ख़्याल कौन रखेगा?

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यह बात उस समय की है जब बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर अमेरिका की कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ रहे थे। वह रोज सुबह पुस्तकालय खुलने से पहले ही वहां पहुंच जाते थे और जब सब चले जाते तब वह वहां से निकलते थे। कभी-कभी बाबासाहेब पुस्कालय की टाइमिंग खत्म होने के बाद भी वहां बैठे रहने की अनुमति मांगा करते थे।

उन्हें रोज ऐसा करते देख एक दिन चपरासी ने उनसे कहा, ‘क्यों तुम हमेशा गंभीर रहते हो, बस पढ़ाई ही करते रहते हो कभी किसी दोस्तों के साथ मोज-मस्ती नहीं करते।’

तब बाबा साहेब बोले-
अगर मैं ऐसै करूंगा तो मेरे लोगों का ख्याल कौन रखेगा?

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