लोकतंत्र विरोधियों से सावधानी जरूरी

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यह वह वाय है जिसे मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं लिखूंगा या पढूंगा। ‘इस नवंबर, अमेरिका के इतिहास में पहली बार, हम शायद मुत और निष्पक्ष चुनाव नहीं करवा पाएं और अगर जो बिडेन, ट्रंप को हरा देते हैं तो शांतिपूर्ण ढंग से सत्ता हस्तांतरण न हो पाए।’ क्योंकि अगर आधे देश को लगता है कि प्रशासन द्वारा अमेरिकी डाक सेवा को ध्वस्त करने के कारण उनके मत पूरी तरह गिने ही नहीं जाएंगे और बाकी देश को राष्ट्रपति द्वारा विश्वास दिलाया जा रहा है कि डाक वाले मत बिडेन की चालबाजी है, तो नजीता विवादास्पद चुनाव होंगे। यह अमेरिकी लोकतंत्र का अंत होगा। यह कहना भी अतिश्योति नहीं होगी कि इससे एक और गृहयुद्ध के बीज पड़ जाएंगे। यह खतरा असली है। इसलिए व्यतिगत रूप से मैं, चलकर, दौड़कर, घिसटकर, उड़कर, लेटकर, तैरकर, ड्राइव कर, ट्रेन से, ट्रक से, बस से, स्कूटर से जैसे भी जाना पड़ा, फेस मास्क, शील्ड, ग्लव्स, पीपीई किट या स्पेससूट पहनकर, हर हालत में 3 नवंबर को नजदीकी मतदान केंद्र पर वोट डालने जाऊंगा। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मेरा वोट जो बिडेन और कमला हैरिस को गया है। और ऐसा इसलिए नहीं है कि मैं कोई दीवाना उदारपंथी हूं।

ऐसा इसलिए क्योंकि मैं मानता हूं कि अमेरिका अंदर से मध्यवामपंथी, मध्य-दक्षिणपंथी देश है और इसे कोई ऐसा व्यति ही चला सकता है जो दोनों को फिर से गढ़ सके। मुझे लगता है कि बिडेन ऐसा कर सकते हैं। मैं समझ सकता हूं कि महामारी के बीच खुद जाकर मतदान करना कई लोगों के लिए विकल्प नहीं है और इसका ट्रंप से कोई संबंध नहीं है। जैसे कई सेवानिवृत्त लोग, जो आमतौर पर स्वेच्छा से मतदान केंद्र में ड्यूटी करते हैं, वे इस साल कोरोना के डर से ऐसा करना नहीं चाहते। कई लोग वास्तव में डरे हुए हैं कि अगर वे भीड़ में, लाइन में खड़े होंगे तो संक्रमण की आशंका बढ़ेगी। देखा जाए तो यह ट्रंप की गलती नहीं है कि डाकसेवा इतने मतपत्रों को संभालने और हर मत को गिनने के लिए नहीं बनाई गई है। लेकिन उनकी गलती यह है कि देश के चुनावों को इतने बड़े संकट से बचाने के लिए नेतृत्व करने की बजाय, वे देश को जबरन समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि डाक से किसी भी वोट को फर्जी माना जाएगा, सिवाय उन राज्यों को छोड़कर, जहां उन्हें समर्थन मिलता दिख रहा है। जैसे फ्लोरिडा। इसीलिए वे जानबूझकर डाकसेवा की क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी फंड रोकने की कोशिश कर रहे हैं।डेमोक्रेट्स अमेरिकी डाक सेवा के लिए 25 अरब डॉलर और राज्यों को चुनाव में मदद के लिए 3.5 अरब डॉलर देने का दबाव बना रहे हैं।

लेकिन ट्रंप ने इससे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘अगर उन्हें ये दोनों चीजें नहीं मिलेंगी, तो सभी राज्यों में डाक से वोटिंग नहीं हो पाएगी क्योंकि वे इसके लिए तैयार नहीं हैं।’ मैंने बनाना रिपलिक के तानाशाहों को कवर किया है, लेकिन वे भी इतना खुलकर अपने चुनावों को नुकसान पहुंचाने की बात नहीं करते थे। फिर नीति के स्तर पर या किया जाए? अपने कांग्रेसमैन और सीनेटर के कार्यालयों पर ईमेल और विरोध प्रदर्शनों से हमला कर दें, अपने पड़ोस के मेलबॉस की रक्षा करें कि उसे कोई हटाए न और सबसे जरूरी, नॉर्थवेस्ट डीसी में ट्रंप के पोस्टमास्टर जनरल लुई डेजॉय के घर के बाहर खड़े प्रदर्शनकारियों का साथ दें। इस तरीके से डेजॉय पर कुछ असर हुआ भी है। वहीं राष्ट्रपति लगातार डाक से मतदान के खिलाफ हर जगह झूठी शंका पैदा कर रहे हैं।

लेकिन हम इस चुनाव के लिए डेजॉय या ट्रंप पर निर्भर नहीं रह सकते। अमेरिकियों को हर इलाके में ज्यादा चुनाव कर्मचारी नियुत करने में मदद करनी होगी, ताकि मतदान केंद्र खुल सकें और उन्हें संभाल सकें जो वोट देना चाहते हैं। जरा सोचिए। वे लगभग उसी उम्र के हैं, जिस उम्र में जून 1944 में नॉरमैंडी में उतरे अमेरिकी सैनिक थे। यह बहुत मददगार होगा अगर वे खुद को चुनाव निगरानी कर्ताओं में शामिल करें, अपना कोविड टेस्ट कराएं। अगर स्वस्थ हैं तो अपने साथी नागरिकों की मतदान में मदद करें। जैसे मतदान केंद्र तक लोगों को ले जाना, केंद्र सैनिटाइज करना आदि। लोग अपने आधारभूत अधिकार का इस्तेमाल कर पाएं।’ लेकिन इस चुनाव को उन लोगों से बचाना होगा जो इसे ऐसा बना रहे हैं कि सभी वोट न दे पाएं या हर वोट न गिना जाए। यह नॉरमैंडी बीच के सैनिकों का घोर अपमान होगा।

थामस एल. फ्रीडमैन
( लेखक तीन बार पुलित्जऱ अवॉर्ड विजेता एवं ‘द न्यूयॉर्क टाइस’ में नियमित स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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