योग गर्भपात को रोकने के साथ पुरुषों की प्रजनन क्षमता बढ़ाता है। साथ ही आनुवांशिक कारणों से होने वाले डिप्रेशन के एक थैरेपी की तरह काम करता है। हाल ही में योग से जुड़ी दो रिसर्च के ये नतीजे सामने आए हैं। दोनों रिसर्च में शामिल रही एम्, नई दिल्ली के ए्नाटॉमी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा ने जो बताया वो काफी लाभदायक जानकारियां है। उनके मुताबिक एम्स में योग से बांझपन का संबंध जानने के लिए कई तरह से रिसर्च की जा रही है। ताजा रिसर्च स्टडी उन महिलाओं के पतियों पर की गई, जिनका प्रेग्नेंसी के 20 सप्ताह के अंदर तीन या फिर उससे ज्यादा बार गर्भपात हो गया था। रिसर्च 30 पुरुषों पर 21 दिन तक की गई। इसके चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। इसके डेटा से पता चला कि पुरुष के योग और मेडिटेशन करने का सकारात्मक असर उनके खराब होते डीएनए, आरएनए, स्पर्म की सेहत और संख्या (प्रोग्रेसिव मोटेलिटी ) पर पड़ता है। ये ऐसे फैक्टर हैं जिसका संबंध महिलाओं की प्रेग्नेंसी से है। रिसर्च में प्रोग्रेसिव मोटेलिटी में बढ़ोतरी के साथ ही डीएनए और आरएनए के स्तर पर सुधार दिखाई दिया।
शोध के दौरान चुने गए 30 पुरुषों को 21 दिन तक रोजाना 1 घंटा अलग-अलग योगासन और मेडिटेशन कराया गया। इनमें 10 आसन और 5 तरह के प्राणायाम शामिल थे। स्टडी के दौरान पुरुषों से सूर्य नमस्कार ताड़ासन, अर्ध चक्रासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, पश्चिमोत्तानासन, भुजंगासन, मत्यासन, कपालभाती, भ्रामरी और शवासन कराए गए थे। आसनों की मदद से स्पर्म काउंट बढऩे पर महिला के गर्भवती होने की संभावना बढ़ी। स्टडी के बाद 7 महिलाओं ने सामान्य तरीके से स्वस्थ बच्चे को जन्म भी दिया। डिप्रेसन भी होता है दूर: योग सिर्फ बांझपन ही नहीं, डिप्रेशन, गठिया और काला मोतिया जैसी बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद करता है। एम्स में हुईं कई रिसर्च में ये साबित भी हुआ। डिप्रेशन एक बड़ी बीमारी भी बन गई है। कुछ परिवारों में यह आनुवांशिक रोग की तरह देखी जाती है। डिप्रेशन दिमाग के साथ शरीर के दूसरे हिस्सों को भी प्रभावित करता है। इससे बुढ़ापा समय से पहले आने के साथ कुछ बीमारियां जन्म लेने लगती हैं। वहीं, डिप्रेशन के कुछ मामले पर्यावरण, बिगड़ी जीवनशैली और दूसरे कारणों से भी सामने आते हैं। इसे भी योग से सुधारा जा सकता है। ऐसे मामलों में डिप्रेशन दूर करने के लिए सूर्य नमस्कार, शवासन, उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, वक्रासन कराने के साथ शान्ति मंत्र और ध्यान भी कराया गया।
दवाएं भी जरूरी : डॉ रीमा के मुताबिक दवाओं के साथ नियमित तौर पर योग किया जाए तो कम समय में अधिक फायदा मिलता है। यह बात 12 सप्ताह तक चली रिसर्च में भी सामने आई है। रिसर्च एनाटॉमी और साइकैट्रिक विभाग ने मिलकर की है। इसके लिए साइकैट्रिक विभाग में इलाज करा रहे 160 मरीजों को शोध के लिए चुना गया। इसमें जेनेटिक और दूसरो कारणों से बीमारी मरीजों को शामिल किया गया। इन्हें 80-80 के दो ग्रुप में बांटा गया। इसमें एक ग्रुप को सिर्फ गवाई लेने को कहा गया, जबकि दूसरे को दवाई के साथ ही योग कराया गया। परिणाम जानने के लिए पहले और रिसर्च पूर होने के बाद दोनों ग्रुप का ब्लड सैपल लिया गया। ब्लड सैंपल की रिपोर्ट चौंकाने वाली थी। सिर्फ दवाई लेने वाले मरीजों को 29 फीसदी फायदा दिखाई दिया, जबकि दवाई के साथ-साथ 12 सप्ताह तक योग करने वाले मरीजों को 60 फीसदी फायदा मिला।