मानसरोवर का जल सुबह चांदी सा चमकता हुआ लगता है, दोपहर में सोने में दमकता हुआ और शाम को स्याह सा लगता है। मनुष्य का मन भी कुछ ऐसा ही है। मनुष्य घर में प्रेमी स्वभाव का होता है, भीड़ में व्यग्र लगता है और दफ्तर में उबासी लेता अलसाया व्यक्ति दिखाई देता है। इसी तरह फिल्मों में पात्र श्वेत, श्याम और घूसर रंग में प्रस्तुत किए जाते हैं। दिलीप कुमार और मधुबाला अभिनीत फिल्म ‘अमर’ में दिलीप कुमार अभिनीत पात्र विलायत से कानून की शिक्षा लेकर आया है। मधुबाला एक धनवान की पुत्री है। अन्याय के खिलाफ लड़ती है। आजकल इस तरह के लोगों को सोशल एक्टिविस्ट कहा जाता है।
‘अमर’ की मधुबाला का पात्र भी कुछ ऐसा ही था। उस बस्ती में एक दादा है, जो गांव में मेला लगने वाली जमीन पर कब्ज़ा जमा लेता है। दिलीप उसके खिलाफ मुकदमा जीत जाता है। मधुबाला को उससे प्रेम हो जाता है। दिलीप और मधुबाला के पिता मित्र हैं। दोनों का विवाह तय कर दिया जाता है।
कस्बे में निम्मी अभिनीत पात्र को उसकी सौतेली मां मारती-पीटती है। एक रात वह पिटाई से बचने के लिए दिलीप के घर में शरण लेती है। वह डर से कांपते हुए दिलीप के गले लग जाती है। कुछ दिन बाद उसके गर्भवती होने के लक्षण साफ दिखने लगते हैं। कस्बे का दादा उससे निवेदन करता है कि वह नाम भर बता दे। वह उससे विवाह भी करना चाहता है। सोशल एक्टविस्ट मधुबाला भी इस मामले में कूद पड़ती है।
दिलीप कुमार अपराध बोध से व्यथित है और वह एक पत्र मधुबाला को भेजता भी है, जो उसे मिल नहीं पाता। मधुबाला दिलीप को बाध्य करती है कि वह निम्मी से विवाह करे। इस फिल्म की प्रेरणा हाॅल केन के उपन्यास ‘मास्टर ऑफ मैन’ से ली गई थी।
राज कपूर, नरगिस और अशोक कुमार अभिनीत फिल्म ‘बेवफा’ में नरगिस को अपने शराबी पिता के लिए मजदूरी करनी पड़ती है। जिस दिन उसे काम नहीं मिलता, वह दिहाड़ी मजदूर शराबी पिता से मार खाती है। उनका पड़ोसी राज कपूर कभी-कभी नरगिस को पिता को शराब खरीदने के लिए पैसे देता है। इत्तेफ़ाक से पेंटर अशोक कुमार नरगिस को मॉडल बनने के लिए पैसे देता है।
नरगिस प्रेरित पेंटिंग्स महंगे दामों में बिकती है। दोनों के बीच मधुर संबंध विकसित होते हैं। नरगिस पिता की मृत्यु के बाद अशोक कुमार के कहने पर उसके बंगले में रहने लगती है। कुछ समय बाद अशोक कुमार नरगिस से विवाह का प्रस्ताव रखता है। उसी समय राज कपूर अभिनीत पात्र नरगिस से मिलता है। उनके बढ़ते हुए मेलजोल को अशोक पसंद नहीं करते। वे नरगिस को आगाह करते हैं कि राज कपूर उसके हीरों के गहने चोरी करने के लिए आया है।
राज कपूर गिरोह के सदस्य उसे बाध्य करते हैं कि वह गहने चुराए परंतु राज कपूर को सच्चा प्रेम हो गया है। बहरहाल गिरोह उसे उसी रात हीरा चुराने का आदेश देता है। वह चोरी का माल ब्रीफ़केस में रखकर भागता है। गिरोह और पुलिस दोनों उसके पीछे पड़े हैं। नरगिस, अशोक कुमार के साथ तलाश में जुट जाती है। भागते हुए राज कपूर को नरगिस गोली मारती है, पुलिस उसे गिरफ्तार करती है। जब नरगिस ब्रीफ़केस खोलती है, तब वह पाती है कि उसमें गहने नहीं, कुछ रद्दी कागज भरे हैं। यह भी ज्ञात होता है कि राज कपूर ने ही पुलिस को गिरोह के बारे में सूचना दी थी।
मनुष्य के भीतर एक शैतान बैठा होता है। अपनी नकारात्मकता पर हमें नियंत्रण करना होता है। मनुष्य मन में स्थाई कुरुक्षेत्र है, जिनमें उसके भीतर बसे पांडवों-कौरवों का युद्ध सतत चलता रहता है। कहते हैं मनुष्य के जन्म के साथ ही उसका हमजाद भी जन्म लेता है। हमसाया से अलग शब्द है हमजाद जिसे हम मन के कुरु क्षेत्र का कौरव मान सकते हैं। वर्तमान में ईमानदारी के पथ पर चलते रहना कठिन होता जा रहा है। उदासीन व्यवस्था भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।
जयप्रकाश चौखसे
(लेखक वरिष्ठ फिल्म समीक्षक हैं ये उनके निजी विचार हैं)