रामचरित मानस के एक प्रसंग में चलते हैं। रावण का वध करके राम अयोध्या लौटे। भरत ने उन्हें राजकाज समर्पित किया। एक दिन राम एक पेड़ के नीचे बैठकर अपने तीनों भाई भरत, लक्ष्मण और शत्रुध्न को जीवन में देश, समाज और परिवार का महत्व समझा रहे हैं। राम अपने भाइयों को समझा रहे हैं कि समाज और राष्ट्र का हित सबसे बड़ा है। हर परिवार को उसके बारे में सोचना चाहिए। जब तक हम दूसरे की पीड़ा और व्यथा नहीं समझेंगे, राष्ट्र का विकास संभव नहीं है। राम कहते हैं – परहित सरिस धरम नहीं भाई। परपीड़ा सम नहीं अधमाई। यानी दूसरों के हित और सुख से बढ़कर कोई धर्म नहीं है और दूसरों की पीड़ा देने से बड़ा कोई पाप नहीं। राम ने अपने परिवार में जो संस्कार और विचारों की नींव रखी वे विचार और संस्कार आज हमारे परिवारों में भी आवश्यक हैं। हर परिवार को लेकर खुद के लिए ही नहीं, दूसरों के लिए, समाज और राष्ट के लिए भी सोचना चाहिए। इंसानों के प्रेमपूर्ण मिलन से परिवार बनता है और परिवारों के व्यवस्थित समूह कोही समाज कहते हैं। यह तो जाहिर सी बात है कि श्रेष्ठ समाज ही किसी विकसित औ प्रगतिशिल देश का आधार बनता है।
जगाएं अपने अंदर के शिव को
शैव परंपरा में शिवजी को भांग चढ़ाई जाती है। सावन और शिवरात्रि में भांग पीने की धार्मिक परंपरा है। वैसे भांग का सेवन तो होली पर भी किया जाता है। लेकिन शिव पर्व पर इसका अगल महत्व है। गंजा, चरस और भांग तीनी ही मादक पदार्थ हैं, लेकिन इनका उल्लेख हमारे वेदों और आयुर्वेदिक शास्त्रों में भी हुआ है। हजारों वर्षों से भारत में साधु और वैरागी इनकी सेवन करते आए है। भक्त गण भी पूजा के समय इनका सेवन करते है। औषधि के रूप में भी इनकी उपयोग होता है। कई लोगों को यह देखकर आश्चर्य होता है कि भांग जैसे मादक पदार्थ हम देवी-देवताओं को अर्पित करते हैं। लेकिन हमारे यहां तो हजारों वर्षों से देवी-देवताओं को भांग जैसे मादक पदार्थ, धतूरे, जैसे विषाक्त पदार्थ और शराब तक चढ़ाई जाती रही है। कई तांत्रिक रिवाजों में भी शराब का उपयोग होता है। मादक पदार्थों का सेवन योग और तंत्र के साथ जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि जब शिवजी ने अमृत मंथन के समय विष पिया, था तब उनके शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए उन्हें भांग दी गई । तभी से भांग शिवजी के लिए एक भेंट बन गई। कई शिव भक्त मानते हैं कि जब तक वे भांग का सेवन नहीं करते, शिवजी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त नहीं कर पाते हैं। लेकिन कुछ और लोगों का मानना है कि केवल शिवजी ही मादक पदार्थ का सेवन कर सकते हैं। हम जब तक अपने भीतर के शिव को जागृत नहीं करते तब तक हमें मादक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे लोग कहते हैं कि शिव तो केवल एक बहाना हैं मादक पदार्थ का सेवन करने का। इसलिए संत अक्सर भांग से दूर ही रहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिव को वैरागी से गृहस्थ बनाने के लिए देवी शक्ति ने तपस्या की थी और विवाह में उन्हें दूल्हा बनकर आने को कहा था।