प्रथम पूज्य भगवान गणेश बुद्धि के देवता माने गए हैं। इनकी पूजा करने पर भक्त को बुद्धि से संबंधित शुभ फल मिल सकते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार भगवान गणपति के स्वरूप में सुखी और जीवन के सूत्र छिपे हैं। अगर इन सूत्रों को समझकर जीवन में उतार लिया जाए तो कई परेशानियां दूर हो सकती हैं।
जानिए ये सूत्र कौन- कौन से हैं…
भगवान गणेश गजमुखी हैं, उनके हाथी जैसे बड़े कान सूप के हैं। बड़े कान ये बताते हैं कि हमें सभी की बातें सुननी चाहिए और उनका सार ग्रहण करना चाहिए। ठीक उसी प्रकार जैसे सूप छिलके बाहर फेंक कर सिर्फ अन्न को ही अपने पास रखता है।
गणेशजी की छोटी आंखें सूक्ष्म दृष्टि रखने की प्रेरणा देती हैं। हमें छोटी- छोटी पर भी सूक्ष्मता से नजर रखनी चाहिए। उनकी बड़ी नाक (सूंड) दूर तक सूंघने में समर्थ है जो उनकी दूरदर्शिता को बताती है। जिसका अर्थ है कि उन्हें हर बात का ज्ञान है।
गणेशजी के दो दांत हैं एक पूर्ण और दूसरा अपूर्ण। पूर्ण दांत श्रद्धा का प्रतीक है और टूटा हुआ दांत बुद्धि का। ये प्रेरणा देते हैं कि जीवन में बुद्धिकम होगी तो चलेगा लेकिन ईश्वर के प्रति पूरा विश्वास रखना चाहिए। भगवान का बड़ा पेट ये बताता है कि पेट गागर की तरह छोटा नहीं, बल्कि सागर की तरह विशाल होना चाहिए, जिसमें अच्छी-बुरी सभी बातों को शामिल करने की शक्ति हो।
गणेशजी के छोटे पैर बताते हैं कि मनुष्य को उतावला नहीं होना चाहिए। हर काम धैर्यपूर्वक करना चाहिए। गणेशजी के आस-पास ऋद्धि और सिद्धि रहती हैं। ये इस बात का संदेश है कि जो व्यक्ति बुद्धि का सदुपयोग करता है, वह सुख और शांति को पाता है। हमें भी सुखी जीवन के लिए गणेशजी के सूत्रों को अपनना चाहिए।