कुमारी कन्याओं की पूजन से मिलेगा मां जगदम्बा का आशीर्वाद
संवरेगी किस्मत, मिलेगी खुशहाली
दुर्गा अष्टमी : 13 अप्रैल, शनिवार। नवमी : 14 अप्रैल रविवार। दशमी : 15 अप्रैल, सोमवार
भगवती मां जगदम्बा की पूजा-अर्चना के अन्तर्गत अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए हवन करने के पश्चात् अलग-अलग वर्ण या सभी वर्णों की कन्याओं का पूजन करना चाहिए। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि देवीभागवत ग्रन्थ में वर्णित वर्ण के अनुसार कुंवारी कन्याओं के पूजन का फल –
1. ब्राह्मण वर्ण की कन्या – शिक्षा ज्ञानार्जन व प्रतियोगिता
2. क्षत्रिय वर्ण की कन्या- सुयश व राजकीय पक्ष से लाभ
3. वैश्य वर्ण की कन्या- आर्थिक समृद्धि व धन की वृद्धि के लिए
4. शुद्र वर्ण की कन्या – शत्रुओं पर विजय एवं कार्यसिद्धि हेतु पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
दो वर्ष से दस वर्ष तक की कन्या को देवी स्वरूप माना गया है, जिनकी नवरात्र पर भक्तिभाव के साथ पूजा करने से भगवती प्रसन्न होती हैं। शास्त्रों में दो वर्ष की कन्या को कुमारी, तीन वर्ष की कन्या – त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या कल्याणकारी, पांच वर्ष की कन्या- रोहणी, छः वर्ष की कन्या – काली, सात वर्ष की कन्य – चण्डिका, आठ वर्ष की कन्या -शाम्भवी एवं नौ वर्ष की कन्या -दुर्गा तथा दस वर्श की कन्या- सुभद्रा के नाम से दर्शाया गया है। इसकी पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल मिलता है। अस्वस्थ, विकलांग एवं नेत्रहीन आदि कन्याएं पूजन हेतु वर्जित हैं। फिर भी इनकी उपेक्षा न करते हुए यथाशक्ति इनकी सेवा व सहायता ककरनी चाहिए। जिससे जगत जननी मां दुर्गा की कृपा सदैव बनी रहे।
श्री विमल जैन जी ने बताया कि चैत्र शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि 12 अप्रैल, शुक्रवार को दिन में 1 बजकर 24 मिनट पर लगेगी जो अगले दिन 13 अप्रैल, शनिवार को दिन में 11 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। तत्पश्चात नवमी तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। अष्टमी तिथि का हवन, कुंवारी पूजन महानिशा पूजा 13 अप्रैल, शनिवार को ही सम्पन्न होती। उदया तिथि के तुमाबिक 13 अप्रैल, शनिवार को अष्टमी तिथि का मान रहने से महाअष्टमी, दर्गाष्टमी की व्रत आज ही रखा जाएगा। नवरात्र के धार्मिक अनुष्ठान में कुमारी कन्याओं की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करना शुभ फलदायी रहेगा।
ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि नवरात्र में व्रत रखने के पश्चात व्रत की समाप्ति पर हवन आदि करके निमन्त्रित की हुई कुमारी कन्याओं एवं बटुकों का पूर्ण आस्था व श्रद्धाभक्ति के साथ शुद्ध जल से चरण धोने के पश्चात पूजन करके उनको सात्वक व पौष्टिक भोजन करवाना चाहिए। अपनी सामर्थ्य के अनुसार नये वस्त्र, ऋतुफल, मिष्ठान तथा नगद द्रव्य आदि देकर उनके चरणस्पर्श करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। जिससे मां जगदम्बा की कृपा सदैव बनी रहे।