कश्मीर में हुए हमारे जवानों के हत्याकांड पर देश के सभी राजनीतिक दलों ने सरकार के साथ एकजुटता दिखाई, यह अच्छी बात है लेकिन मुझे दो बातों पर जरा आश्चर्य हुआ। एक तो यह कि सबने अपने प्रस्ताव में बार-बार ‘सीमा-पार’ शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया। क्यों नहीं लिया, यह बड़ा रहस्य है।
‘सीमा-पार’ से आने वाले आतंकवाद का मतलब तो कुछ भी लगाया जा सकता है। दूसरा, सारे दलों के नेताओं ने यह विचार नहीं किया कि पुलवामा के हत्याकांड पर भारत सरकार अब क्या करे ? वह युद्ध छेड़ दे या जबानी जमा-खर्च करती रहे, जिसका उसे उत्तम अभ्यास है। या फिर कुछ ठोस कदम भी उठाए ? सरकार कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान का हुक्का-पानी बंद करवाने की कोशिश कर रही है। उसने पाकिस्तान को बेचे जाने वाले भारतीय माल पर 200 प्रतिशत तटकर ठोक दिया है।
यह सब ठीक है लेकिन इसके कोई ठोस परिणाम निकलने मुश्किल ही हैं। कश्मीर में चल रहा आतंकवाद इससे रुकने वाला नहीं है। यदि पाकिस्तान आतंकवादियों की मदद कुछ दिनों के लिए रोक दे तब भी कश्मीर से आतंकवाद खत्म नहीं होगा। तो क्या करें ? पहला, कोई भी आतंकी घटना हो तो उसके मूल-स्त्रोत पर सीधा प्रहार करें, वह फिर बहावलंपुर में हो, पेशावर में हो, काबुल में हो या कंधार में हो। अंतरराष्ट्रीय कानून की धारा ‘हॉट परस्यूट’ के हिसाब से वह जायज है।
दूसरा, आतंकी को जीवित या मृत पकड़ने पर उसके सारे रिश्तेदारों– माता-पिता, भाई-बहन, संतान, पत्नी- सभी को आजन्म कारावास दिया जाए। तीसरा, जिस बस्ती से आतंकी को पकड़ा जाए, उस पूरी बस्ती के सैकड़ों लोगों को कम से कम एक साल की सजा दी जाए। चौथा, कम से कम दो दिन के लिए भारतीय संसद को फिर से बुलाया जाए और धारा 370 खत्म की जाए। कश्मीरियों को वही बराबरी का अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए, जो प्रत्येक भारतीय का होता है। पांचवा, कश्मीर की किसी भी मांग के लिए कैसा भी अहिंसात्मक आंदोलन हो, उसे चलाने की पूर्ण स्वतंत्रता दी जाए।
छठवां, कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर हो रहा 11 करोड़ रु. साल का खर्च तत्काल बंद किया जाए। उनकी करोड़ों-अरबों की अवैध संपत्तियां जब्त की जाएं और यदि आतंकवादियों से उनके जरा भी कोई संबंधों का प्रमाण हो तो उन्हें गिरफ्तार किया जाए। सातवां, कश्मीरी नौजवानों के लिए रोजगार और शिक्षा का काम चौगुनी रफ्तार से किया जाए। सरकार में दम हो तो यह करके दिखाए।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)