सेकुलर देश में ‘मुस्लिम स्टेट’ पर गम!

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कांग्रेस के सुधरने की कोई संभावना नहीं है। वह सुधरना भी नहीं चाहती। यह धारणा पी. चिदम्बरम के ताज़ा बयान के बाद अपनी पक्की हुई है | अपना मानना है कि कांग्रेस यह निष्पक्ष विश्लेषण करने को तैयार ही नहीं है कि गांधी परिवार के हाथ में बागडोर होने के बावजूद वह मौजूदा दशा में कैसे है?

1984 में जब भाजपा सिर्फ दो लोकसभा सीटें जीती थी तो उसका कारण इंदिरा गांधी के हत्या के कारण हिंदुत्व का उदय था। यह जानते हुए भी भाजपा ने निष्पक्ष विश्लेष्ण कर के अपनी नीतियों की समीक्षा की थी। तब समीक्षा करके यह जानना जरूरी था कि हिंदुत्व की पैरोकार होने के बावजूद हिन्दुओं में उत्पन्न आक्रोश का लाभ उसे क्यों नहीं मिला? समीक्षा के बाद भाजपा इस नतीजे पर पहुंची थी कि गांधीवादी समाजवाद उस की मूल विचारधारा से मेल नहीं खाता।

तब भाजपा ने गांधीवाद का रास्ता छोड़ कर दीन दयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को चुना।1989 का लोकसभा चुनाव आते आते हिंदुत्व की लहर पैदा कर के अपनी खोई हुई जमीन फिर से हासिल कर ली। दूसरी तरफ कांग्रेस 1991 में राजीव गांधी की हत्या के कारण बहुमत के नजदीक पहुंचने के अलावा 1996, 1998 , 1999 का चुनाव लगातार हारी, लेकिन कभी उन मूल कारणों की खोज नहीं की कि कांग्रेस की दुर्दशा क्यों हो रही है?

शाहबानों के बहाने मुस्लिम कठमुल्लाओं के सामने घुटने टेकने के बाद कांग्रेस 200 के पार कभी नहीं गई। अगर 2004 से 2014 तक सत्ता में रही तो उस का कारण क्षेत्रीय दलों की भाजपा विरोधी राजनीति थी, अन्यथा कांग्रेस को देश की जनता ने कबूल नहीं किया था। कांग्रेस ने इन दस वर्षों में पाक प्रायोजित मुस्लिम आतंकवाद का बचाव कर के “हिन्दू आतंकवाद” कह कर जब हिन्दुओं को बदनाम किया तो देश की जनता ने 2014 से कांग्रेस के साथ साथ सभी हिन्दू विरोधी दलों को कचरे में डालना शुरू कर दिया है , जो 2019 में बड़े रूप में दिखा है।

भाजपा ने देश की नब्ज को पहचान कर आपरेशन कश्मीर कर डाला है जिस से देश के हिन्दू जनमानस में उस की छवि में बहुत बड़ा उछाल आया है। कांग्रेस के भीतर खलबली मची है। पार्टी के दर्जनों बड़े नेताओं ने कश्मीर को भारत से अलग करने वाली संविधान की धारा 35 ए हटाए जाने का समर्थन किया है , इसके बावजूद कांग्रेस की रीति नीति में कोई सुधार नहीं दिखता।

कांग्रेस ने “हिन्दू आतंकवाद” शब्द की उत्पति करने वाले पी.चिदम्बरम की मुस्लिमपरस्ती को फिर से अपना लिया है | कांग्रेस ने जो गलती पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के समय की थी , वही गलती कश्मीर के मामले में दुहरा रही है। वह अब तक 370 का यह कह कर बचाव करती रही थी कि इसे हटाया गया तो देश का मुसलमान विद्रोह कर देगा , देश भर में दंगे हो जाएंगे।

पी.चिदम्बरम का ताज़ा बयान संसद और देश की जनता को भडकाने वाला है कि कश्मीर अगर मुस्लिम स्टेट न होता तो भाजपा 370 को खत्म नहीं करती। यह बयान कांग्रेस की उसी थ्योरी का परिचायक है जिसे आधार बना कर वह 370 का बचाव करती रही थी। देश की जनता फिर पूछेगी कि अगर भारत के भीतर मुस्लिम स्टेट बनाए रखनी चाहिए तो फिर इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान बनाने की क्या जरूरत थी? अगर कांग्रेस पी. चिदम्बरम की थ्योरी का समर्थन करती है तो उसे बताना होगा कि क्या उस ने मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए ही कहीं सेक्यूलरिज्म नहीं अपनाया था? फिर उसे यह भी बताना होगा कि 70 साल तक मुस्लिम हितों की रक्षा करके क्या वह सेक्यूलरिज्म की पीठ में क्या छूरा नही घोपती रही? सेकुलरिज्म और मुस्लिम स्टेट साथ-साथ कैसे?

अजय सोतिया
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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