कभी वे सेना का कटोरा आगे कर वोट मांग रहे हैं तो कभी चौकीदार, कभी चाय वाला, कभी पिछड़ा तो कभी कामदार तो कही गुज्जू, गुजराती नेता तो वे जेलर बनते दिखे। नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को हिम्मतनगर में पिछले साठ महीनों की यह उपलब्धि बताई कि वे सोनिया गांधी, राहुल गांधी के पूरे परिवार को जेल के दरवाजे तक ले आए हैं और अगर पांच साल की सत्ता और मिल जाती है तो उनको जेल के अंदर कर देंगे।
नरेन्द्र मोदी गुजरात में या तो सीटें हार रहे हैं या समझ नहीं आ रहा कि प्रचार में वे क्या बोले जो वोट मिले। कभी वे सेना का कटोरा आगे कर वोट मांग रहे हैं तो कभी चौकीदार, कभी चाय वाला, कभी पिछड़ा तो कभी कामदार तो कही गुज्जू, गुजराती नेता तो वे जेलर बनते दिखे। नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को हिम्मतनगर में पिछले साठ महीनों की यह उपलब्धि बताई कि वे सोनिया गांधी, राहुल गांधी के पूरे परिवार को जेल के दरवाजे तक ले आए हैं और अगर पांच साल की सत्ता और मिल जाती है तो उनको जेल के अंदर कर देंगे। मतलब यह हुआ कि पिछले साठ महीने गांधी-नेहरू परिवार को जेल के जरवाजे पर पहुंचाने के लिए, अगले साठ महीने उन्हें जेल में डालने के लिए और पांच साल बाद 2024 का चुनाव आएगा तो मोदी-शाह कहेंगे साठ महीने और दीजिए ताकि हम सोनिया-राहुल को फांसी पर चढ़ा दें।
सवाल है ऐसी जुमलेबाजी के पीछे भला क्या लॉजिक है या तो यह कि गुजरात में सोनिया-राहुल परिवार के खिलाफ नफरत की आंधी है जिसे नरेन्द्र मोदी जेल में डालने के वादे से भुनाना चाहते है या गुजरातियों में गैर-गुजराती नेताओं, उत्तर भारत के खिलाफ जहर को भड़का कर वे गुजराती प्रधानमंत्री के लिए वोट डालवाने का गुन्जूवाद बनवा रहे है। हां, उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनको वोट नहीं दिया तो विपक्ष का पहला निशाना गुजरात होगा। मतलब उत्तर भारत के नेताओं यानि कि राहलु, मायावती, अखिलेश तेजस्वी आदि की। गैर-गुजरातियों की सरकार बनेगी तो गुजरात पर कहर बरपेगा। सो गुजरात में इन्हें कतई नहीं जीतने दो।
यह बात अक्टूबर 2018 में यूपी, बिहार, राजस्थान याकि उत्तरभारत के लोगों के खिलाफ गुजरात में हुई हिंसा, बिहारियों, यूपी वालों को भगाने के मारो सालो को वाले हल्ले की प्रधानमंत्री द्वारा गुजरातियों को परोक्ष याद करनावा है। गुजरातियों को भड़काना है। उत्तर भारतियों का भूत बनवाना है। गुजरातियों में यह गौरव भगवाना है कि इलाहाबाद के गांधी, नेहरू परिवार को इस गुज्जू, हां गुजरात में नरेन्द्र मोदी ने यह शब्द बोला कि अदालत जा कर जमानत लेने को मजबूर किया है और वापस मुझे जीताओंगे तो यह गुज्जू इन्हें जेल में डालेगा। क्या यह विद्वेष, नफरत और अहंकार का यह भाव अक्टूबर 2018 में गुजरात में उत्तर भारतियों, हिन्दीभाषियों के खिलाफ प्रकट मार-मार कर भगाओं बिहारियों, यूपी वालों के जहर का प्रमाण नहीं है।
सोचे, नरेन्द्र मोदी ने गुज्जू के नाते अपने अहंकार को उस वक्त भी जाहिर किया जब उन्हें यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश के हिन्दीभाषियों उत्तर भारतियों से वोट लेने है। वाराणसी में चुनाव लड़ना है। जाहिर है कि गुजरात की 26 सीटों में 6-8 सीटों में नरेन्द्र मोदी-अमित शाह को हारने का खतरा लग रहा है इसलिए यहां गुज्जू बन कर उत्तर भारतीय राजनीति के नेताओं को जेल में डालने जैसी जुमलेबाजी करने को ये मजबूर हुए। मगर इससे उन्होंने अनजाने पूरे देश और खास कर उत्तर भारत को, उत्तर के नेताओं को मैसेज दे दिया है कि नरेन्द्र मोदी वे सफल गुज्जू है जिन्हें मार्केटिंग से दुनिया को उल्लू बनाना, झूठ से सत्य कर बेचना आता है। सोचो साठ महीने प्रधानमंत्री रहने के बाद वोट मांगने के लिए ऐसी जुमलेबाज! लेकिन इससे नरेन्द्र मोदी, अमित शाह की तासीर, विजन और राह को हकीकत भी अपने आप जाहिर है। अपने को गुजराती, गुज्जू के नाते मोदी ने जो बोला है वही उन्होंने पिछले पांस सालों में किया है।
हरिशंकर व्यास
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं