महामारी का बढ़ता दायरा

0
385

मुहिम में कुछ लोग ऐसे होते है जो उसे कमजोर करना चाहते हैं भले इसके लिए उन्हें खुद को भी नुकसान क्यों न पहुंचे। इन दिनों देश के कुछ हिस्सों में जो कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं, वे इसी तरफ इशारा करते हैं। 30 मार्च तक देश को लग रहा था कि वैश्विक महामारी के संकट पर काबू पाने की दिशा में प्रगति हो रही है लेकिन यह भ्रम दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में स्थित मरकज में जुटे तलीगी जमात के पहुंचने 24 लोगों में कोविड -19 का संक्रमण पाए जाने की सूचना ने तोड़ दिया। तब से कई राज्यों में इस जमात के बहुतेरे सदस्यों के लौटने से कोरोना मरीजों के मामलों में इजाफे ने परेशान कर दिया है। तमिलनाडु तेलंगाना आंध्र मुंबई मध्य प्रदेश यूपी में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इसने अब तक की उम्मीदों को जो चोट दी सो अलग अब तलीगी के वारंटाइन किए गए सदस्य डाक्टरों को इलाज में सहयोग की बजाय तंग कर रहे हैं। यूपी की बात करें तो हद हो गई। नर्सों और डाक्टरों से बदसलूकी के मामले सामने आए हैं जो हैरानगी के साथ चिंतित भी करते हैं। यह कौन सी जमात है जो मजहब के नाम पर उलूल-जलूल हरकत को अंजाम दे रही है।

योगी सरकार ने इस पर सख्त रुख अपनाकर सही किया है। ऐसे लोगों पर एनएसए लगाया गया है अच्छा ही है आगे से ऐसे और खुराफाती दिमाग के लोग इस तरह की हरकत से बाज आएंगे। इस महामारी का अब तक कोई इलाज नहीं खोजा जा चुका है। कोशिशे जरूर हर तरफ चल रही हैं। ऐसी परिस्थिति में एक ही मार्ग है और वो है उपाय। प्रधानमंत्री ने 21 दिन तक घर की दहलीज न लांघने को इसीलिए कहा कि इससे सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहेगी। लोग एक दूसरे के करीब नहीं आएंगे। इस तरह जो संक्रमित होंगे वे भी उसके विस्तार का बोझ उठाने से बच जायेंगे। इसी तरह जो कोरोना से बचे हुए है वैसे तो इसका मकसद तभी पूरा हो पायेगा जब घर में भी आपस में एक निश्चित दूरी बना कर रखेंगे। उन्हें संक्रमण का खतरा नहीं होगा। यूरोप और अमेरिका इसका ज्वलंत उदाहरण है। इस हिदायत का तलीगी जमात के लोगों ने खुद भी पालन नहीं किया और जहां-जहां गए वहां इस वायरस को फैलाने का जरिया भी बने।

यह निहायत गैर जिम्मेदाराना रवैया नहीं तो और या है। कोरोना की लड़ाई में जहां एहतियात बरतने और दवाओं के इंतजाम में सरकारें जूझ रही हैं वहीं एक नई मुसीबत शुरू हो गई है। दुनिया भर में इस संकट से लोग जूझ रहे है। अर्थव्यवस्था भी रसातल में जा रही है तब विकासशील देश के रूप में भारत की चुनौती को समझा जा सकता है। मंदी की आहट के बीच पहले से देश कई मोर्चो पर संघर्षरत है तब ऐसे समय में सभी का फर्ज बनता है कि त्रासदी के समय तो कम से कम अपनी वजहों से मुसीबत न बने। इस वत जाने- माने शायर राहत इंदौरी की सलाह और वेदना को समझा जा सकता है। उन्होंने लोगों को सियासी जकडऩों से अलग होकर मानवता और मुल्क की हिफाजत के लिए एकजुट होने की गुजारिश की है। कांग्रेस से जुड़े आचार्य प्रमोद कृष्ण का भी एक ट्वीट सामने आया है जिसमे उन्होंने लोगों से अपील की है कि वर्तमान सरकार से निपटने के तमाम मौके आगे भी मिलेंगे अभी देश के लिए एकजुटता की आवश्यकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here