पाकिस्तान में जबरन धर्मांतरण और इमरान

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पाकिस्तान के सिंध प्रांत में दो हिंदू लड़कियों को जबरदस्ती मुसलमान बनाने के मसले ने तूल पकड़ लिया है। हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी के बीच काफी नोक-झोंक चल रही है। दोनों मंत्री एक-दूसरे के देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता जाहिर कर रहे हैं। सबसे अच्छी बात यह हुई कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस घटना पर तुरंत ध्यान दिया और सिंध के मुख्यमंत्री को तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा।

हुआ यह कि 20 मार्च को 13 और 15 साल की दो हिंदू बहनों का सिंध के हाफिज सलमान नामक गांव से अपहरण किया गया, उन्हें मुसलमान बनाया गया और उनकी शादी कर दी गई। इसी तरह तीन अन्य लड़कियों का अपहरण उसी दिन हुआ और उन्हें जबरन मुसलमान बनाया गया। वे लड़कियां वीडियो में मिन्नत करती हुई दिखाई पड़ रही हैं कि उन्हें जबरन मुसलमान न बनाया जाए।

ऐसी घटनाएं अक्सर पाकिस्तान के सभी प्रांतों में होती रहती हैं। पाकिस्तान के मानव अधिकार आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अमरनाथ मोटवाल के मुताबिक सिंध में हर माह ऐसी 20-25 वारदात होती हैं। पुलिस उनकी रपट तक नहीं लिखती है। इस जबरन धर्मांतरण के खिलाफ नवाज शरीफ सरकार संसद में एक विधेयक लाई थी लेकिन वह पारित नहीं हो सका। सिंध विधानसभा ने इस आशय का विधेयक पारित कर दिया था लेकिन राज्यपाल ने उस पर दस्तखत नहीं किए।

पाकिस्तान की एक हिंदू संस्था का कहना है कि हर साल कम से कम 1000 लोगों को जबरन मुसलमान बनाया जाता है। इमरान खान ने प्रधानमंत्री बनते ही एलान किया था कि वे अल्पसंख्यकों के प्रति पूरा न्याय करेंगे। क्या ही अच्छा हो कि वे संसद में कठोर कानून पास करें और प्रशासन से उसे सख्ती से लागू करवाएं। इसी प्रकार वे अपने ईश-निंदा कानून को भी ठीक करवाएं। उसके कारण कई बार बेगुनाह और प्रबुद्ध मुसलमानों को भी सजा भुगतनी पड़ती है। कल ही एक 21 वर्षीय छात्र ने अपने प्रोफेसर खालिद हमीद की हत्या इसलिए कर दी कि वह छात्र-छात्राओं का एक मिला-जुला कार्यक्रम करवा रहे थे। इसे वह छात्र काफिराना हरकत समझता था।

इमरान यदि वास्तव में ‘नया पाकिस्तान’ बनाना चाहते हैं तो उन्हें कानून तो बदलने ही होंगे, पाकिस्तानी जनता के दिलो-दिमाग पर भी गहरा असर डालना होगा। भारत धर्म-निरपेक्ष राज्य है लेकिन यहां भी मजहबी अतिवाद जब तब उभरने लगता है। मैं सोचता हूं कि पाकिस्तान को संयुक्त अरब अमारात (यूएई) को अपना आदर्श बनाना चाहिए ताकि पाकिस्तान इस्लामी तो रहे लेकिन एक स्वाभाविक शांत और संपन्न राष्ट्र की तरह विकसित हो सके।

डॉ. वेद प्रताप वैदिक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार है।

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