चीन की समुद्र सीमा के बाहर अमेरिका के पोत अपनी कवायद कर रहे हैं। यह एक चेतावनी के तौर पर किया जा रहा है कि चीन अपनी नीतियों से बाज आ जाए। ड्रैगन के पास हर चाल का एक तोड़ है। चीन की जल सेना के पास सैकड़ों छोटी-छोटी नावें हैं, जैसी मछली पकड़ने वाले उपयोग करते हैं। इन नावों का संचालन उनकी जल सेना के सेवानिवृत्त लोग करते हैं। ये नावें टिड्डी दल की तरह तूफानी वेग से आगे बढ़ती हैं, आभास होता है कि समुद्र में तूफान आ गया हो। चीन अनेक देशों को वह रसायन भेजता है, जिससे प्राण बचाने वाली दवाओं का निर्माण होता है। इसका विकल्प किसी के पास नहीं है। विश्व की कई आर्थिक संस्थाओं में चीन का धन लगा है। चीन में बनी चीजों का बहिष्कार किया जाना मात्र दिखावा है। बहरहाल, शक्तिशाली चीन के भीतर असंतोष पनप रहा है। वहां का युवा व्यवस्था की अष्टपद पकड़ से स्वतंत्र होना चाहता है। युवा वर्ग पश्चिम के युवा की तरह गिटार बजाना चाहता है, क्लब में ठुमकना चाहता है। खबर है कि चीन के कुछ भवनों के तलघर में डिस्को आयोजित होते हैं। गौरतलब यह है कि चीन से त्रस्त देश केवल चीन के भीतरी असंतोष पर निर्भर नहीं रह सकते।
हमें अपनी जर्जर अर्थव्यवस्था की मरम्मत करनी चाहिए। अपने साधनहीन लोगों को शोषण से बचाना चाहिए। हथेलियों में रिश्वत लेने के लिए हो रही सतत खुजली पर नियंत्रण रखना चाहिए। समुद्र पर लड़े जाने वाले युद्ध की संभावना को देखकर पनडुब्बी का निर्माण किया जाना चाहिए। जल सेना को आधुनिक उपकरण मुहैया कराए जाना चाहिए। यकीनन व्यवस्था इस विषय में सोच रही होगी। यह पहले ही तय हो चुका है कि तीसरा विश्व युद्ध नहीं होगा, परंतु गुरिल्ला शैली कायम रहेगी। धरती के बदले समुद्र में जोर-आजमाइश की जा रही है। समुद्र सीमा की निगरानी पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।‘पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन सी’ अत्यंत लोकप्रिय फिल्म रही है। आमिर खान की ‘हिंदुस्तान के ठग’ का घटनाक्रम भी जहाज पर होता है, परंतु पटकथा के छेद से फिल्म पानी में डूब गई। ‘टाइटैनिक’ के अंतिम दृश्यों में यात्री छोटी नावों पर सवार होकर ही अपने प्राण बचाते हैं। हर जहाज में लाइफ बोट अर्थात छोटी नावें रखी जाती हैं। जहाज के मालिक अधिक यात्री बिठाने के लिए लाइफ बोट की संख्या सीमित कर लेते हैं। लोभ-लालच का समुद्र धरती से बड़े आकार का है। पानी के जहाज पर फिल्म की शूटिंग करना कठिन होता है। लहरों के थपेड़ों से पात्र डगमगा जाते हैं। कैमरे को स्थिर रखना सहज नहीं होता। हॉलीवुड में इसके लिए विशेष कैमरे बनाए गए हैं। थल सेना से अलग है जहाज द्वारा माल ढोने का काम।
हर जहाज के निर्माण के समय ही उसकी एक्सपायरी डेट तय होती है कि इसके बाद उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इस तरह सेवानिवृत्त जहाज एक बंदरगाह पर व्यवस्थित ढंग से तोड़े जाते हैं। शिप ब्रेकिंग एक व्यवस्थित उद्योग है। इसकी लकड़ी महंगे दाम पर बेची जाती है। सारा सामान ही बहुत धन देता है। खबर है कि ईरान में बंदरगाह बनाने का ठेका भारत से लेकर चीन को दिया गया है। अर्नेस्ट हेमिंग्वे की महान रचना ‘द ओल्डमैन एंड द सी’ एक कालजयी उपन्यास है। फिल्म ‘लाइफ ऑफ पाई’ विश्व प्रसिद्ध फिल्म है। इसमें शेर और मनुष्य सहयात्री हैं। इन पात्रों का एक-दूसरे से डरना धीरे-धीरे मित्रता में बदलने लगता है। जानवर आदमी से ज्यादा वफादार है।
रवींद्रनाथ टैगोर की ‘नौका डूबी’ में दो विवाहित जोड़े जो एक-दूसरे से सर्वथा अपरिचित हैं, एक ही नाव में यात्रा करते हैं। तेज हवाएं और लहरें नौका को डुबो देते हैं। दोनों जोड़े समुद्र तट पर बेहोश मिलते हैं। परिवार वाले अनजाने में दुल्हनें बदल देते हैं। ये घूंघट प्रथा का कहर है। पानी के जहाज में रेत से भरे कुछ बोरे रखे जाते हैं। लहरों के मुताबिक जहाज का कप्तान तय करता है कि कितने बोरे समुद्र में फेंकना हैं। इन बोरों को ‘फ्लैट जैम’ कहते हैं। आर्थिक मंदी के दौर में सत्ता के जहाज को बचाने के लिए कुछ मनुष्यों को फ्लैट जैम की तरह बाहर फेंक दिया जाता है। विधायक भी मेंढक की तरह विधानसभा की तराजू से फुदक-फुदक जाते हैं।
जयप्रकाश चौकसे
(लेखक फिल्म समीक्षक हैं ये उनके निजी विचार हैं)