अब नहीं होगें मंगल कार्य, जानिए राशियों का हाल

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भारतीय ज्योतिष में सूर्यग्रह का नवग्रहों में प्रमुख स्थान है । ज्योतिष की गणना के अनुसार मेष राशि से मीन राशि तक सूर्यग्रह प्रत्येक मास राशि बदलते हैं । जिसका व्यापक प्रभाव पूरे विश्व में देखने को मिलता है । सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ 15 मार्च, बुधवार से खरमास प्रारम्भ हो जाएगा। वर्ष में दो बार खरमास की स्थिति बनती है। प्रथम जब सूर्यग्रह वृश्चिक से धनु राशि में आते हैं, द्वितीय जब कुम्भ राशि से मीन राशि में प्रवेश करते हैं । खरमास की अवधि में मांगलिक कृत्यों पर विराम लग जाता है जबकि धार्मिक कृत्य विधि- विधानपूर्वक यथावत् होते रहते हैं । मांगलिक कृत्यों में विवाह, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नव प्रतिष्ठान या व्यवसाय, वधू प्रवेश, मुण्डन, उपनयन संस्कार, देव प्रतिमा प्रतिष्ठा, नव-निर्माण आदि ये सभी कार्य खरमास की समाप्ति तक स्थगित रहते हैं । सूर्यग्रह कुम्भ से मीन राशि में 15 मार्च, बुधवार को प्रातः 6 बजकर 34 मिनट पर प्रवेश करेंगे, जो कि 14 अप्रैल, शुक्रवार को दिन में 2 बजकर 57 मिनट तक मीन राशि में रहेंगे। 15 मार्च, बुधवार को प्रातः 7 बजकर 34 मिनट तक ज्येष्ठा नक्षत्र तथा दिन में 12 बजकर 52 मिनट तक सिद्धियोग रहेगा। मीन राशि में सूर्य के प्रवेश से मीन संक्रान्ति का पुण्यकाल सूर्योदय से दिन में 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। इसी अवधि में स्नान-दान- जप करके पुण्यलाभ प्राप्त करना चाहिए।

ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि मीन संक्रान्ति के प्रारम्भ में इस दिन चन्द्रमा – वृश्चिक राशि में, सूर्य व गुरु- मीन राशि में, मंगल-मिथुन राशि में, बुध व शनि – कुम्भ राशि में, शुक्र व राहु- मेष राशि में तथा केतु-तुला राशि में विराजमान रहेंगे। ग्रहयोगों के फलस्वरूप विविध पक्षों में अनेकानेक अकल्पित व अनहोनी घटनाओं से जनमानस को रूबरू होना पड़ेगा । सम्पूर्ण विश्व में नवीन राजनीतिक समीकरण बनने को होंगे, जिनमें आर्थिक और विदेश नीति प्रभावित होगी। आर्थिक पक्ष में भी ठोस कदम उठेंगे। शेयर, वायदा व धातु बाजार में विशेष हलचल देखने को मिलेगी। दैविक आपदाएँ, जल-थल वायुयान दुर्घटनाओं का प्रकोप तथा कहीं-कहीं पर आगजनी के घटना की आशंका रहेगी। विशेष मुद्दे को लेकर जन आन्दोलन भी मुखर होगा। कई देशों में सत्ता परिवर्तन व पक्ष-विपक्ष में आरोप- प्रत्यारोप की स्थिति रहेगी । कहीं-कहीं पर छत्रभंग, मंत्रीमण्डल में परिवर्तन आदि का भी योग बना रहेगा। मौसम में भी अकल्पित परिवर्तन तथा आँधी-तूफान व वर्षा से भूस्खलन की आशंका भी बनी रहेगी । धार्मिक पक्ष को लेकर जागरूकता बढ़ेगी। प्राकृतिक व दैविक आपदाओं को भी नकारा नहीं जा सकता। आर्थिक व राजनैतिक घोटाले भी सत्तापक्ष व विपक्ष के लिए भारी पड़ेंगे ।

ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन ने बताया कि इससे द्वादश राशियाँ भी प्रभावित होंगी ।
मेष – भौतिक सुख सुविधा में कमी । व्यय की अधिकता । प्रतिष्ठा पर आघात । ग्रहस्थिति भाग्य के विपरीत । व्यापार में हानि । वृषभ-लाभ का सुयोग । व्यक्तिगत परेशानी कम । धन संचय की ओर प्रवृत्ति । जनकल्याण की ओर रुचि । आत्मीयजनों से मधुरता । मिथुन – योजना सफल । नवसम्पर्क लाभदायक । धनागम का सुअसवर । लाभार्जन का सुयोग । शत्रु परास्त। आरोग्य सुख की प्राप्ति । कर्क—ग्रहस्थिति प्रतिकूल । विरोधी प्रभावी । पुरुषार्थ में अरुचि । आर्थिक पक्ष से कष्ट । अपयश की आशंका।
सिंह – कार्यसिद्धि में निराशा । स्वास्थ्य शिथिल । वाद-विवाद की सम्भावना । विश्वासघात की आशंका | वाहन से चोट चपेटा | कन्या–संकल्प-विकल्प की स्थिति । दाम्पत्य जीवन में कटुता । विचारों में उग्रता। महत्वपूर्ण उपलब्धि में विलम्ब । प्रतिष्ठा पर आघात । तुला – भाग्योदय के नवीन आयाम । कठिनाइयों में कमी। सुसंदेश की प्राप्ति से हर्ष । नवसम्पर्क लाभदायक। यात्रा सफलता । वृश्चिक–व्यावसायिक प्रगति में अड़चनें । स्वास्थ्य को लेकर चिन्ता । शत्रु प्रभावी । सन्तानपक्ष से कष्ट । मानसिक अशान्ति । धनु – आरोग्य सुख में व्यतिक्रम | प्रियजनों से मतभेद । व्यवहार में लापरवाही हानिकारक । वैचारिक स्थिरता का अभाव। मकर–ग्रहस्थिति भाग्य के पक्ष में । नवयोजना में सफलता । उपहार या सम्मान का लाभ । राजकीय पक्ष से अनुकूलता। यात्रा सार्थक ।

कुम्भ–अभिलाषा की पूर्ति में बाधा । समय आशा के विपरीत। मित्रों-परिजनों से कटुता । आर्थिक लेन-देन में जोखिम से हानि। मीन- — सफलता में बाधा । बौद्धिक क्षमता में कमी। क्रोध की अधिकता । उन्नति में व्यवधान । वैवाहिक जीवन में कटुता । जिन व्यक्तियों को सूर्यग्रह का शुभफल प्राप्त न हो रहा हो या जिन्हें शनिग्रह की अढैया सा साढ़ेसाती का कुप्रभाव मिल रहा हो, उन्हें अपने हर कार्यों में सजगता बरतनी चाहिए साथ ही जोखिम के कार्यों से बचकर रहना चाहिए ।

सूर्यग्रह को ऐसे करें अनुकूल – सूर्यग्रह की प्रसन्नता के लिए अपने आराध्य देवी-देवता की आराधना के साथ सूर्यग्रह की भी अर्चना नियमित रूप से करनी चाहिए। प्रात:काल स्नान, ध्यान के पश्चात् सूर्य भगवान को ताम्रपात्र में रोली, अक्षत, लाल फूल एवं गुड़ डालकर पूर्वाभिमुख होकर अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। साथ ही सूर्यमन्त्र का जप, श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्रनाम आदि का पाठ भी करना चाहिए। रविवार के दिन मध्याह्न के समय संकल्प लेकर व्रत या उपवास रखकर सूर्यग्रह से सम्बन्धित लाल रंग की वस्तुएँ जैसे—लाल वस्त्र, गेहूँ, गुड़, ताँबा, लाल फूल, चन्दन आदि विविध वस्तुएँ नगद दक्षिणा सहित ब्राह्मण को संकल्प के साथ देना चाहिए। व्रत या उपवास न करने की स्थिति में दिन में 12 बजे से 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार करना चाहिए।

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