गीता सार

0
316

क्यों व्यर्थ की चिन्ता करते हो ? किससे व्यर्थ डरते हो ?
कौन तुम्हें मार सकता है ? आत्मा न पैदा होती है, नमरती है ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here