नरेन्द्र मोदी बर्खास्त करें डोवाल को!

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आज नौबत है जो मोदी की सरकार के मंत्री (एसएस अहलूवालिया) भी सफाई दे रहे हैं कि हमला आतंकियों को मारने के मकसद से नहीं, बल्कि पाकिस्तान को सिर्फ चेतावनी देने के लिए था। तब दुनिया के आगे क्या 26 फरवरी को भारत के विदेश सचिव विजय गोखले का बयान झूठा नहीं हो गया कि भारत की वायु सेना ने आज तड़के इंटेलीजेंस सूचना ऑपरेशन किया है।

क्योंकि पुलवामा में आतंकी हमला इंटेलीजेंस की नाकामी व लापरवाही की वजह से हुआ। क्योंकि वायु सेना को बालाकोट में आतंकियों के कैंप या मदरसे में आतंकियों की भीड़ का झूठा इनपुट दिया गया! क्योंकि दुनिया में किरकिरी है कि भारत ने आतंकी हमले को रोकने के प्रीइम्पटीव एक्शन में वायु सेना का ऑपरेशन कराए जाने की बात कही थी, जबकि निशाने की जगह आतंकी थे ही नहीं। क्योंकि आज नौबत है जो मोदी सरकार के मंत्री (एसएस अहलूवालिया) भी सफाई दे रहे हैं कि हमला आतंकियों को मारने के मकसद में नहीं, बल्कि पाकिस्तान को सिर्फ चेतावनी देने के लिए था। तब दुनिया के आगे क्या 26 फरवरी को भारत के विदेश सचिव विजय गोखले का बयान झूठा नहीं हो गया कि भारत की वायु सेना ने आज तड़के इंटेलीजेंस सूचना आधारित ऑपरेशन किया है और भारत ने बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के सर्वाधिक बड़े आतंकी कैंप को तबाह कर दिया है।

जाहिर है खुफिया सूचना आधारित ऑपरेशन का अर्थ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल द्वारा तमाम खुफिया एजेंसियों के कर्ता-धर्ता के नाते बनवाया ऑपरेशन है। क्या नहीं? यदि ऐसा न हीं है तो कैसे कैबिनेट मंत्री एसएस अहलूवालिया की यह शर्मनाक सफाई है कि हमने तो नहीं कहा था कि 300 आतंकि मरे। हमले के बाद मोदीजी ने भाषण दिया था लेकिन न उन्होंने 300 लोगों के मरने की बात कहीं न भाजपा के किसी प्रवक्ता ने कहा और न अमित शाह ने ऐसा कहा? सचमुच अहलूवालिया से ले कर विदेश सचिव विजय गोखले सब इस बात को नकार रहे हैं कि वायु सेना के ऑपरेशन में सीमा पार के आतंकियों को मारना मकसद था, उन्हें मारा गया या आतंकी हमले होने की सूचना को उड़ाया गया। तभी बुनियादी सवाल है कि जब बालाकोट में आतंकी नहीं थे तो वहां हमले का वायु सेना ऑपरेशन क्यों कराया? उसी मकसद में कराया तो क्या नहीं अजित डोवाल भारत की जनता को, भारत के सांसदों को, संसदीय कमेटी में उठे इस सवाल का जवाब दे रहे हैं कि बालाकोट पर हमले में कितने आतंकी मरे? हां भारत के विदेश सचिव के पास संसदीय कमेटी में पूछे गए सवाल का जवाब नहीं था कि बालाकोट के जैश ए मोहम्मद के कैंप में कितने आतंकी मारे गए? कमेटी में बोली गई यह बात वाजिब थी कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बालाकोटा को ले करजो कहा-लिखा जा रहा है उसे खत्म कराने के लिए आतंकियों के मारे जाने, जैश ए मोहम्मद को हुए नुकसान के सबूत वैश्विक समुदाय के लिए जारी हो। मगर विदेश सचिव विजय गोखले आदि अफसरों ने संसदीय कमेटी में इसे अनसुना किया।

सोचें, यह वायु सेना के नियंत्रण रेखा के बहुत भीतर घुस कर बालाकोट में तयशुदा टारगेट पर निशाना साधने के अपूर्व साहस के साथ कैसा धोखा हुआ है कि सेना को भी यह अपमान झेलना पड़ रहा है कि बालाकोट में एक हजार किलोग्राम की बमबारी में एक कौव्वा मरा दिखा। एक घायल व्यक्ति था! सेना ने, वायु सेना ने अपना काम किया लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल की खुफियागिरी धोखा थी, जो झूठ और झूठ चला और बना। मंत्री अहलूवालिया कह रहे हैं हमने झूठ नहीं चलाया तो फिर टीवी चैनलों, मीडिया में सूत्रों के हवाले 200-300 आतंकियों मसूद अजहर के साले की मौत और आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद की कमर तोड़ देने की झूठी खबरें क्या अजित डोवाल ने नहीं चलवाई? अगर ऐसा नहीं था तो अजित डोवाल और उनकी एजेंसियां लिखित में बयान दे कर बता दें कि सूत्रों के हवाले टीवी चैनलों ने जो झूठ फैलाया वह पूरी तरह मनगंढ़च था! मरग ऐसा कहा नहीं जा सकता है। क्योंकि 26 फरवरी के विदेश सचिव के बयान में अजित डोवाल की झूठी ब्रीफ से ही वह वाक्य था कि हमें विश्वास है कि बड़ी संख्या में आतंकी, कमाडंर, ट्रेनर आदि मारे गए। मगर हमले के बाद उस जगह जा कर बीबीसी, रायटर आदि की रपटों में खबर उलटी थी। वह भारत की खुफियागिरी को फेल बताने वाली थी। चिड़िया चुग गई खेत तब हुआ वह हमला था।

                      हरिशंकर व्यास
(लेखक विरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

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