गीता सार

0
343

व्यक्ति अपने अहंकार की मद में चूर होकर उस परमात्मा को ही भूल जाता है, जिसने उसे मानवीय जीवन प्रदान किया। वह सत्ता व शक्ति के लोभ में वशीभूत होकर दूसरे प्राण्यिों को भी तुच्छ समझने लगता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here