रीट से लेकर माल तक और छोटी-बड़ी कंपनियों व कृषि क्षेत्र का एक सकारात्मक वातावरण बना सके। अर्थव्यवस्था की चिंता भी कम गहरी नहीं है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि उनके राज्य को रेड जोन में डाला गया है फिर भी केन्द्र से उमीद करते हैं कि जो क्षेत्र कम प्रभावित या अछूते हैं वहां एहतियात के साथ कुछ आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने की अनुमति मिले। मसलन दुकानें खुलें। ऑड-ईवेन का तरीका अपनाया जा सकता है। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अब यह मान लेना चाहिए कि कोरोना संग लोगों को जीने की आदत भी डालनी होगी। यह पूरी तरह खत्म नहीं होने वाला है। वैसीन के बाद यह वायरस भी पिछली बीमारियों की कतार में शामिल हो जाएगा।

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