अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग में हुआ था श्रीकृष्ण का जन्म

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भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन यानी जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी, इसे लेकर मतभेद हैं। लोग उलझन में हैं जन्माष्टमी का व्रत किस दिन करना उचित रहेगा। 23 अगस्त को या फिर 24 अगस्त को। दरअसल, कुछ पंडितों का मत है कि भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और 23 अगस्त को यह दोनों ही योग रात 12 बजे जन्मोत्सव के समय विद्यामान रहेंगे, जबकि कुछ पंडितों का मत है कि अष्टमी तिथि 24 अगस्त को सूर्योदय काल से रहेगी और यह अष्टमी नवमी युक्त रहेगी, इसलिए इस दिन पर्व मनाना उचित नहीं होगा। पंचांग में भी पर्व की तिथियों को लेकर अंतर है। स्मार्त और शैव संप्रदाय जिस दिन जन्माष्टमी मनाते हैं, उसके अगले दिन वैष्णव संप्रदाय द्वारा जन्माष्टमी मनाई जाती है।

23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना ज्यादा शुभ

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग में हुआ था। शुक्रवार, 23 अगस्त को अष्टमी तिथि रहेगी और इसी दिन रात 11.56 बजे से रोहिणी नक्षत्र शुरू हो जाएगा, इस वजह से 23 अगस्त की रात जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा। भक्तों को 23 अगस्त को ही श्रीकृष्ण के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करना चाहिए।

पंचांग वाले कैलेंडरों में भी जन्माष्टमी की तिथियों को लेकर अंतर

इस बार पंडितों के बीच रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि को लेकर मतभेद बना हुआ है। ज्योतिषाचार्य पं. भंवरलाल शर्मा कह रहे हैं कि 23 अगस्त को रात 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के समय अष्टमी तिथि रहेगी और इसी रात 11.54 बजे रोहिणी नक्षत्र भी प्रारंभ हो जाएगा, इसलिए इसी दिन जन्माष्टमी मनाई जानी चाहिए। वहीं ज्योतिषाचार्य पं. विष्णु राजौरिया व अंजना गुप्ता का कहना है कि तिथि को सूर्योदय से माने जाने की मान्यता है। अष्टमी तिथि 23 को सूर्योदय काल से नहीं है, इसलिए अगले दिन 24 को जन्माष्टमी मनाई जाना चाहिए। जन्माष्टमी नवमी युक्त तिथि में मनाई जाना ही श्रेष्ठ होगा। ज्योतिषाचार्य पं. धर्मेंद्र शास्त्री का भी मत है कि 24 अगस्त को ही सूर्योदय में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र रहेगा, इसलिए जन्माष्टमी इसी दिन मनाई जाना चाहिए। स्मार्त संप्रदाय व साधु संन्यासी शुक्रवार को, जबकि वैष्णव संप्रदाय शनिवार को जन्माष्टमी मनाएगा। स्मार्त आदि धर्मग्रंथों को मानने वाले और इसके आधार पर व्रत के नियमों का पालन करते हैं। दूसरी ओर, विष्णु के उपासक या विष्णु के अवतारों को मानने वाले वैष्णव कहलाते हैं। असमंजस इसलिए है कि 23 अगस्त को उदया तिथि में रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा, 24 को अष्टमी तिथि नहीं है। जबकि श्रीकृष्ण का जन्म इन्हीं दोनों योग में हुआ था।

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