भारत-पाक : बड़ा मजाक नरम-गमर दौर जारी

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भारत-पाक संबंधों में आजकल कैसा नरम-गरम दौर चला हुआ है। ‘पाकिस्तान-दिवस’ के अवसर पर एक ओर नरेंद्र मोदी और इमरान खान एक-दूसरे को संदेश भेज रहे हैं और दूसरी ओर भारत सरकार इस दिवस का दिल्ली और इस्लामाबाद, दोनों जगह बहिष्कार कर रही है। मेरी याद में यह पहला मौका है, जबकि ऐसा बहिष्कार हो रहा है। पाकिस्तानी दूतावास में आयोजित इस समारोह में न तो हमारा कोई मंत्री गया और न ही कूटनीतिज्ञ ! इस साल मैं भी नहीं जा पाया।

अखबारों में पढ़ा कि वहां जानेवाले भारतीय नागरिकों को हमारी पुलिस ने रोकने की भी कोशिश की। इसी प्रकार इस्लामाबाद में होनेवाले समारोह का भी हमारे राजनयिकों ने बहिष्कार किया। यह बहिष्कार हमारी सरकार ने पुलवामा में हुए आतंकी हत्याकांड के कारण नहीं किया बल्कि हुर्रियत नेताओं को पाकिस्तानी दूतावास द्वारा दिए गए निमंत्रण के कारण किया है। यह कितना बोदा और असंगत कारण है ? इसी की वजह से मोदी सरकार के आते ही जो भारत-पाक वार्ता शुरु होनेवाली थी, उसे स्थगित कर दिया गया था। मोदी को शायद पता ही नहीं है कि नरसिंहरावजी और अटलजी जब प्रधानमंत्री थे तो हुर्रियत नेताओं के साथ उनके गोपनीय लेकिन सीधे संबंध थे। उन संबंधों का कुछ फायदा भी हुआ था। सबसे मजेदार बात यह रही कि हुर्रियत के नेता पाकिस्तानी समारोह में पहुंचे ही नहीं। हमारी गुप्तचर एजंसियां क्या कर रही थीं ? उन्हें निमंत्रण का पता था लेकिन उनके न आने का पता नहीं था? उन्हें यह पता क्यों नहीं चला ?

खैर, मोदी ने इमरान को जो शुभकामना संदेश भेजा, वह भी मजाक बन गया ? एक तरफ यह बेवजह बहिष्कार और दूसरी तरफ हुर्रियत के ‘असली मालिक’ को शुभकामना संदेश !! और भी बड़ा मजाक ! इसका अर्थ क्या हुआ ? हमारी कोई सोची-समझी पाकिस्तान नीति नहीं है। किसी अफसर ने बाएं कान में आकर फूंक मारी तो सीधी बात कर दी और दूसरे दिन किसी अन्य अफसर ने आकर दाएं कान में फूंक मारी तो उल्टी बात कर दी। इसके विपरीत इमरान खान ने जिहाद और आतंक के खिलाफ खरी-खरी बात कही। ऐसी बात कहने का साहस आज तक कोई भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नहीं कर सका। ये बात दूसरी है कि उनके इस कथन के पीछे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय टास्क फोर्स और अंतरराष्ट्रीय जनमत का दबाव भी है। चाहे जो भी हो, पाकिस्तान-दिवस पर मोदी ने इमरान को शुभकामना-संदेश भेजकर अच्छा किया। अपने आप को ‘घनघोर राष्ट्रवादी’ कहनेवाले लोग यदि मोदी को अब ‘देशद्रोही’ कहने लगें, तो यह बहुत गलत होगा।

2 COMMENTS

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