पोलैंड व हंगरी: किसी देश के लिए गरीब से अमीर बनना बेहद दुर्लभ

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सोवियत संघ के पतन के बाद नए लोकतंत्रों के पालने के रूप में उभरा पूर्वी यूरोप अब प्रतिक्रियावादी लोकवादी ‘इंयूबेटर’ के रूप में आलोचना का शिकार हो रहा है, खासतौर पर पोलैंड और हंगरी में। लेकिन राजनीतिक रूप से पतन ही इसकी आर्थिक प्रगति को और दिलचस्प बना देता है। किसी देश के लिए गरीब से अमीर बनना दुर्लभ रहा है। आईएमएफ 195 अर्थव्यवस्थाओं में से सिर्फ 39 को ‘एडवांस’ यानी विकसित मानता है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सिर्फ 18 देश विकसित हुए हैं और वे क्षेत्रीय समूह में दिखते हैं। पहले आया दक्षिण यूरोप, जिसमें ग्रीस और पुर्तगाल हैं, फिर आया पूर्वी एशिया, जिसमें दक्षिण कोरिया और ताइवान हैं। अब पूर्वी यूरोप अगला हॉटस्पॉट है। विकसित श्रेणी में पहुंचे पिछले दस देशों में चार छोटे देश या इलाके हैं, जैसे पोर्तो रीको और सैन मरिनो।

बाकी के पूर्वी यूरोप के पूर्व-कम्युनिस्ट देश हैं- चेक और स्लोवाक रिपब्लिक, लिथुआनिया, लातविया, एस्टोनिया और स्लोवेनिया। विकसित हैसियत पाने वाली पिछली बड़ी अर्थव्यवस्था दक्षिण कोरिया (1997 में) थी और अगली शायद पूर्वी यूरोप से होगी।विकसित देशों की प्रति व्यति आय $17000 से ज्यादा होती है। इसके करीब पहुंच रहे देशों में एकमात्र बड़ा देश पोलैंड हैं, जहां प्रति व्यति आय $15,000 से ज्यादा है। हंगरी में यह $16,000 और रोमानिया में $13,000 है। 1945 के बाद विकसित वर्ग में पहुंचने वाली 18 अर्थव्यवस्थाओं में से कोई भी तेल या कमोडिटी की निर्यातक नहीं है। चार छोटे पर्यटन या वित्तीय केंद्र हैं, जैसे मकाऊ। बाकी फैटरी अर्थव्यवस्थाएं हैं, जिनकी जीडीपी में 15-25 फीसद विनिर्माण की और 89 फीसद निर्यात की हिस्सेदारी है।

इस वर्ग में उभरती पूर्वी अर्थव्यवस्थाएं पश्चिमी यूरोपियन बाजारों के नजदीक स्थित निर्यात फैटरियों के बल पर बढ़ रही हैं। कई महंगी जर्मन कारें हंगरी या रोमानिया में बन रही हैं। पोलैंड कार पार्ट्स ले लेकर वीडियो डिस्पले तक, सबकुछ निर्यात करता है। यूरोपीय केंद्रीय बैंक का डेटा बताता है कि 1989 से 2020 के बीच 6 पूर्व-कन्युनिस्ट देश, जो हाल ही में विकसित श्रेणी में आए, उन्हें ईयू से उनकी जीडीपी की एक फीसदी से भी ज्यादा सब्सिडी मिली। यह सोवियत साम्यवाद को छोडऩे का इनाम था। पोलैंड की प्रति व्यति आय 2022 में 17,000 डॉलर से अधिक हो जाएगी, और संभावना है कि कुछ ही समय में यह विकसित लब में शामिल हो जाए। वह क्षण कभी भी आए, पूर्वी एशियाई चमत्कारों के बाद, अब पूर्वी यूरोप के पूर्व-कम्युनिस्ट राज्यों ने पहले से ही खुद को विकास की सफलता की कहानियों के केंद्र में स्थापित कर लिया है।

रुचिर शर्मा
(लेखक और ग्लोबल इंवेस्टर हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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