जापान में घटते यूथ, घटती आबादी!

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पिछले दिनों एक अजीबो-गरीब खबर पढ़ने को मिली। जापान के नगोरो गांव में एक अजीबो-गरीब गुडियाघर बनाया गया है जहां हर जगह पर बड़ी-बड़ी गुडि़यो को बैठे, पढ़ते या काम करते हुए दिखलाया गया है जोकि पढ़ाई का आकर्षण बनती जा रही है। इसकी एक खास वजह जापान की तेजी से घटती जनसंख्या है। इस गांव में कभी 300 लोग रहते थे व धीरे-धीरे करके वे सभी चले गए और अब इसकी जनसंख्या घटकर महज 10 रह गई है।

करीब दो दशक पहले वहां की एक मूल निवासी सुकिमो अयानो वहां वापस आई। उन्होंने वह जगह तब छोड़ी थी जब वे बच्ची थी व अपने पिता के साथ चली गई थी। उन्होंने लौटकर एक गुडि़या बनाई व फिर उसे खेत में रखा। तब से लेकर अब तक वे 400 गुडि़या बना चुकी हैं। इनकी शक्ल यहां के पूर्व निवासियों से मिलती-जुलती है। उनको देखते-देखते कुछ और लोग भी गुडि़या बनाने लगे।

सन्त 2012 में गांव का स्कूल भी बंद हो गया क्योंकि वहां पढ़ने वाले तीन बच्चे छठी कक्षा पास कर गए हैं। अयानो ने इन तीनो को गुडि़या के रूप में एक कक्षा में बैठे दिखाया। वे जापान की घटती जनसंख्या के कारण लोगों द्वारा इस तरह से गांव छोड़ देने व उसके खाली हो जाने से दुखी हैं। गांव में बिजली के खंबे के नीचे कुछ कारीगरो को बैठे हुए दिखाया गया है।

वास्तव में यह सब जापान की तेजी से घट रही जनसंख्या की समस्या का उदाहरण है। इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। आज इस गांव में एक भी बच्चा नहीं है। शायद वे ऐसा करके अपने देश पर दुनिया का ध्यान तेजी से बढ़ रही इस समस्या की और आकर्षित करना चाहती हैं। आज जापान की सबसे बड़ी समस्या तेजी से बढ़ती औसत बुढ़ापा संख्या व जन्मदर में बढ़ोतरी न होना है। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बूढ़े लोग जापान में ही पाए जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक जापान की 33 फीसदी जनसंख्या 60 साल से ज्यादा है व 12.3 फीसदी लोग 65 साल से ज्यादा उम्र के हैं। 65 साल या उससे ज्यादा की आयु वाले लोग वहां की जनसंख्या का एक-चौथाई हिस्सा हैं।

बताते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1947 से 1949 के बीच वहां की जनसंख्या में काफी बढ़ोतरी हुई। इसके कारण वहां गर्भपातो की संख्या बढ़ी व लोगों की बच्चे पैदा करने की उर्वरक क्षमता में कमी आई। अब वहां लोग ज्यादा जी रहे हैं व बच्चे बहुत कम पैदा हो रहे हैं। लगभग 12.70 करोड़ लोगों वाले इस देश की जनसंख्या 2040 तक घटकर 10.7 करोड़ रह जाने की आशंका है। इसका वहां की अर्थव्यवस्था व सामाजिक ताने-बाने पर बुरा असर पड़ रहा है। सरकार की समस्या यह है कि आयु दर बढ़ने के कारण सरकार को सामाजिक सुरक्षा पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है। उन्हें ज्यादा पेंशन व दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। काम करने वाले लोग की कमी हो रही है व युवा लोगों को अपनी जिदंगी का काफी ज्यादा समय अपने बुजुर्गो की देख-रेख पर बिताना पड़ता है।

जापान में औसतन आयु 85 साल की होती है। इसकी वजह अच्छी दवाएं, बेहतर खान-पान, जीवन स्तर का बढ़ना व बीमारियों में कमी होना है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद देश में रही शांति भी इसकी एक बड़ी वजह है। जापान में औसतन हर महिला अपने जीवनकाल में 1.46 बच्चे पैदा करती है जबकि वहां मृत्युदर 2.1 है। जनसंख्या कम होने के तमाम कारण है। इनमें लोगों द्वारा लंबे समय तक अविवाहित रहना, बड़ी उम्र में शादी करना, पढ़ाई पर ज्यादा जोर देना, बढ़ते शहरीकरण के कारण उसमें पैदा होने वाली समस्याओं का बढ़ना है। महिलाओं का नौकरी करना व बढ़ते जीवनस्तर की तुलना में आय का बढ़ना भी कारण है।

वहां के श्रम मंत्रालय के अनुसार वहां जो लोग असंगठित ये काम करते हैं उन्हें मिलने वाला वेतन संगठित क्षेत्र की तुलना में लगभग आधा होता है। अतः वे लोग शादी करने से कतराते हैं। घर छोटे हो रहे हैं व बच्चे पर होने वाला खर्च काफी बढ़ रहा है। नौकरी करने के कारण महिला घर पर रहकर बच्चो की ज्यादा देख-रेख कर पाती हैं। आंकड़े बताते है कि यदि यही हालात रहे तो 2035 तक चार में से एक शादी योग्य युवक शादी नहीं कर पाएगा। वह अकेला होने के कारण अपने मां-बाप के साथ रहेगा। जापान की युवतियां प्यार करने जैसी जरूरी चीजो को अपनी नौकरी के कारण पूरी नहीं कर पाती हैं व काम करने के कारण काफी थक जाती है और पर्याप्त आराम नहीं कर पाती है इसिलए वे शारीरिक संबंध बनाने में ज्यादा रूचि नहीं लेती है।

जापान में कामकाज के लिए युवा कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं। वहां 19 साल से कम आयु के लोग की संख्या कुल जनसंख्या का महज 20 फीसदी है। इसके कारण वहां की अर्थव्यवस्था और मजबूत नहीं हो पा रही है। सरकार को बुजुर्गो के लिए दवाईयां तैयार करने पर ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। वहां रिटायर होने की आयु 60 से बढ़ाकर 65 साल कर दी गई है।

युवा न मिलने के कारण वहां का कृषि व निर्माण उद्योग प्रभावित हो रहा है। जापान के किसान की औसत आयु 70 साल है। ज्यादातर भवन निर्माण में काम करने वाले मजदूर 50 साल से ज्यादा के हैं। इसके कारण उनकी काम करने की क्षमता व उत्पादकता कम होती जा रही है। वहां औसत पुरुष 31 साल की आयु में व महिला 29 साल की आयु में शादी करती है। इसे कहते है एक विकसित देश की विडंबना। जहां जनसंख्या लगातार घट रही है और सवाल पैदा हो रहा है कि देश जो उत्पादकता-विकास पा रहा है तो उसका उसके अपने लोग कितना लाभ उठा पाएंगे।

विवेक सक्सेना
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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