अर्थव्यवस्था की त्रासदी

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मंदी 2008 में भी आई थी लेकिन ऐसा नहीं था कि दुनिया की गतिविधियां पूरी तरह से ठप्प हो गई हों लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को ही लॉकडाउन कर दिया है। विकसित से लेकर विकासशील और अविकसित देश तक सबकी हालात कमोबेश एक जैसी हो गई है। इस कहर को भारत के सन्दर्भ में आंकें तो 21 दिन के लॉकडाउन का मतलब देश को 120 अरब डॉलर का नुकसान होने जा रहा है। इस लॉकडाउन को आगे बढ़ाया जाता है तो समझिये 90 अरब डॉलर की और क्षति होगी। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की त्रासदी को समझा जा सकता है। भारतीय उद्योग परिसंघ ने एक सर्वेक्षण में भारी संख्या में लोगों की नौकरियां जाने का अंदेशा जताया है। सीआईआई के करीब 200 मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के बीच किए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण ‘सीआईआई सीईओ स्नैप पोल’ के मुताबिक मांग में कमी से ज्यादातर कंपनियों की आय गिरी है। इससे नौकरियां जाने का अंदेशा है।

सर्वेक्षण के अनुसार, ‘चालू तिमाही (अप्रैल-जून) और पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) के दौरान अधिकांश कंपनियों की आय में 10 प्रतिशत से अधिक कमी आने की आशंका है और इससे उनका लाभ दोनों तिमाहियों में पांच प्रतिशत से अधिक गिर सकता है।’ सीआईआई ने कहा, ‘घरेलू कंपनियों की आय और लाभ दोनों में इस तेज गिरावट का असर देश की आर्थिक वृद्धि दर पर भी पड़ेगा। रोजगार के स्तर पर इनसे संबंधित क्षेत्रों में 52 प्रतिशत तक नौकरियां कम हो सकती हैं।’ सर्वेक्षण के अनुसार, लॉकडाउन खत्म होने के बाद 47 प्रतिशत कंपनियों में 15 प्रतिशत से कम नौकरियां जाने की संभावना है। वहीं 32 प्रतिशत कंपनियों में नौकरियां जाने की दर 15 से 30 प्रतिशत होगी। रिपोर्ट का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को करीब 120 अरब डॉलर का नुकसान होगा, जो कि जीडीपी का चार फीसदी है। इनमें से 90 अरब डॉलर का नुकसान लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की वजह से होगा। जाहिर है कि इसका असर जीडीपी की विकास दर पर भी पड़ेगा।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने कहा है कि उसने भारत के वृद्धि अनुमानों को घटाकर दो प्रतिशत कर दिया है। यह 30 साल का न्यूनतम स्तर होगा। पहले उसने अनुमान घटाकर 5.1 प्रतिशत किया था। ऐसी स्थिति में लाजिमी है देश के सामने चुनौती और बढ़ जायेगी इसलिए पहला प्रयास हम सभी का यही होना चाहिए कि जो एहतियात तय हुए हैं उसे ईमानदारी से पालन करें, ताकि बढ़ रहे संक्रमण को एक हद तक रोका जा सके। बड़ी बात यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राज्य के उलेमाओं ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में कही, जब जिंदगी ही न रहेगी तो नमाज कहां होगी। इसलिए पहले जो नियम सरकार की तरफ से बताए गए हैं उसका पूरी तरह से पालन हो। यह सबके हित में है। देश को इसी सोच की जरूरत है। ऐसा किसी भी तरफ से नहीं होना चाहिए जो नफरत की बुनियाद बने। हमारी बहस भी मुद्दों पर केंद्रित होनी चाहिए। आमतौरपर इसकी संवेदनशीलता समझे बिना लोग कहासुनी पर उतरते और बात किसी की जान पर बन आती है। प्रयागराज में बहस के दौरान हुई एक युवक की हत्या इसी खतरे की तरफ इशारा करती है।

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